कटिहार: जिले के बारसोई अनुमंडल में सीएए और एनआरसी के विरोध में पिछले 41 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग के तर्ज पर हजारों महिलाएं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी हुई थी. वे सरकार से नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थी. लेकिन होली को देखते हुए हजारों महिलाओं ने फैसला लिया कि वे आपसी भाईचारा और सौहार्द न बिगड़े इसलिए अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है.
आपसी भाईचारे की मिसाल
महिला प्रदर्शनकारी जूही निशा बताती हैं बिहार में एनपीआर और एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा. इसको लेकर विधेयक पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमें आपस में बांटना चाहती है. लेकिन हम आपस में नहीं लड़ेंगे. प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम आपसी सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए होली के मद्देनजर अनिश्चितकालीन हड़ताल को तोड़ दिया है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि जरूरत पड़ने पर हड़ताल फिर से चालू किया जाएगा.
'30 करोड़ से ज्यादा युवा बेरोजगार'
वहीं, प्रदर्शनकारी आरजू बताती हैं कि अनेकता में एकता भारत की पहचान है. होली आने वाली है और यह त्यौहार सिर्फ हिंदुओं का नहीं बल्कि हिंदुस्तान के नागरिकों का है. इसलिए इस प्रदर्शन को रोका जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें सीएए और एनआरसी की जरूरत नहीं है, हम भारतीय हैं. अगर सरकार को रजिस्टर बनाना है तो बेरोजगारी को लेकर रजिस्टर बनाई जाए. आज देश में 30 करोड़ से भी ज्यादा युवा बेरोजगार हैं.
SDO ने दी जानकारी
मौके पर मौजूद बारसोई अनुमंडल के एसडीओ पवन कुमार बताते हैं कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों के साथ अनुमंडल प्रशासन के बीच बैठक की गई थी और उनसे अनुरोध किया गया था कि बिहार विधानसभा में इसको लेकर विधेयक पारित किया जाए. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव पारित हो जाने का बद इस आंदोलन का औचित्य नहीं रह गया है.