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कटिहारः रेलवे लाइन के किनारे गुजर-बसर कर रहा है विस्थापित परिवार, नहीं मिल रहा सरकारी लाभ - नहीं मिल रहा सरकारी लाभ

विस्थापित महिला बताती हैं गंगा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण इनका गांव गंगा में विलीन हो चुका है. उसके बाद पूरा परिवार रेलवे लाइन के किनारे सरकारी जमीन में आकर बस गया है. लेकिन रेलवे लाइन में बसे होने के कारण अधिकारी यहां से भगाते रहते है. ऐसे में हम जाए तो कहां जाए. सरकारी मदद भी नहीं मिलती.

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Published : Dec 17, 2019, 12:42 PM IST

कटिहारः जिले में गंगा और महानंदा में तेजी से हो रहे कटाव के कारण जिले के लाखों परिवार विस्थापित हो गए है. जीवन यापन करने के लिए यें रेलवे लाइन के किनारे या तो सड़क के किनारे झुग्गी और झोपड़ियों में जीवन यापन करने को मजबूर है. सरकार की योजनाओं का भी लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है. वहीं, विस्थापित परिवार सरकार से पुनर्वास की मांग कर रहे है.

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गंगा किनारे रहने को लोग मजबूर

कटाव के कारण लाखों परिवार हो गए विस्थापित
कटिहार जिला चारों ओर से नदियों से घिरा है. जिसके कारण प्रत्येक वर्ष जिले में आने वाली बाढ़ काफी तबाही मचाती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं और जान माल का भी भारी नुकसान होता है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों का तकलीफ कम होने का नाम नहीं लेता. बाढ़ का पानी घटते हीं गंगा और महानंदा विकराल रूप ले लेती है और तेजी से कटाव शुरू हो जाती है. कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष जिले के कई गांव और सरकारी स्कूल गंगा में समा जाते है. लिहाजा ना हीं सरकार का ध्यान और प्रशासन का ध्यान इस ओर अभी तक गया है और ना ही कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए है.

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झोपड़ियों में रह रहे लोग

प्रशासन नहीं देता ध्यान
जिले के मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला गांव में रेलवे लाइन के किनारे गुजर-बसर कर रहें हजारों परिवार यूं ही झुग्गी झोपड़ी लगाकर अपना जीवन यापन तो कर रहे है. लेकिन सरकार से इन विस्थापितों को कोई भी मदद नहीं दी जाती. सरकार के सात निश्चय योजना, आवास योजना या कोई भी सरकार की योजना इन विस्थापितों को नहीं मिल पाता. जिस कारण इनकी जिंदगी जीते जी मरने की समान है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते हैं स्थानीय
विस्थापित महिला बताती हैं गंगा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण इनका गांव गंगा में विलीन हो चुका है. उसके बाद पूरा परिवार रेलवे लाइन के किनारे सरकारी जमीन में आकर बस गया है. लेकिन रेलवे लाइन में बसे होने के कारण अधिकारी यहां से भगाते रहते है. ऐसे में हम जाए तो कहां जाए. सरकारी मदद भी नहीं मिलती. सरकार की ओर से नहीं रहने के लिए घर दिया जाता है और न ही जमीन. अगर ऐसे ही चलता रहा तो पूरा परिवार गंगा में डूब कर अपना जान दे देगा.

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रेलवे लाइन पर रहने को मजबूर स्थानीय

नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ
सरकारी योजना का लाभ और शौचालय नहीं दिए जाने पर कटिहार जिला उप विकास आयुक्त सुश्री वर्षा सिंह बताती है कि गंगा क्षेत्र के इलाकों में विभाग की ओर से वैसे लोगों के लिए सरकारी जमीन चिन्हित कर सामुदायिक शौचालय बनाएगी. जो 4 सीटर और 6 सीटर होगी और इस सामुदायिक शौचालय का देखभाल उन समुदाय को ही करना है.

कटिहारः जिले में गंगा और महानंदा में तेजी से हो रहे कटाव के कारण जिले के लाखों परिवार विस्थापित हो गए है. जीवन यापन करने के लिए यें रेलवे लाइन के किनारे या तो सड़क के किनारे झुग्गी और झोपड़ियों में जीवन यापन करने को मजबूर है. सरकार की योजनाओं का भी लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है. वहीं, विस्थापित परिवार सरकार से पुनर्वास की मांग कर रहे है.

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गंगा किनारे रहने को लोग मजबूर

कटाव के कारण लाखों परिवार हो गए विस्थापित
कटिहार जिला चारों ओर से नदियों से घिरा है. जिसके कारण प्रत्येक वर्ष जिले में आने वाली बाढ़ काफी तबाही मचाती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं और जान माल का भी भारी नुकसान होता है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों का तकलीफ कम होने का नाम नहीं लेता. बाढ़ का पानी घटते हीं गंगा और महानंदा विकराल रूप ले लेती है और तेजी से कटाव शुरू हो जाती है. कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष जिले के कई गांव और सरकारी स्कूल गंगा में समा जाते है. लिहाजा ना हीं सरकार का ध्यान और प्रशासन का ध्यान इस ओर अभी तक गया है और ना ही कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए है.

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झोपड़ियों में रह रहे लोग

प्रशासन नहीं देता ध्यान
जिले के मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला गांव में रेलवे लाइन के किनारे गुजर-बसर कर रहें हजारों परिवार यूं ही झुग्गी झोपड़ी लगाकर अपना जीवन यापन तो कर रहे है. लेकिन सरकार से इन विस्थापितों को कोई भी मदद नहीं दी जाती. सरकार के सात निश्चय योजना, आवास योजना या कोई भी सरकार की योजना इन विस्थापितों को नहीं मिल पाता. जिस कारण इनकी जिंदगी जीते जी मरने की समान है.

देखें पूरी रिपोर्ट

क्या कहते हैं स्थानीय
विस्थापित महिला बताती हैं गंगा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण इनका गांव गंगा में विलीन हो चुका है. उसके बाद पूरा परिवार रेलवे लाइन के किनारे सरकारी जमीन में आकर बस गया है. लेकिन रेलवे लाइन में बसे होने के कारण अधिकारी यहां से भगाते रहते है. ऐसे में हम जाए तो कहां जाए. सरकारी मदद भी नहीं मिलती. सरकार की ओर से नहीं रहने के लिए घर दिया जाता है और न ही जमीन. अगर ऐसे ही चलता रहा तो पूरा परिवार गंगा में डूब कर अपना जान दे देगा.

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रेलवे लाइन पर रहने को मजबूर स्थानीय

नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ
सरकारी योजना का लाभ और शौचालय नहीं दिए जाने पर कटिहार जिला उप विकास आयुक्त सुश्री वर्षा सिंह बताती है कि गंगा क्षेत्र के इलाकों में विभाग की ओर से वैसे लोगों के लिए सरकारी जमीन चिन्हित कर सामुदायिक शौचालय बनाएगी. जो 4 सीटर और 6 सीटर होगी और इस सामुदायिक शौचालय का देखभाल उन समुदाय को ही करना है.

Intro:कटिहार

गंगा और महानंदा में तेजी से हो रहे कटाव के कारण जिले के लाखों परिवार विस्थापित, जीवन यापन करने के लिए रेलवे लाइन के किनारे या तो सड़क के किनारे झुग्गी झोपड़ी में जीवन यापन करने को है मजबूर, सरकार की योजनाओं का नहीं मिल पा रहा है लाभ, विस्थापित परिवार सरकार से पुनर्वास को कर रहे हैं मांग।





Body:Anchor_या तो इसे दुर्भाग्य समझिए या दिवशी कि आज भी जिले के हजारों विस्थापित परिवार रेलवे लाइन के किनारे या तो फिर सड़क के किनारे खानाबदोश जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आज यहां तो कल कहीं और अपने परिवार के साथ जिंदगी बिता रहे हैं। दरअसल जिले में तेजी से हो रहे महानंदा और गंगा नदी के कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष हजारों परिवार विस्थापित हो जाते हैं और ऊचें जगह पर शरण ले लेते हैं।

कटिहार जिला चारों ओर से नदियों से घिरा है जिसके कारण प्रत्येक वर्ष जिले में आने वाली बाढ़ काफी तबाही मचाती है जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं और जान माल का भी भारी नुकसान होता है लेकिन बाढ़ पीड़ितों का तकलीफ कमने का नाम नहीं लेता बाढ़ का पानी घटते हीं गंगा और महानंदा विकराल रूप ले लेती है और तेजी से कटाव शुरू हो जाती है। कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष जिले में कई गांव और सरकारी स्कूल भी गंगा में समा चुका है लिहाजा ना हीं सरकार का ध्यान और प्रशासन का ध्यान इस और अभी तक गया है और ना ही कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए हैं।

जिले के मनिहारी अनुमंडल के सिंगल टोला गांव में रेलवे लाइन के किनारे गुजर-बसर कर रहे हजारों परिवार यूं ही झुग्गी झोपड़ी लगाकर अपना जीवन यापन तो कर रहे हैं लेकिन सरकार से इन विस्थापितों को कोई भी मदद नहीं दी जाती। सरकार के सात निश्चय योजना, आवास योजना यूं कहिए कि कोई भी सरकार का योजना इन विस्थापितों को नहीं मिल पाता जिस कारण इनकी जिंदगी जीते जी मरने की समान है।

V.O1_ कटाव के कारण विस्थापित परिवार बताती है सरकार की ओर से किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं मिला है। बाढ़ के दौरान रेलवे लाइन के किनारे और बांध के किनारे झुग्गी झोपड़ी लगाकर गुजर बसर की लेकिन सरकार ना हीं प्लास्टिक का व्यवस्था किया और ना ही रहने खाने का। ऐसे ही हजारों बाढ़ पीड़ित परिवार हकड़ कर रह गए लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह का कोई मदद नहीं मिल सका।

Byte_1_सरबतिया मासोमात, विस्थापित

V.O2_ विस्थापित महिला बताती हैं गंगा में हो रहे तेजी से कटाव के कारण इनका गांव गंगा में विलीन हो चुका है। उसके बाद पूरा परिवार रेलवे लाइन के किनारे सरकारी जमीन में आकर बस गए लेकिन रेलवे लाइन में बसे होने के कारण अधिकारी यहां से भगाते रहते हैं। ऐसे में हम जाए तो जाए कहां। सरकारी मदद भी नहीं मिलती। सरकार की ओर से नहीं रहने के लिए घर दिया जाता है और न जमीन। अगर ऐसे ही चलता रहा तो पूरा परिवार गंगा में डूब कर अपना जान दे देंगे।

byte2_कारी देवी, विस्थापित

V.O3_ वही एक विस्थापित महिला बताती है सरकार की ओर से मिलने वाले शौचालय योजना का लाभ भी इन परिवारों को नहीं मिल पाता। जनप्रतिनिधियों के द्वारा बताया जाता है की यह गांव सरकारी जमीन पर बसा है और नदी में विलीन होने के कगार पर है ऐसी स्थिति में गांव वालों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा हालांकि महिला खुद अपने पैसों से शौचालय का निर्माण करा चुकी है और सरकारी पैसे का उम्मीद लगाए बैठी है।

byte3_सुशीला देवी, विस्थापित




Conclusion:सरकारी योजना का लाभ और शौचालय नहीं दिए जाने पर कटिहार जिला उप विकास आयुक्त सुश्री वर्षा सिंह बताती हैं गंगा क्षेत्र के इलाकों में विभाग की ओर से वैसे लोगों के लिए सरकारी जमीन चिन्हित कर सामुदायिक शौचालय बनाएगी जो 4 सीटर और 6 सीटर होगी और इस सामुदायिक शौचालय का देखभाल उन समुदाय को ही करना है।

बाढ़ और कटाव जिले की एक बहुत बड़ी समस्या है और प्रत्येक वर्ष बाढ़ और कटाव के कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं बाढ़ का पानी थमते हीं कटाव अपना विकराल रूप ले लेती है और तेजी से कटाव होने के कारण दर्जनों गांव गंगा में विलीन हो जाते हैं ऐसे में वहां के हजारों परिवार सड़क के किनारे या तो रेलवे लाइन के किनारे झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार की ओर से भी इन्हें कोई मदद नहीं दी जाती। कटाव के कारण पिछले 40 वर्षों में जिले के लगभग 50 से भी अधिक गांव गंगा और महानंदा में विलीन हो चुका है लेकिन सरकार का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है और ना ही कटाव निरोधक कार्य शुरू किए गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए बिहार सरकार का ध्यान जल्द से जल्द ऐसे इलाकों पर जाए और कटाव निरोधक कार्य शुरू करें ताकि इनका घर गांव नदी में विलीन होने से बच सकें।
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