ETV Bharat / state

गेंदा की खेती करने वाले किसानों को मिलोगा अनुदान, परंपरागत खेती से है ज्यादा मुनाफा

चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण आने वाले भीषण बाढ़ से धान, गेहूं और मक्के की फसल बर्बाद हो जाती थी. जिससे किसान कर्ज में डूब जाते थे. इसलिए वे परंपरागत फसलों में हो रहे नुकसान के कारण कैश क्रॉप्स की ओर धीरे-धीरे अपना रुख कर रहे हैं.

कटिहार में गेंदा फूल की खेती
author img

By

Published : Nov 25, 2019, 3:47 PM IST

कटिहार: परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक और कैश फसलों की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग से अनुदान मिलेगा. इसके अलावा अन्य किसानों को आधुनिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

गौरतलब है कि जिले में किसान धान, केले, गेहूं और मक्के की खेती को छोड़ अब आधुनिक खेती जैसे गेंदे की फूल की खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. जिसके लिए कृषि विभाग उन्हें पूरा सहयोग करेगा.

गेंदे के फूल की खेती में होता है मुनाफा
जिले के कोढा प्रखंड के अंतर्गत रौतारा पंचायत में लक्ष्मी चौहान गेंदे के फूल की खेती कर रही हैं. जो पूरे इलाके में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वे बताती हैं कि गेंदे के फूल की खेती करने में धान, गेहूं और मक्का से 3 गुना ज्यादा फायदा है. जहां धान, गेहूं और मक्के से एक बार फसल की उपज होती हैं. वहीं, गेंदे के फूल को कम से कम 10 बार तोड़ा जा सकता है.

marigold farming in katihar
लक्ष्मी चौहान की ओर से गेंदे के फूल की खेती की हो रही है सराहना

कृषि विभाग देगा अनुदान
लक्ष्मी चौहान की ओर से गेंदे के फूल की खेती की सराहना पूरे जिले में हो रही है. ऐसे में अधिकारी भी उनसे मिलने उनके घर तक पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद सिंह को जिले में हो रही गेंदे के फूल की खेती के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने उन किसानों को उद्यान विभाग की तरफ से प्रति हेक्टेयर 16 हजार की अनुदान राशी देने की बात कही. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग किसानों से मिलकर उनको उचित लाभ देने की कोशिश करेगा. वहीं किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा.

गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को मिलोगा अनुदान

परंपरागत खेती से आधुनिक खेती की ओर रुझान
जिले के किसान परंपरागत फसलों में हो रहे नुकसान के कारण कैश क्रॉप्स की ओर धीरे-धीरे अपना रुख करने लगे हैं. चूंकि चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण आने वाले भीषण बाढ़ से धान, गेहूं और मक्के की फसल बर्बाद हो जाती थी. जिससे किसान कर्ज में डूब जाते थे. वहीं, केले की खेती से भी लोग धीरे-धीरे दूर होने लगे हैं क्योंकि केले में होने वाले पनामा विल्ट रोग से पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में वे नए फसलों की खेती में जुट गए हैं.

कटिहार: परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक और कैश फसलों की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग से अनुदान मिलेगा. इसके अलावा अन्य किसानों को आधुनिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

गौरतलब है कि जिले में किसान धान, केले, गेहूं और मक्के की खेती को छोड़ अब आधुनिक खेती जैसे गेंदे की फूल की खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. जिसके लिए कृषि विभाग उन्हें पूरा सहयोग करेगा.

गेंदे के फूल की खेती में होता है मुनाफा
जिले के कोढा प्रखंड के अंतर्गत रौतारा पंचायत में लक्ष्मी चौहान गेंदे के फूल की खेती कर रही हैं. जो पूरे इलाके में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वे बताती हैं कि गेंदे के फूल की खेती करने में धान, गेहूं और मक्का से 3 गुना ज्यादा फायदा है. जहां धान, गेहूं और मक्के से एक बार फसल की उपज होती हैं. वहीं, गेंदे के फूल को कम से कम 10 बार तोड़ा जा सकता है.

marigold farming in katihar
लक्ष्मी चौहान की ओर से गेंदे के फूल की खेती की हो रही है सराहना

कृषि विभाग देगा अनुदान
लक्ष्मी चौहान की ओर से गेंदे के फूल की खेती की सराहना पूरे जिले में हो रही है. ऐसे में अधिकारी भी उनसे मिलने उनके घर तक पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद सिंह को जिले में हो रही गेंदे के फूल की खेती के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने उन किसानों को उद्यान विभाग की तरफ से प्रति हेक्टेयर 16 हजार की अनुदान राशी देने की बात कही. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग किसानों से मिलकर उनको उचित लाभ देने की कोशिश करेगा. वहीं किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा.

गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को मिलोगा अनुदान

परंपरागत खेती से आधुनिक खेती की ओर रुझान
जिले के किसान परंपरागत फसलों में हो रहे नुकसान के कारण कैश क्रॉप्स की ओर धीरे-धीरे अपना रुख करने लगे हैं. चूंकि चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण आने वाले भीषण बाढ़ से धान, गेहूं और मक्के की फसल बर्बाद हो जाती थी. जिससे किसान कर्ज में डूब जाते थे. वहीं, केले की खेती से भी लोग धीरे-धीरे दूर होने लगे हैं क्योंकि केले में होने वाले पनामा विल्ट रोग से पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में वे नए फसलों की खेती में जुट गए हैं.

Intro:कटिहार

परंपरागत खेती को तौबा कह आधुनिक और कैश फसलों की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग से मिलेगा अनुदान, साथ ही अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती करने को किया जाएगा प्रोत्साहित। जिले में फूल की खेती कर यहां के किसान जीवन बना रहे समृद्ध।

Body:कटिहार के किसान अब धान, केले, गेहूं और मक्के की खेती को तौबा कह रहे हैं और आधुनिक खेती यानी फूलों की खेती कर अपना जीवन समृद्धि बना रहे हैं। परंपरागत फसलों में हो रहे नुकसान के कारण यहां के किसान कैश क्रॉप्स की ओर धीरे-धीरे रुख करने लगे हैं और नए फसलों की खेती में जुट गये है।

चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण यहां हर साल आने वाले भीषण बाढ़ के चलते धान, गेहूं और मक्का का फसल बर्बाद हो जाता था जिससे यहां के किसान कर्ज में डूब जाते थे वहीं केले की खेती से भी लोग धीरे-धीरे दूर होने लगे हैं। केले में होने वाले पनामा विल्ट रोग पूरे फसल को बर्बाद कर देती है ऐसे में किसान नये फसलों का उपज कर अपना जिंदगी संवार रहे हैं।

जिले के कोढा प्रखंड अंतर्गत रौतारा पंचायत में लक्ष्मी चौहान के द्वारा गेंदा फूल की खेती किया जा रहा है जो पूरे इलाके में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गेंदा फूल की खेती में धान गेहूं, मक्का से 3 गुना ज्यादा फायदा है। 12 कट्ठे में लगाए गए फूल की खेती में लगभग ₹30000 की लागत आई है और मुनाफा लाखों में हो रहा है। जहां धान, गेहूं और मक्के से एक बार फ़सल की उपज होती है वही गेंदा फूल को कम से कम 10 बार तोड़ा जा सकता है।

Conclusion:लक्ष्मी चौहान द्वारा फूल की खेती की सराहना पूरे जिले में हो रही है और अब अधिकारी भी उनसे मिलने उनके घर तक पहुंच रहे हैं। कटिहार जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद सिंह को जब ईटीवी भारत ने जिले में हो रही गेंदा फूल की खेती के बारे में जानकारी दिया तो उन्होंने कहा उन किसानों को उद्यान विभाग की तरफ से प्रति हेक्टेयर ₹16000 की अनुदान देने का प्रावधान है। उन्होंने बताया वैसे किसानों से मिलकर कृषि विभाग उचित लाभ देने की कोशिश करेगी वहीं किसानों को प्रोत्साहित कर जिले के अन्य किसानों को फसल की खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.