कटिहार: जहां सरकार फेल होती है, वहीं से सिंडिकेट की शुरुआत होती है. सिंडिकेट फिर माफिया को पैदा करता है. माफिया अपना धंधा चमकाने के लिए तस्कर 'नियुक्त' करता है. इसके बाद का काम खुद-ब-खुद हो जाता है. बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) को लेकर कुछ इसी तरह का अनुमान लगाया जाता रहा है. इसके नतीजा भी साफ देखने को मिल रहा है. ताजा मामला कटिहार (Katihar) जिले का है. जहां शिक्षा विभाग (Education Department) के दफ्तर के बाहर से दर्जनों अवैध विदेशी शराब की खाली बोतलों ने शराबबंदी की पोल खोलकर रख दी है.
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दरअसल, पूरा मामला अमदाबाद प्रखण्ड (Amdabad Block) का है. जहां अमदाबाद बीआरसी भवन के बाहर अवैध विदेशी शराब की दर्जनों खाली बोतलें मिलने से सनसनी फैल गयी है. ये बोतलें कहां से आयी और किसने गटक कर खाली बोतलें फेंक दी, अब तक पता नहीं चल सका है.
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अमदाबाद प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रामगुलाम गुप्ता बताते हैं कि उन्हें मालूम नहीं है कि बोतलें कहां से आयी है. लेकिन ऐसा लगता है कि किसी ने इलाके में बाढ़ आने से दो-तीन महीने पूर्व फेंक दिया और चला गया. हालांकि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मामले की जांच करने का निर्देश जारी किया है.
इस मामले में पूछताछ करने पर लोगों ने कहा कि शराब की बोतलें बहुत पहले से फेंकी गई हैं. यह बोतलें बाढ़ आने से पहले ही फेंकी गई थी. शराब की बोतलें दफ्तर के पीछे वाली गेट के बाहर पायी गई हैं. -रामगुलाम गुप्ता, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, अमदाबाद
बता दें कि बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बंदी है. उसके बावजूद भी शराब की तस्करी तेजी से की जा रही है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राज्य सरकार के निर्णय में कहां कमी रह गई. बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सके, जिसको लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं. इसके बावजूद भी प्रतिदिन राज्य के कई जिलों में लगातार शराब का सेवन या उसके अवैध व्यवसाय करने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी की जा रही है. इसी का नतीजा है कि बिहार की जेलो में क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं.
हालांकि, जेल प्रशासन से मिल रही जानकारी के अनुसार अब तक पिछले 5 सालों में ढाई से 3 लाख से अधिक लोग शराब बंदी कानून के तहत जेल जा चुके हैं. राज्य सरकार पूर्ण शराब बंदी लागू हो सके इसको लेकर शराब पीने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी कर रही है. इसके साथ-साथ राज्य के अंदर और अन्य राज्यों के बड़े शराब माफियाओं की भी गिरफ्तारियां की गई है.
राज्य सरकार ने कानून बनाया है कि किसी भी घर या वाहन में शराब बरामद होगी तो उसकी नीलामी की जाएगी. यहां तक की शराब के अवैध व्यापार में संलिप्त कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है. इससे यह भी साबित होता है कि बिना पुलिस की मिलीभगत से राज्य में शराब का व्यवसाय नहीं फल फूल सकता है.
बिहार में आए दिन किसी न किसी जिले में अवैध शराब पीने से लोगों को असमय मौत या आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. उसके बावजूद भी पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी लागू नहीं हो पा रहा है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर होती है, तस्कर भी पकड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से ही पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सकता है या राज्य सरकार को कुछ और सोचना होगा.