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दिव्यांग बच्चों की मां का दर्द- यहां पैसा कहां मिलता है, सिर्फ कागज बनता है - दिव्यांग बच्चों की मां का दर्द

ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने के कारण दिव्यांगों का नाम जुट नहीं पाया. अंतिम बार 2016 में 300 रुपये मासिक पेंशन मिली थी. सामाजिक सुरक्षा कोषांग पदाधिकारी ने नाम जोड़कर पेंशन देने की बात कही है.

पेंशन से वंचित एक ही घर के तीन दिव्यांग बच्चे
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Published : Aug 10, 2019, 7:03 PM IST

कटिहार: जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित महादलित गांव में तीन दिव्यांग बच्चे पेंशन और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. इनके पास हर वो जरूरी कागजात हैं, जो इन्हें इनका हक दिलाने के लिए जरूरी है. बावजूद इसके, सरकारी उदासीनता के कारण ये तीनों बच्चे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

मामला कटिहार जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर स्थित मरोचा के मुजवर टाल टोला का है. गांव के महादलित टोला में एक ही परिवार में तीन दिव्यांग बच्चे सरकारी उदासीनता के शिकार हैं. जन्म से दिव्यांग बच्चों के मां-बाप मेहनत मजदूरी कर तीनों का भरण-पोषण कर रहे हैं. वहीं, इन्हें कई सालों से पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार का चूल्हा तभी जलता हैं, जब मां-बाप मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं.

handicape mother
दिव्यांगो बच्चों की मां

'तीन सालों से नहीं मिली पेंशन'
दिव्यांग बच्चों की मां ने ईटीवी भारत से अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि यहां पैसा नहीं मिल रहा है. सिर्फ कागज बनता है. हमने भाग-दौड़कर किसी तरह दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया, खाता खुलवाया और सभी जरूरी कागज बनवाए. बावजूद इसके हमारे बच्चों के खाते में पेंशन नहीं आ रही है. बच्चे जन्म से ही दिव्यांग हैं. इलाज में बहुत पैसे खर्च किए. लेकिन कब तक इलाज कराएं. बच्चों का इलाज कराएं कि पेट पाले.

नहीं दिया नजराना, तो नहीं मिली ट्राई साइकिल
मां ने बताया कि अंतिम बार 2016 में 300 रुपये मासिक पेंशन मिली थी. गांव के नेता जी को नजराना नहीं देने के कारण ट्राई साइकिल नसीब नहीं हुई. दिव्यांग ठीक से खड़े भी नहीं हो पाते हैं. किसी तरह हाथ पैर के सहारे चल पाते हैं. जबकि तीसरा दिव्यांग मानसिक रूप से बीमार है.

पेंशन से वंचित दिव्यांग बच्चे

ऑनलाइन सुविधा के कारण हुए वंचित
वहीं, सामाजिक सुरक्षा कोषांग पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया इन परिवारों को 2016 तक पेंशन मिली थी. लेकिन ऑनलाइन सुविधा के कारण ऑनलाइन फॉर्म नहीं भर पाए. जिसके कारण नाम छूट गया है. पीड़ित परिवार के आवेदन देने पर जल्द ही इन बच्चों का नाम जोड़ दिया जाएगा. इसका निराकरण करते हुए इनके खाते में सीधे पेंशन के पैसे भेजे जाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 39 हजार 420 दिव्यांग हैं. जिसमें 29 हजार दिव्यांगों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है.

कटिहार: जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित महादलित गांव में तीन दिव्यांग बच्चे पेंशन और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. इनके पास हर वो जरूरी कागजात हैं, जो इन्हें इनका हक दिलाने के लिए जरूरी है. बावजूद इसके, सरकारी उदासीनता के कारण ये तीनों बच्चे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

मामला कटिहार जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर स्थित मरोचा के मुजवर टाल टोला का है. गांव के महादलित टोला में एक ही परिवार में तीन दिव्यांग बच्चे सरकारी उदासीनता के शिकार हैं. जन्म से दिव्यांग बच्चों के मां-बाप मेहनत मजदूरी कर तीनों का भरण-पोषण कर रहे हैं. वहीं, इन्हें कई सालों से पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार का चूल्हा तभी जलता हैं, जब मां-बाप मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं.

handicape mother
दिव्यांगो बच्चों की मां

'तीन सालों से नहीं मिली पेंशन'
दिव्यांग बच्चों की मां ने ईटीवी भारत से अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि यहां पैसा नहीं मिल रहा है. सिर्फ कागज बनता है. हमने भाग-दौड़कर किसी तरह दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया, खाता खुलवाया और सभी जरूरी कागज बनवाए. बावजूद इसके हमारे बच्चों के खाते में पेंशन नहीं आ रही है. बच्चे जन्म से ही दिव्यांग हैं. इलाज में बहुत पैसे खर्च किए. लेकिन कब तक इलाज कराएं. बच्चों का इलाज कराएं कि पेट पाले.

नहीं दिया नजराना, तो नहीं मिली ट्राई साइकिल
मां ने बताया कि अंतिम बार 2016 में 300 रुपये मासिक पेंशन मिली थी. गांव के नेता जी को नजराना नहीं देने के कारण ट्राई साइकिल नसीब नहीं हुई. दिव्यांग ठीक से खड़े भी नहीं हो पाते हैं. किसी तरह हाथ पैर के सहारे चल पाते हैं. जबकि तीसरा दिव्यांग मानसिक रूप से बीमार है.

पेंशन से वंचित दिव्यांग बच्चे

ऑनलाइन सुविधा के कारण हुए वंचित
वहीं, सामाजिक सुरक्षा कोषांग पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया इन परिवारों को 2016 तक पेंशन मिली थी. लेकिन ऑनलाइन सुविधा के कारण ऑनलाइन फॉर्म नहीं भर पाए. जिसके कारण नाम छूट गया है. पीड़ित परिवार के आवेदन देने पर जल्द ही इन बच्चों का नाम जोड़ दिया जाएगा. इसका निराकरण करते हुए इनके खाते में सीधे पेंशन के पैसे भेजे जाएंगे. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 39 हजार 420 दिव्यांग हैं. जिसमें 29 हजार दिव्यांगों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है.

Intro:कटिहार

सरकार लाख दावे कर ले लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ हर किसी को नहीं मिलती। लाभ पाने के लिए भी किस्मत और पैरवी की जरूरत होती है तभी तो कटिहार के एक परिवार जिसे पहले ही किस्मत दगा दे गया और सरकारी कागज बनने के बाद भी उसे योजनाओं का लाभ 4 सालों से बंद है। आपको यकीन नहीं होता तो आइए हम एक महादलित परिवार से मिलवाते हैं जिनके तीन संतान दिव्यांग है।


Body:कटिहार शहर से महज 10 किलोमीटर दूर यह है मरोचा गांव के मुजवर टाल टोला। इस गांव के बीच महादलित टोला में बसा यह परिवार प्रकृति के बदनसीबी से एक हीं परिवार के तीन बच्चे दिव्यांग है। घर के चूल्हे तब जलते हैं जब मां-बाप दोनों मिलकर मजदूरी करते हैं। जैसे तैसे इन बच्चों के मां-बाप ने मासूमों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाए। बैंक से खाता खुलवाया लेकिन इतने कड़े मेहनत के बाद आज हालात यह है कि कागजात होने के बावजूद 4 सालों से इन्हें दिव्यांग पेंशन नहीं मिल पा रहा है। पेंशन क्यों नहीं मिलते, बच्चों के खाते में पैसे क्यों नहीं आते खुद सुनिए पीड़ित बच्चों की मां की जुबानी।

पीड़ित बच्चों की मां बताती है कि तीनों बच्चे जान से भी प्यारे हैं और जन्मजात दिव्यांग हैं। इलाज में बहुत पैसे खर्च किए लेकिन अब थक गए क्योंकि इलाज कराएं कि पेट पाले। दोनों समस्या की चक्की में वह पीस रही है। साल 2016 में इन्हें ₹300 मासिक पेंशन के नाम पर अंतिम दिव्यांग पेंशन मिले थे। दिव्यांग बच्चों के लिए जो ट्राई साइकिल होती है उसमें भी गांव के नेता जी को नजराने नहीं दिए लिहाजा आज तक ट्राई साइकिल नसीब नहीं हुआ। थक हार कर छोड़ दिए और नसीब के भरोसे बैठ गए। इन तीन दिव्यांग में से दो दिव्यांग तो ठीक से खड़े नहीं हो पाते किसी तरह हाथ पैर के जरिए चल पाते हैं जबकि तीसरा दिव्यांग मानसिक रुग्णता का शिकार है।

सामाजिक सुरक्षा कोषांग पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया इन परिवारों को 2016 तक पेंशन मिली थी लेकिन जब से ऑनलाइन सुविधा हुई है तब इन्होंने ऑनलाइन फॉर्म नहीं भर पाए इस कारण इनका नाम छूट गया है। अगर यह पीड़ित परिवार मुझे आकर आवेदन देंगे तो जल्द ही इन बच्चों का नाम जोड़ दिया जाएगा और जल्द हीं इसका निराकरण कर दिया जाएगा और पीड़ित परिवार को पेंशन की राशि सीधा उनके खाते में चली जाएगी। इन्होंने बताया जिले में कुल 39420 दिव्यांग लोग हैं जिसमें 29000 दिव्यांगों को सरकारी योजना तथा पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। सरकारी योजना के तहत दिव्यांगों को निःशक्ता पेंशन, निःशक्ता ऋण योजना, ट्राई साइकिल योजना, निःशक्ता विवाह योजना के तहत दोनों दिव्यांगों जोडे को एक एक लाख रुपया की राशि दी जाती है।



Conclusion:सरकार दिव्यांगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर संभव मदद का दावा करती है। 17वें लोकसभा चुनाव में भी दिव्यांगों के लिए विशेष मतदाता शिविर लगाए थे और उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए सुविधाएं मुहैया कराई गई थी। लेकिन इन दिव्यांगों के हालात को देखकर ऐसा लगता है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें महज दिव्यांग प्रमाण पत्र और बैंकों में खाता खोल दिए गए बाकी दुनिया आज भी इनके लिए अंधेरी ही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि किस्मत के मारे इन दिव्यांग मासूमों पर सरकार ध्यान देगी और इन्हें मिलने वाली सरकारी मदद नसीब हो पाएगा।
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