कटिहार: 'जाको राखे साइयां मार सके न कोई' कबीर का सबसे प्रसिद्ध यह दोहा खतरनाक हादसों से बाल-बाल बचने वाले लोगों पर सटीक बैठता है. जिले में यह दोहा तब चरितार्थ हुआ जब आंधी-तूफान में नहर किनारे बनी एक झोपड़ी विशाल पेड़ और ग्यारह हजार वोल्ट का हाईटेंशन तार टूटकर गिर पड़ा. इस खतरनाक हादसे में पूरा परिवार सही सलामत बच गया.
'तूफानी रात में झोपड़ी पर बरसी मौत'
कटिहार नगर थाना क्षेत्र के वर्मा नगर इलाके में यह उत्तम पंडित का परिवार है जो सिंचाई विभाग की बनी नहर के किनारे झोपड़ी बनाकर रहता है. उत्तम रिक्शा चलाया करता है, जिससे बूढ़े माता-पिता सहित उसके सात लोगों का परिवार चलता है. बीती रात जब यह परिवार झोपड़ी में सो रहा था तभी अचानक तेज तूफान आ गया. इस आंधी-तूफान में नहर किनारे लगा विशाल शीशम का पेड़ जड़ से उखड़कर झोपड़ी पर जा गिरा.
बाल-बाल बचे लोग
मुसीबत बस यहीं खत्म नहीं हुई बल्कि दूसरी तरफ झोपड़ी के ऊपर से गुजर रहा ग्यारह हजार वोल्ट का हाईटेंशन तार भी टूट कर गिर पड़ा. परिवर वाले जैसे-तैसे जान बचाकर बाहर भागे. बाहर निकल कर सब ने शोर मचाना शुरू किया तो आसपास के ग्रामीण वाले इकट्ठा हो गए. इस भीषण हादसे में उत्तम के पैर में मामूली चोटों के अलावा किसी को कुछ भी नहीं हुआ.
लॉकडाउन में बेघर हुआ परिवार
पीड़ित राजू पंडित बताते हैं कि जैसे ही झोपड़ी पर पेड़ गिरा कि एक बड़े जोर की आवाज हुई. हमलोगों की नींद टूट गयी. वहीं, सुलेखा देवी बताती हैं जितना बड़ा पेड़ हैं इसमें शायद ही कोई दबकर बच निकले लेकिन यब भगवान की कृपा है कि हमें दोबारा जीवन नसीब हुआ. अब लॉकडाउन की इस मुसीबत में बेघर इस परिवार की उम्मीद सरकार से जुड़ गई है.