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कटिहार: बदलने लगी है दियारा क्षेत्र की माटी, सब्जी की खेती कर मालामाल हो रहे हैं किसान

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Published : Aug 8, 2020, 9:51 PM IST

किसान प्रभु मंडल ने बताया कि किसानों ने कर्ज लेकर खेती की शुरुआत की है. यहां की सब्जियां काफी उन्नत किस्म की होती है. दियारा इलाके का परवल पटना, आरा, उत्तर प्रदेश के कुछ जिले और पड़ोसी देश नेपाल तक भेजा जाता है.

कटिहार
कटिहार

कटिहार: जिले के गंगा नदी से निकले दियारा इलाके की माटी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. कभी खर-पतवार से पटी भूमि अब सोना उगल रही है. इस मिट्टी पर परवल की खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं. इन किसानों के चेहरे की खुशी और बढ़ जाती जब इलाके में सब्जी की खेती के प्रोत्साहन के लिए मोकामा के टाल क्षेत्र की तरह दियारा क्षेत्र का भी विकास होता और किसानों को कुछ सरकारी मदद मिल पाती.

रेत से पटी भूमि उगल रही सोना
दरअसल, कटिहार के बरारी प्रखण्ड के काढ़ागोला गंगानदी घाट से बोरियों में भरकर परवल की सब्जी सूबे के दूसरे हिस्सों में भेजी जा रही हैं. बताया जाता हैं कि इलाके के किसान पहले धान-गेहूं जैसी परंपरागत खेती करते थे, लेकिन इलाके में हर वर्ष आने वाली बाढ़ की त्रासदी ने इनकी कमर तोड़ दी. ट्रेडिशनल क्रॉप इन किसानों के लिए जुए के समान हो गया था. यदि किस्मत साथ दिया तो दाने-पानी का इंतजाम हो जाता था और यदि किस्मत दगा दे जाए तो एक जून के भोजन पर भी आफत आ जाती थी, लेकिन अब किसानों ने अपनी सोच को बदल डाला है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लत्तरदार फसल की अच्छी संभावना
भौगोलिक टिप्स समझ में आते ही इन किसानों ने अपने खेती में बदलाव कर डाला और परंपरागत खेती की जगह लत्तरदार खेती पर जोर दिया, क्योंकि दियारा इलाके में बलुआही जमीन होने के कारण लत्तरदार फसल की यहां अच्छी संभावना है. किसानों का यह प्रयोग सफलता की पटरी पर दौड़ पड़ी और जो जमीन कभी खर-पतवार और रेत से पटी होती थी आज वो सोना उगल रही हैं. यहां उगे परवल की सब्जी सूबे के दूसरे हिस्सों में भेजी जा रही हैं. वहीं स्थानीय किसान प्रभु मंडल ने बताया कि किसानों ने कर्ज लेकर खेती की शुरुआत की हैं और यहां की सब्जियां काफी उन्नत किस्म की होती हैं. दियारा इलाके का परवल पटना, आरा, उत्तर प्रदेश के कुछ जिले और पड़ोसी देश नेपाल तक भेजा जाता हैं.

katihar
प्रभु मंडल, किसान

लोगों को मिला रोजगार
स्थानीय किसान अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि दियारा इलाके में काफी संभावनाएं हैं. सरकार जिस तरह मोकामा के टाल क्षेत्र के विकास के टाल विकास समिति का गठन कर दलहन की खेती को बढ़ावा मिला हैं. वैसे ही दियारा इलाके के समग्र विकास के लिए दियारा विकास समिति का गठन होता, तो आज बात दूसरी होती. उन्होंने बताया कि दियारा इलाके में सब्जी की खेती से अन्य दूसरे क्षेत्रों के लोगों का भी जीवन यापन होता हैं. नाव वाले, बग्गी वाले, मजदूर और आसपास के छोटे-छोटे होटल सभी को इस खेती ने अप्रत्यक्ष रोजगार दिया हैं.

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अमरेन्द्र सिंह, किसान

दियारा विकास की समग्र योजना समिति का करें गठन- किसान
किसानों ने कहा कि सरकार दियारा क्षेत्र के विकास के नाम पर पुल निर्माण कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री समझती हैं और थोड़े-बहुत जिला कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रशिक्षण देकर मामले का इतिश्री कर दिया जाता हैं, जबकि जरूरत तो इस बात की हैं सरकार किसानों के पीठ पर हाथ रखकर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाती तो किसानों के जीवनस्तर में व्यापक बदलाव आता. अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की नजर दियारा इलाके के विकास पर जाती हैं.

कटिहार: जिले के गंगा नदी से निकले दियारा इलाके की माटी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. कभी खर-पतवार से पटी भूमि अब सोना उगल रही है. इस मिट्टी पर परवल की खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं. इन किसानों के चेहरे की खुशी और बढ़ जाती जब इलाके में सब्जी की खेती के प्रोत्साहन के लिए मोकामा के टाल क्षेत्र की तरह दियारा क्षेत्र का भी विकास होता और किसानों को कुछ सरकारी मदद मिल पाती.

रेत से पटी भूमि उगल रही सोना
दरअसल, कटिहार के बरारी प्रखण्ड के काढ़ागोला गंगानदी घाट से बोरियों में भरकर परवल की सब्जी सूबे के दूसरे हिस्सों में भेजी जा रही हैं. बताया जाता हैं कि इलाके के किसान पहले धान-गेहूं जैसी परंपरागत खेती करते थे, लेकिन इलाके में हर वर्ष आने वाली बाढ़ की त्रासदी ने इनकी कमर तोड़ दी. ट्रेडिशनल क्रॉप इन किसानों के लिए जुए के समान हो गया था. यदि किस्मत साथ दिया तो दाने-पानी का इंतजाम हो जाता था और यदि किस्मत दगा दे जाए तो एक जून के भोजन पर भी आफत आ जाती थी, लेकिन अब किसानों ने अपनी सोच को बदल डाला है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लत्तरदार फसल की अच्छी संभावना
भौगोलिक टिप्स समझ में आते ही इन किसानों ने अपने खेती में बदलाव कर डाला और परंपरागत खेती की जगह लत्तरदार खेती पर जोर दिया, क्योंकि दियारा इलाके में बलुआही जमीन होने के कारण लत्तरदार फसल की यहां अच्छी संभावना है. किसानों का यह प्रयोग सफलता की पटरी पर दौड़ पड़ी और जो जमीन कभी खर-पतवार और रेत से पटी होती थी आज वो सोना उगल रही हैं. यहां उगे परवल की सब्जी सूबे के दूसरे हिस्सों में भेजी जा रही हैं. वहीं स्थानीय किसान प्रभु मंडल ने बताया कि किसानों ने कर्ज लेकर खेती की शुरुआत की हैं और यहां की सब्जियां काफी उन्नत किस्म की होती हैं. दियारा इलाके का परवल पटना, आरा, उत्तर प्रदेश के कुछ जिले और पड़ोसी देश नेपाल तक भेजा जाता हैं.

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प्रभु मंडल, किसान

लोगों को मिला रोजगार
स्थानीय किसान अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि दियारा इलाके में काफी संभावनाएं हैं. सरकार जिस तरह मोकामा के टाल क्षेत्र के विकास के टाल विकास समिति का गठन कर दलहन की खेती को बढ़ावा मिला हैं. वैसे ही दियारा इलाके के समग्र विकास के लिए दियारा विकास समिति का गठन होता, तो आज बात दूसरी होती. उन्होंने बताया कि दियारा इलाके में सब्जी की खेती से अन्य दूसरे क्षेत्रों के लोगों का भी जीवन यापन होता हैं. नाव वाले, बग्गी वाले, मजदूर और आसपास के छोटे-छोटे होटल सभी को इस खेती ने अप्रत्यक्ष रोजगार दिया हैं.

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अमरेन्द्र सिंह, किसान

दियारा विकास की समग्र योजना समिति का करें गठन- किसान
किसानों ने कहा कि सरकार दियारा क्षेत्र के विकास के नाम पर पुल निर्माण कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री समझती हैं और थोड़े-बहुत जिला कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रशिक्षण देकर मामले का इतिश्री कर दिया जाता हैं, जबकि जरूरत तो इस बात की हैं सरकार किसानों के पीठ पर हाथ रखकर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाती तो किसानों के जीवनस्तर में व्यापक बदलाव आता. अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की नजर दियारा इलाके के विकास पर जाती हैं.

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