कटिहार: जिले के किसानों में जैविक खेती के प्रति रुचि बढ़ रही है. जिले के किसान खुद जैविक खाद का निर्माण कर रहे हैं. खाद्य पदार्थों के उत्पादन में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग किया जा रहा है, जिससे लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रहीं हैं. बढ़ती महंगाई से किसानों की खेती की लागत भी बढ़ गई है. ऐसे में किसान देसी तरीकों का इस्तेमाल कर खेती की लागत कम कर रहे हैं.
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जैविक खेती से घटी लागत
ये किसान जैविक खेती कर देसी तरीकों से खाद और कीटनाशक तैयार कर रहे हैं, जिसमें कम लागत आती है. इन तरीकों को अपनाकर किसान न सिर्फ शुद्ध अनाज का उत्पादन कर रहे हैं बल्कि खेती की लागत भी आधे से अधिक कम कर लिया है.
जैविक खाद से बढ़ी पैदावार
जिले के मनिहारी अनुमंडल के नवाबगंज गांव के किसान उर्मिलेश कुमार सिंह अपने घर में गोमूत्र, गोबर, बेसन और गुड़ से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. इन्होंने अपने उत्पाद का नाम जीवामृत जैविक खाद दिया है. वह उसे अपने खेत में पटवन के समय इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनकी फसल की पैदावार बढ़ी है. जैविक खाद के प्रयोग से खेती की लागत कम हुई है. उन्हें अच्छी फसल होने से बेहतर मुनाफा हो रहा है. जैविक खाद का प्रयोग गेहूं, मक्का, बाजरा, धान, मूंग, कपास, सरसों, टमाटर, बैंगन, प्याज, मूली, गाजर आदि फसलों और अन्य सभी प्रकार के फल व पौधों में किया जा सकता है.
जैविक खाद बनाने में लगते हैं 20 दिन
उर्मिलेश कुमार सिंह ने जैविक खाद बनाने का तरीका भी बताया. उन्होंने कहा "10 किलोग्राम गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलो गुड़, 3 किलो दाल का बेसन और 1 किलो बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी और 200 लीटर पानी प्लास्टिक ड्रम में डाल दें. प्रतिदिन इसे लकड़ी के सहारे अच्छी तरह मिलाएं. 15 से 20 दिन में जीवामृत जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है."
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