कटिहार: जमीन का मोह किसे नहीं होता. मौजूदा वक्त में स्थिति यह है कि भूमि विवाद में लोग रिश्तों का कत्ल करने से भी नहीं हिचक रहे हैं. लेकिन कटिहार में एक बुजुर्ग महिला ने अपनी जमीन सरकारी स्कूल के नाम महज इसलिए कर डाली क्योंकि भूमि के अभाव में स्कूल जहां- तहां झोपड़ी में चल रही थी और गांव के मासूमों की पढ़ाई के प्रति ललक देख उससे रहा नहीं गया. लिहाजा लाखों की कीमत वाली अपनी जमीन विद्यालय के नाम कर डाली ताकि स्थायी के साथ झोपड़े से पक्के भवन में विद्यालय परिवर्तित हो सकें.
फूस की झोपड़ी में ककहरा सीख रहे बच्चों का यह दृश्य कटिहार से पन्द्रह किलोमीटर दूर नया प्राथमिक विद्यालय चौहान टोला का है. इस विद्यालय में पांचवी वर्ग तक के बच्चों की पढाई होती है. सरकार ने गांव के बच्चों को शिक्षित करने के मकसद से पन्द्रह - सोलह साल पहले इस गांव में प्राइमरी विद्यालय खोलने की मंजूरी दी लेकिन तब से भूमि के अभाव में यह स्कूल कभी यहां तो कभी वहां चक्कर काटता रहा.
स्कूल भवन नहीं होने से परेशानी
बरसात के दिनों में यह विद्यालय किसी ग्रामीण के दरवाजे पर चलता तो कभी खेत - खलिहान के बीच झोपड़ी बनाकर किसी तरह समय कटता. जमीन की कमी के बीच हिचकोले खा रहे इस विद्यालय में मासूमों का तालीम के प्रति ऐसा जुनून रहा कि बच्चों ने झोपड़े में भी स्कूल आना नहीं छोड़ा. विद्यालय की भूमि की समस्या कम होने के बजाय और जटिल होती जा रहीं थी.
गर्मी हो या बरसात, बच्चों की जुबानी, परेशानी
छात्रा लक्ष्मी कुमारी बताती हैं कि स्कूल भवन नहीं रहने से काफी दिक्कतें होती हैं. छात्रा सोनम कुमारी बताती हैं कि विद्यालय में ना तो कोई शौचालय हैं और ना ही कोई खेलने - कूदने की जगह जिससे काफी परेशानी होती है. बच्चों की पढ़ाई के प्रति ललक और खेलने - कूदने की समस्या देख गांव की एक बुजुर्ग महिला का दिल इस कदर द्रवित हुआ कि उसने अपनी डेढ़ कट्ठा जमीन विद्यालय के नाम कर दी.
पढ़ाई के आगे जमीन की कोई कीमत नहीं
भूमिदाता पानो देवी बताती हैं कि बच्चों की स्कूलिंग के समस्या के आगे उसे भूमि का तनिक भी मोह नहीं है. विद्यालय की प्रधानाध्यापक रिनु बनर्जी विद्यालय के लिए भूमि मिलने से काफी खुश हैं और कहती हैं कि जल्द ही स्कूल का अपना भवन का सपना साकार होगा.
इसे दरियादिली कहेंगे या फिर....
उम्र के आखिरी पड़ाव में बुजुर्ग महिला का अपने गांव के बच्चों को तालीम का एक निश्चित ठिकाना देने के लिये की गयी यह कोशिश सचमुच काबिल - ए - तारीफ के साथ एक मिसाल भी हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि विद्यालय भवन का इन बच्चों का सपना जल्द साकार हो.
एक धूर जमीन के लिए हो जाती है हत्या...बुजुर्ग ने तो..
पुलिस विभाग का आंकड़े बताते हैं कि राज्य में ज्यादातर हत्याएं या हिंसक झड़प जमीन से जुड़े विवाद की वजह से होती है. एक धूर जमीन के लिए लोग भाई तक की हत्या कर देते हैं. ऐसे में कटिहार की रहने वाली बुजुर्ग महिला पानो देवी का बच्चों की पढ़ाई को लेकर प्रेम या दरियादिली बहुत बड़ी बात है. जिसे समझना सब के वश की बाहर की बात है.
शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च फिर ऐसा क्यों ?
शिक्षा के नाम पर सरकार लाखों रुपये खर्च करती है लेकिन अगर सरकारी अधिकारी यह कहें कि जमीन के अभाव में स्कूल भवन नहीं बन रहा है तो बड़ा अजीब लगता है. सड़क निर्माण के लिए जिस तरह से जमीन का अधिग्रहण किया जाता है उसी तरह कटिहार के चौहान टोला में भी स्कूल भवन के लिए जमीन का अधिग्रहण कर स्कूल भवन बनाया जा सकता है लेकिन इसके लिए सरकार और जिलों में बैठे वरीय अधिकारियों की नीयत साफ होनी चाहिए. जो इतने वर्षों तक नहीं दिखा. अब बुजुर्ग महिला ने जमीन दी है. उम्मीद है कि शायद अधिकारी नींद से जागें और स्कूल भवन बनाएं.
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