कटिहार : जिले में रेल पुलिस की संवेदनहीनता एक बार फिर उजागर हुई हैं. शव के पोस्टमार्टम के बाद जिस शव को मोर्चरी से भेजा जाना था, उस शव को रिक्शे पर रखकर थाने भेजा गया. स्थानीय लोगों ने इस मामले पर तंज कसते कहा कि जिस रेल पुलिस के संसाधन का वार्षिक बजट सालाना लाखों रुपये में हो. वहां शव रखने के लिये मोर्चरी तक नहीं होना सिस्टम की लापरवाही बताता हैं. लोगों ने रेल मंत्री से पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की हैं.
इलाज के दौरान युवक की हुई मौत
शहर के रास्ते में रिक्शे पर लदे यह उस बदनसीब का शव हैं. जिसे मरने के बाद भी सिस्टम की लापरवाही ने कपड़े की पोटली में सिकुरने को मजबूर कर दिया हैं. दरअसल, कटिहार रेलवे स्टेशन पर इंजन पर चढ़ने के दौरान एक युवक हाई टेंशन तार की चपेट में आने से बुरी तरह झुलस गया. इलाज के दौरान पीड़ित युवक की मौत हो गयी. रेल पुलिस ने अग्रतर कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिये कटिहार सदर अस्पताल भेज दिया. शव का कोई दावेदार नहीं था इसलिए रेल पुलिस को तीन दिन यानि 72 घंटे शव को अपने पास सुरक्षित रखना था. लेकिन पोस्टमार्टम होने के बाद शव को रिक्शे पर लाद कर रेल थाना पहुंचाया गया.
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
स्थानीय विक्टर झा बताते हैं कि यह बिल्कुल अमानवीय घटना हैं, क्योंकि शव को मोर्चरी के जरिये ही भेजा जाना हैं. लेकिन रिक्शे पर लादना अधिकारियों की लापरवाही हैं. उन्होंने रेल मंत्री से मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की हैं. इसे विडंबना कहें या सिस्टम की लापरवाही, रिक्शे पर अमानवीय तरीके से शव का ढोया जाना रेल पुलिस की पोल खोलता हैं. उम्मीद की जानी चाहिये कि रेल पुलिस के आलाधिकारी इस खबर पर संज्ञान लेते हुए शव वाहन इंतजाम के लिये आदेश जारी करेगें, ताकि अमानवीयता की यह तस्वीर दोबारा शहर में रिक्शे पर नहीं घूमता दिखे.