कटिहार: देश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नियमित खाना मिले, इसके लिए मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन सरकार की यह महात्कांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ताजा मामला जिले के मिरचाईबाड़ी स्थित हरि शंकर नायक मध्य विद्यालय का है, जहां नौनिहालों को मिड-डे-मील के नाम पर सिर्फ पतली सी दाल और चावल खिलाकर उन्हें संतुष्ट करा दिया जाता है.
'मीनू के हिसाब से नहीं मिलता है खाना'
इस बाबत स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा लक्ष्मी कुमारी और श्रेया कुमारी बताती है कि स्कूल में बाहर एनजीओ से खाना आता है. भोजन का गुणवत्ता काफी खराब रहता है, जिस वजह से हमलोग घर से खाना लेकर स्कूल आते है.
'सब्जी दाल में मिलाकर भेजी जाती है'
इस मामले पर विद्यालय की प्रभारी एचएम मनोरमा कुमारी का कहना है कि विद्यालय में एनजीओ की ओर से पका-पकाया भोजन आता है. खाना लगभग एक जैसा ही होता है. स्कूल में फिलहाल दाल और चावल भेजा गया है. सब्जी के नाम पर कद्दू और बंदगोभी को दाल में ही मिलाकर भेजा जाता है.
24 बच्चों पर 93 बच्चों का लिस्ट
स्कूल की पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि विद्यालय में आया हुआ भोजन को महज कुछ ही बच्चे खाते है. वहीं, इस मामले पर प्रभारी एचएम बताती है कि 24 बच्चों ने खाना खाया है और 93 बच्चों का लिस्ट भेजा गया है. भोजन को पहले चखने के सवाल पर उन्होंने बताया कि 'इस भोजन को हम नहीं चखते है, खिचड़ी बनाने वाली ( रसोईया ) ने भोजन चखा है. वे बताती है की इन सब मामलों को वह नहीं जानती है, स्कूल के एचएम छुट्टी पर है. इसलिए उनको प्रभार दिया गया है.
'बच्चों को किसी प्रकार से बहला-फुसला देते हैं'
इस मामले पर विद्यालय की रसोईया रंजना देवी बताती है की भोजन पौष्टिक और स्वादिष्ट नहीं होता है. जिस कारण स्कूल के अधिकांश बच्चे खाना नहीं खाते है. एनजीओ के द्वारा मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं दिया जाता है. बच्चे प्रतिदिन दाल-चावल खाने से मना करते है. लेकिन वह बच्चों को किसी प्रकार से बहला-फुसला कर खिला देती है.
बड़े स्तर पर हो रहा घोटाला
गौरतलब है कि जिले के शहरी क्षेत्रों में पिछले 7 साल से मध्यान भोजन की जिम्मेवारी एनजीओ को दे दिया गया है. एनजीओ के पास जिम्मेदारी जाने के बाद बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान भोजन के गुणवत्ता में कमी आई है. बच्चों को मीनू के हिसाब से खाना भी नहीं दिया जाता है. वहीं स्कूल प्रशासन की ओर से भी गड़बड़झाला किया जा रहा है, ईटीवी भारत संवाददाता ने जांच के दौरान पाया कि स्कूल में महज 24 बच्चों ने खाना खाया जबकी स्कूल की ओर से बच्चों का लिस्ट भेजा गया. ऐसे में 69 बच्चों का खाना का घोटाला किया जा रहा है.
'मीनू के अनुसार भोजन परोसने का है नियम'
मध्याह्न भोजन के तहत जारी नियमों के अनुसार विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन मीनू के अनुसार दिए जाने से लेकर भोजन परोसने तक की व्यवस्था दी गई है. विद्यालय में माता समितियां गठित है. बच्चों को खाना परोसने से पहले रसोइयां, माता समिति के सदस्य और शिक्षक द्वारा खाने को चखने की व्यवस्था शामिल है. लेकिन ये सभी नियम सरकारी कागजों तक ही सीमित हैं.
क्या है मिड-डे-मील?
मिड-डे-मील मतलब मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके तहत देश के प्राथमिक-लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निशुल्क प्रदान किया जाता है. इस योजना का उद्देश्य विद्यालयों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने और उपस्थिति को लेकर किया गया था.