कटिहार: जिले में बाढ़ के नाम पर राहत और एफडीआर वर्क पीड़ितों की मदद नहीं बल्कि अधिकारियों के लिए लूट-खसोट का जरिया बन गया है. हर साल आने वाले बाढ़ की त्रासदी से जहां लाखों के जान-माल का नुकसान होता है. वहीं, आपदा प्रबंधन कानून के तहत आज तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई. यहां के सिटीजन फोरम में जिले के 8 अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ताओं ने अपील की है कि बाढ़ राहत के नाम पर लूट-खसोट करने वाले आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
हजारों किसान ऋण के बोझ से दबे
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी से गुहार लगाते हुए सिटी सिटीजन फोरम के अध्यक्ष आशीष कुमार सिंह ने बताया कि यहां बाढ़ एक मानव कृत आपदा है. 2016, 2017 और 2019 में आये बाढ़ में विभाग की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों की जानें गयी हैं. हर साल आने वाली बाढ़ जैसी समस्या के लिए आज तक लोगों को सही तरीके से मुआवजा नहीं मिल पाया है. सही आंकलन नहीं होने के कारण किसानों को उचित फसल क्षतिपूर्ति नहीं मिली. जिस वजह से किसानों को बीमा कंपनियों से मुआवजा राशि नहीं मिली और कंपनियों को अवैध रूप से काफी रुपये का फायदा हुआ. जिसका नतीजा यह है कि आज भी हजारों किसान ऋण की बोझ से दबे हैं और पदाधिकारी बंदरबांट कर मालामाल हो जाते हैं.
8 अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज
इस लूट को रोकने के लिये जिला लोक शिकायत प्राधिकरण में आठ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गयी थी. जिसे प्राधिकार ने सही मानते हुए कार्रवाई का आदेश दिया. इसके बाद कमलेश कुमार सिंह (अपर समाहर्ता ), अर्जुन प्रताप सिंह (अपर समाहर्ता रिलिफ ), चन्द्रदेव प्रसाद (जिला कृषि पदाधिकारी), रामकुमार पोद्दार (जिला पंचायती राज पदाधिकारी ), चंद्र भूषण गुप्ता (अग्रणी जिला प्रबंधक), संजय कुमार झा (जिला सहकारिता पदाधिकारी) और जिला अंकेक्षण प्राधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. वहीं, इस तरह की कार्रवाई से बाढ़ राहत में लूट करने वाले अधिकारियों में हड़कंप मचा है.