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कटिहार: चारे की कमी के कारण बेजुबान जानवर परेशान, विभाग के दावे निकले खोखले - परेशानी

बाढ़ के कारण पशुओं के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ पीड़ित काफी परेशान हैं. वहीं, जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी का कहना है कि पशुओं के लिए चारे की पर्याप्त व्यवस्था है. जो पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो रही है.

बाढ़ के कारण पशुओं के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गयी है
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Published : Jul 28, 2019, 1:37 PM IST

कटिहार: जिले में पशुपालन विभाग के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 61702 जानवर बाढ़ प्रभावित हैं. इसके लिये सूखा चारा भी उपलब्ध है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. पशुओं के लिए कहीं कोई चारा की व्यवस्था नहीं है. पशुपालक काफी परेशान हैं.

बाढ़ के कारण पशुओं के लिए चारे की समस्या

चारों तरफ पानी होने से पशु चारे की समस्या
आजमनगर प्रखंड के महानंदा नदी के तटबंध पर बाढ़ पीड़ित अपने मवेशियों के साथ शरण लिये हुए हैं. चारों तरफ पानी होने के कारण मवेशियों को लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सूखे चारे पुआल के पानी में भींगने के कारण सड़ गए हैं. जिसकी वजह से पशुओं के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है.

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खेतों में फैला बाढ़ का पानी

बाढ़ पीड़ितों ने सुनाया अपना दुख-दर्द
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मवेशियों के लिए सूखा चारा खरीद कर खिलाने में हम असमर्थ हैं. वहीं, पशुपालन विभाग की तरफ से हमारे पशुओं के लिए कोई चारे की व्यवस्था नहीं करवाई गयी है. लोग जैसे-तैसे मवेशी को पाल रहे हैं.

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पशु को चारे की किल्लत

सरकारी अधिकारी कर रहे दावे
जिला पशुपालन पदाधिकारी अजित कुमार सिंह ने कहा कि जिले में 61702 पशु बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. सभी के लिए सूखा चारा प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है. साथ ही पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सक पशुओं के इलाज के लिए काम कर रहे हैं.

कटिहार: जिले में पशुपालन विभाग के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 61702 जानवर बाढ़ प्रभावित हैं. इसके लिये सूखा चारा भी उपलब्ध है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. पशुओं के लिए कहीं कोई चारा की व्यवस्था नहीं है. पशुपालक काफी परेशान हैं.

बाढ़ के कारण पशुओं के लिए चारे की समस्या

चारों तरफ पानी होने से पशु चारे की समस्या
आजमनगर प्रखंड के महानंदा नदी के तटबंध पर बाढ़ पीड़ित अपने मवेशियों के साथ शरण लिये हुए हैं. चारों तरफ पानी होने के कारण मवेशियों को लिए चारे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सूखे चारे पुआल के पानी में भींगने के कारण सड़ गए हैं. जिसकी वजह से पशुओं के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है.

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खेतों में फैला बाढ़ का पानी

बाढ़ पीड़ितों ने सुनाया अपना दुख-दर्द
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मवेशियों के लिए सूखा चारा खरीद कर खिलाने में हम असमर्थ हैं. वहीं, पशुपालन विभाग की तरफ से हमारे पशुओं के लिए कोई चारे की व्यवस्था नहीं करवाई गयी है. लोग जैसे-तैसे मवेशी को पाल रहे हैं.

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पशु को चारे की किल्लत

सरकारी अधिकारी कर रहे दावे
जिला पशुपालन पदाधिकारी अजित कुमार सिंह ने कहा कि जिले में 61702 पशु बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. सभी के लिए सूखा चारा प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है. साथ ही पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सक पशुओं के इलाज के लिए काम कर रहे हैं.

Intro:.......बाढ़ प्रभावित कटिहार में जिला प्रशासन के सरकारी आँकड़ों के अनुसार , 61702 बेजुबान सैलाब से प्रभावित हुए हैं और इसके लिये सूखा चारा भी हैं उपलब्ध लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं......। पशुपालकों के सामने मवेशियों का चारा जुगाड़ करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा हैं ......।


Body:यह दृश्य कटिहार के आजमनगर प्रखंड के महानंदा नदी तटबंध का है जहाँ इलाके में बाढ़ आ जाने के कारण लोग विस्थापित होकर बाँध पर आ बसे हैं ......। चौदह दिन बाद आबादी वाले इलाके से बाढ़ का पानी चार फीट कम हो चुका है लेकिन खेतों में पानी अभी जमा है.....। कुछ लोग , जिनके घरों से पानी निकल चुका हैं , घर को लौट चुके हैं , कुछ लौटने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन इन सबके सामने बड़ी समस्या अपने मवेशियों के चारे की है क्योंकि आबादी वाले इलाके से पानी उतरने के कारण लोग धीरे-धीरे घरों में रहना तो शुरू कर दिये हैं लेकिन खेतों में पानी जमा हो जाने से रहने से अभी हरे चारे का संकट बरकरार है ......। सूखा चारा पुआल पानी में भींग कर सड़ गया है जिस कारण मवेशी इसे खाते नहीं हैं और इन लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि सूखा चारा खरीद के पशुओं को खिला सके ......। रही बात सरकारी इंतजामों की तो पशुपालन विभाग का चारा आज तक इन तक पहुँचा ही नहीं है लोग जैसे-तैसे मवेशी पाल रहे हैं ......। जरा सुनिये , मवेशी पालक हलना की जुबानी .....।
अब मजे की बात यह है कि जिला पशुपालन विभाग दावा करता है जिले में 61702 पशु बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और सभी के लिए सूखा चारा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है लेकिन यह उपलब्ध कहाँ है , यह कोई नहीं बता रहा .....। हकीकत तो यह है कि लोगों को सूखा चारा मिला ही नहीं है और सरकारी बाबुओं को कोरम पूरा करना हैं लिहाजा विभाग दावे पर दावे कर रहा हैं.....।


Conclusion:पशुपालन विभाग बाढ़ आने के कई महीने पहले से आसन्न सैलाब के दिनों के लिये सूखा चारा का भंडारण करता हैं ताकि बाढ़ के दिनों में पशुपालकों को सूखा चारा उपलब्ध कराया जा सकें लेकिन जब बाढ़ आती हैं तो ऐसे सरकारी दावों की पोल खुल जाती हैं और पीड़ित भगवान भरोसे रहने को मजबूर हो जातें हैं .....।
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