कैमूर: डिजिटल इंडिया के दौर में सरकारी स्कूल के बच्चे तपती गर्मी और धूप में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. कैमूर के भभूआ प्रखंड में 1949 यानि आजादी के समय से बना निबी गांव का मध्य विद्यालय स्कूल खंडहर हो चुका. नतीजतन छात्रों को हर मौसम में बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता है.
मध्य विद्यालय का निर्माण 1949 में हुआ था. जिसके बाद 2012 में इस विद्यालय में 2 नए कमरे बनाए गए थे. विद्यालय के पुराने दो कमरे पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं इसलिए उन्हें बन्द कर दिया गया हैं.
बच्चों की संख्या अधिक क्लासरूम दो
विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि इस विद्यालय में 1 से 8 तक की क्लास संचालित होती हैं, लेकिन क्लासरूम सिर्फ 2 हैं और बच्चों की संख्या अधिक है. इसलिए यह उनकी मजबूरी हैं कि बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठाकर पढ़ाते हैं. यही नहीं शिक्षा विभाग द्वारा ली जाने वाली बच्चों की वार्षिक परीक्षा भी पेड़ के नीचे ही होती है.
देखकर की जा रही अनदेखी
विद्यालय के कमरे टूट चूके हैं साथ ही स्कूल के चारों तरफ किसी तरह की बाउंड्री भी नहीं है. 14 वर्ष से पढ़ा रहे एक शिक्षक ने बताया कि अधिकारी कई बार स्कूल आ टूके हैं, उन्हें यहां की समस्या नजर भी आती है, लेकिन शायद वह वापस जाकर भूल जाते हैं.
बरसात में तो पेड़ों का भी नहीं सहारा
विद्यालय की शिक्षिका ने बताया कि बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है. बच्चों को पेड़ के नीचे भी नही बैठा सकते, किसी तरह से शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति हो जाती है.
शिक्षकों की भी कमी
स्कूल में सुविधाओं का तो अभाव है ही साथ ही ये भी एक समस्या है कि यहां बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों भी कमी है. 1 से 8 क्लास तक के लिए सिर्फ 4 शिक्षक है ऐसे में 1 से 5 तक कि पढ़ाई1 शिक्षक करवाते हैं, बाकी के तीन शिक्षक 3 क्लास को देखते हैं.