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कैमूर: अधौरा प्रखंड के कई गांवों में पानी की समस्या, नदी- तालाब किनारे पशुओं के साथ जा रहे लोग

बिहार में जल जीवन हरियाली पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, कहा गया था कि किसी भी जिले में पानी की समस्या नहीं होगी लेकिन अब जो तस्वीरें लगातार सामने आ रही है. उसमें सरकार दावों की हवा निकल गई है. कैमूर में अधौरा प्रखंड के कई गांवों में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं.

पशु
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Published : Apr 21, 2021, 3:12 PM IST

कैमूर: जिले के अधौरा प्रखंड के विभिन्न गांवों में पेयजल और जानवरों के पीने तक पानी नहीं है. पानी की दिक्कत के चलते लोग अपने पशुओं को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं. अपने पशुओं को लेकर नदी और तालाब के आस-पास अपना बसेरा बनाए हुए हैं. ताकि इनके पशुओं को आसानी से पीने का पानी मिल जाए.

मार्च से अगस्त तक पानी की परेशानी
पशु पालकों का कहना है कि अगस्त से लेकर मार्च महीने तक अधौरा प्रखंड के गांवों में पानी की कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन मार्च के बाद पानी की परेशानी हो जाती है. जिस कारण हम लोग अपने पशुओं को लेकर ग्रामीण इलाकों में नदी तालाब के आसपास अपना बसेरा बनाए रहते हैं. अधौरा के पहाड़ी में पानी नहीं मिलने से स्थानीय लोगों का जीवन काफी कष्टमय हो जाता है. जब हमें खुद पानी पीने की किल्लत हो जाती है, तो पशुओं को पानी में कहां से पीला पाएंगे.

ये भी पढ़ें- कोविड के विरुद्ध जंग में एम्स की महत्वपूर्ण भूमिका

सरकार की तरफ से नहीं की गयी व्यवस्था
उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष यही सिलसिला रहता है. अभी तक सरकार के द्वारा गर्मी के दिनों में पानी के लिए स्थाई कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. जिससे स्थानीय लोगों एवं पशुओं को पानी मिल सके. अगर बारिश के पानी को हर गांव में रुकने की व्यवस्था बना दिया जाए तो पानी की किल्लत दूर हो सकती है.

कैमूर: जिले के अधौरा प्रखंड के विभिन्न गांवों में पेयजल और जानवरों के पीने तक पानी नहीं है. पानी की दिक्कत के चलते लोग अपने पशुओं को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं. अपने पशुओं को लेकर नदी और तालाब के आस-पास अपना बसेरा बनाए हुए हैं. ताकि इनके पशुओं को आसानी से पीने का पानी मिल जाए.

मार्च से अगस्त तक पानी की परेशानी
पशु पालकों का कहना है कि अगस्त से लेकर मार्च महीने तक अधौरा प्रखंड के गांवों में पानी की कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन मार्च के बाद पानी की परेशानी हो जाती है. जिस कारण हम लोग अपने पशुओं को लेकर ग्रामीण इलाकों में नदी तालाब के आसपास अपना बसेरा बनाए रहते हैं. अधौरा के पहाड़ी में पानी नहीं मिलने से स्थानीय लोगों का जीवन काफी कष्टमय हो जाता है. जब हमें खुद पानी पीने की किल्लत हो जाती है, तो पशुओं को पानी में कहां से पीला पाएंगे.

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सरकार की तरफ से नहीं की गयी व्यवस्था
उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष यही सिलसिला रहता है. अभी तक सरकार के द्वारा गर्मी के दिनों में पानी के लिए स्थाई कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. जिससे स्थानीय लोगों एवं पशुओं को पानी मिल सके. अगर बारिश के पानी को हर गांव में रुकने की व्यवस्था बना दिया जाए तो पानी की किल्लत दूर हो सकती है.

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