कैमूर: बिहार सरकार में बैठे मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र की हकीकत उनके विकास की कहानी बयां करती है. जिला मुख्यालय भभुआ से करीब 35 किमी दूर रामगढ़ पंचायत के भालुबुढन गांव के ग्रामीणों ने सरकारी मदद की आस छोड़कर अपने बूते पहाड़ काटकर अपने लिए रास्ता बनाया है. यह पंचायत चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां से बिहार सरकार के खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद विधायक हैं.
दरअसल, रामगढ़ पंचायत का भालुबुढन गांव पहाड़ पर बसा है. लेकिन, आजादी के 7 दशकों बाद भी इस गांव में आने-जाने के लिए एक सड़क तक नहीं है. यहां बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. नतीजतन, ग्रामीणों से पिछले 2 साल में करीब 10 लाख रुपये चंदा इकट्ठा कर पहाड़ को तोड़ अपने लिए रास्ते का निर्माण किया है.
'आज तक नहीं देखा एंबुलेंस'
21वीं सदी में जहां हम आत्मनिर्भर बनने की बात कर रहे हैं वहीं, इस गांव के लोगों ने आज तक एम्बुलेंस नहीं देखा है. डिजिटल इंडिया में बसे इस गांव का आलम ये है कि आए दिन इलाज के अभाव में किसी न किसी की जान चली जाती है. आधुनिक भारत के इस भालुबुढन गांव में यदि किसी की तबीयत बिगड़ती है तो लोग बांस, खटिया और लकड़ी के सहारे मरीज को टांगकर पहाड़ों के बीच 3 कि.मी. चलते हुए वाहन खोजने पहुंचते हैं.
2002 में हुई थी नक्सलियों से मुठभेड़
ग्रामीण बताते हैं कि साल 2000 के समय इस गांव में नक्सलियों का बोलबाला था. लेकिन, 2002 में सभी ने एकजुट होकर नक्सलियों के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह किया और मुठभेड़ कर नक्सलियों को गांव से खदेड़ा था. ग्रामीण की मानें तो उस दौर में किसी अधिकारी, थाना पुलिस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे गांव में आएं. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि आज भी इस गांव में न जाने कितने अवैध हथियार हैं. लेकिन, यह सभी हथियार जंगली जानवर, नक्सलियों और बदमाशों से सुरक्षा के लिए है.
'5 सालों में एक बार भी विधायक को नहीं देखा'
बता दें कि बिहार सरकार में खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद इस क्षेत्र से विधायक हैं. लेकिन, गांव वालों की मानें तो चुनाव के बाद से आज तक उन्होंने अपने मंत्री को कभी नहीं देखा. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में सड़क, स्वास्थ्य और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. उन्हें सरकार से बस बुनियादी सुविधाओं की आस है. वे चाहते हैं कि पदाधिकारी गांव में आएं और सारे अवैध हथियारों को लेकर चले जाएं. लेकिन, इसके एवज् में उन्हें इस जंगल से मुक्ति दिलाकर पहाड़ के नीचे रहने के लिए जमीन उपलब्ध करा दें.