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कैमूर: इस गांव में सिर्फ एक दिन के लिए हुआ था विकास, ODF घोषित, लेकिन नहीं है शौचालय

करीब 8 महीने पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम ने भी इस गांव का दौरा किया था. जिसके बाद ग्रामीणों में विकास की उम्मीद जगी थी. लोगों को लगा कि सारे वायदे जल्द ही हकीकत में तब्दील होंगे. लेकिन, मुख्यमंत्री के वापस लौटते ही जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण आजतक गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है.

इलाज के लिए ले जाते ग्रामीण
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Published : Aug 25, 2019, 11:34 PM IST

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर बसा करकटगढ़ गांव आजादी के 73 साल बाद भी अपने विकास की आस लगाए बैठा है. इस गांव के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. लोग आज भी अच्छी शिक्षा, बेहतर इलाज, पक्की सड़क और सुलभ यातायात को तरस रहे हैं. जब कोई बीमार होता है तो उसे कंधे पर लादकर डॉक्टर के पास पहुंचाया जाता है.

Kaimur
सुविधाओं को तरस रहे लोग

करीब 8 महीने पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम ने भी इस गांव का दौरा किया था. जिसके बाद ग्रामीणों में विकास की उम्मीद जगी थी. लोगों को लगा कि सारे वायदे जल्द ही हकीकत में तब्दील होंगे. लेकिन, मुख्यमंत्री के वापस लौटते ही जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण आजतक गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है.

ईटीवी भारत कौशल सिन्हा की रिपोर्ट

ODF घोषित हो चुका है जिला
जब इस गांव में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो ग्रामीणों का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने जिला प्रशासन के दांवों की पोल खोल दी. हैरानी की बात यह है कि ओडीएफ घोषित हो चुके कैमूर के इस गांव के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को विवश हैं.

Kaimur
शिक्षा के अभाव में बच्ची

रातों-रात बना दी गई 22 किमी सड़क
पहले इस गांव में पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं थी. लेकिन, जब इस साल जनवरी में मुख्यमंत्री के आने की बात हुई तो गांव में पहुंचने के लिए सड़क बनाई गई. जैसे ही जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की सूचना मिली तो प्रशासन ने रात-दिन एक करके मात्र 3 दिनों में 22 किमी पहाड़ी पर सड़क बना दी. कैम्प लगाकर ग्रामीणों को सभी सुविधाएं देने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू हो गई. लेकिन, मुख्यमंत्री के जाते हैं, सबकुछ ठप हो गया.

Kaimur
लोगों ने सुनाई आपबीती

शौचालय की चाहरदीवारी तो है लेकिन...
ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए चारदीवारी भी बनाई गई. लेकिन, शौचालय में सीट नहीं लगवाया गया. आज भी गांव के सभी लोग खुले में शौच जाते हैं. यही नहीं जब गांव में किसी की तबीयत खराब होती है, तो उसे कंधे पर लादकर पड़ोसी राज्य यूपी इलाज के लिए ले जाया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि सीएम के आने के बाद गांव में केवल बिजली मिली हैं. बाकी सभी सुविधाएं कागजों में ही रह गई हैं.

Kaimur
परेशान महिला

इको टूरिज्म डेवलपमेंट के तहत होगा विकास- DM
इस बाबत जब डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी से जवाब-तलब किया गया तो उन्होंने पहले बात टालने की कोशिश की. लेकिन, बाद में इस मुद्दे पर रटा रटाया जवाब दिया. डीएम ने कहा कि गांव में विकास का कार्य हुआ है. कुछ लाभुकों को अगर योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, तो विभाग उनके लिए भी कार्य करेगा. डीएम ने बताया कि गांव को इको विलेज बनाने की योजना हैं. करकटगढ़ को इको टूरिज्म डेवलपमेंट के तहत विकसित करने की बात चल रही है.

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर बसा करकटगढ़ गांव आजादी के 73 साल बाद भी अपने विकास की आस लगाए बैठा है. इस गांव के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. लोग आज भी अच्छी शिक्षा, बेहतर इलाज, पक्की सड़क और सुलभ यातायात को तरस रहे हैं. जब कोई बीमार होता है तो उसे कंधे पर लादकर डॉक्टर के पास पहुंचाया जाता है.

Kaimur
सुविधाओं को तरस रहे लोग

करीब 8 महीने पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सीएम ने भी इस गांव का दौरा किया था. जिसके बाद ग्रामीणों में विकास की उम्मीद जगी थी. लोगों को लगा कि सारे वायदे जल्द ही हकीकत में तब्दील होंगे. लेकिन, मुख्यमंत्री के वापस लौटते ही जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण आजतक गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है.

ईटीवी भारत कौशल सिन्हा की रिपोर्ट

ODF घोषित हो चुका है जिला
जब इस गांव में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो ग्रामीणों का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने जिला प्रशासन के दांवों की पोल खोल दी. हैरानी की बात यह है कि ओडीएफ घोषित हो चुके कैमूर के इस गांव के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को विवश हैं.

Kaimur
शिक्षा के अभाव में बच्ची

रातों-रात बना दी गई 22 किमी सड़क
पहले इस गांव में पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं थी. लेकिन, जब इस साल जनवरी में मुख्यमंत्री के आने की बात हुई तो गांव में पहुंचने के लिए सड़क बनाई गई. जैसे ही जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की सूचना मिली तो प्रशासन ने रात-दिन एक करके मात्र 3 दिनों में 22 किमी पहाड़ी पर सड़क बना दी. कैम्प लगाकर ग्रामीणों को सभी सुविधाएं देने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू हो गई. लेकिन, मुख्यमंत्री के जाते हैं, सबकुछ ठप हो गया.

Kaimur
लोगों ने सुनाई आपबीती

शौचालय की चाहरदीवारी तो है लेकिन...
ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए चारदीवारी भी बनाई गई. लेकिन, शौचालय में सीट नहीं लगवाया गया. आज भी गांव के सभी लोग खुले में शौच जाते हैं. यही नहीं जब गांव में किसी की तबीयत खराब होती है, तो उसे कंधे पर लादकर पड़ोसी राज्य यूपी इलाज के लिए ले जाया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि सीएम के आने के बाद गांव में केवल बिजली मिली हैं. बाकी सभी सुविधाएं कागजों में ही रह गई हैं.

Kaimur
परेशान महिला

इको टूरिज्म डेवलपमेंट के तहत होगा विकास- DM
इस बाबत जब डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी से जवाब-तलब किया गया तो उन्होंने पहले बात टालने की कोशिश की. लेकिन, बाद में इस मुद्दे पर रटा रटाया जवाब दिया. डीएम ने कहा कि गांव में विकास का कार्य हुआ है. कुछ लाभुकों को अगर योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, तो विभाग उनके लिए भी कार्य करेगा. डीएम ने बताया कि गांव को इको विलेज बनाने की योजना हैं. करकटगढ़ को इको टूरिज्म डेवलपमेंट के तहत विकसित करने की बात चल रही है.

Intro:कैमूर।

जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर बसे करकटगढ़ गांव के आज भी विकास की तलाश हैं। आपकों बतादें कि 8 माह पहले सीएम नीतीश कुमार ने इस गांव का दौरा किया था। जिसका बाद ग्रामीणों में विकास की उम्मीद जागी लेकिन मुख्यमंत्री के वापस लौटते ही जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण आजतक गांव में बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नही हो पाई हैं।


Body:जिला मुख्यालय भभुआ से 50 किमी की दूरी पर कैमूर पहाड़ी पर बसे इस गांव जब ईटीवी भारत पहुँचा तो जिला प्रशासन की सारी पोल खुल गई हैं और ग्रामीणों ने बताया कि ओडीएफ कैमूर जिले के इस गांव के ग्रामीण आज भी खुले भी शौच के लिए विवश हैं।

आपकों बतादें कि मुख्यमंत्री का आगमन इसी साल 8 जनवरी को इस गांव में हुआ था। मुख्यमंत्री के आगमन से पहले तो इस गांव में पहुँचने के लिए सड़क तक नही था। लेकिन जैसे ही जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की सूचना हुई प्रशासन ने रात दिन एक कार मात्र 3 दिनों में 22 किमी पहाड़ी पर सड़क बना दिया। यही नही गांव में शौचालय निर्माण भी कराया गया और कैम्प लगाकर ग्रामीणों को सभी सुविधाएं देने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू हो गई। लेकिन मुख्यमंत्री के जाते हैं सब कुछ ठप हो जाता हैं और गांव की तकदीर बनते बनते बिगड़ गई।

ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय का निर्माण कराया गया चार दिवारी बनाई गई लेकिन शौचालय में सीट नही लगवाया गया। आज भी गांव के सभी लोग खुले में शौच के लिये जाते हैं। यही नही गांव में किसी की तबियत खराब होती हैं तो उसे कंधे पर बैठाकर पड़ोसी राज्य यूपी ईलाज के लिए ले जाया जाता हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सीएम के आने के बाद गांव में केवल बिजली मिली हैं बाकी सभी सुविधाओं के लिए कागजी कार्रवाई कैम्प लगाकर की गई थी लेकिन आजतक पूरा न हो सका। ऐसे में ग्रामीणों को यह उम्मीद है कि यदि दोबारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांव में आएंगे तो रुका हुआ विकास पूरा हो जाएगा। ग्रामीणों को जिला प्रशासन पर विकास के लिए भरोसा नही हैं इसलिए ग्रामीण सीएम की राह देख रहे हैं।

डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी से जब गांव के विकास के बारे में पूछा गया तो डीएम साहेब पहले तो काम का बहाना बनाकर इस मुद्दे को टालने की कोशिश करते हैं। बार बार पूछने के 4 दिनों बाद डीएम ने इस मुद्दे पर रटा रटाया जवाब दिया। डीएम ने बताया कि गांव में विकास का कार्य हुआ हैं। कुछ लाभुकों को अगर योजना का लाभ नही मिल पाया है तो जल्द ही विभाग से संपर्क का योजना उपलब्ध कराने की कहा जायेगा। डीएम ने बताया कि गांव को इको विलेज बनाने की योजना हैं और करकटगढ़ को इको टूरिज्म डेवलोपमेन्ट की बात चल रही हैं। जिसके लिए वन विभाग को राशि उपलब्ध कराई गई हैं।


Conclusion:
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