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भुखमरी के कगार पर खड़े प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक, कहा- प्रशासन करे जमीनी स्तर पर समीक्षा

शिक्षकों का कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंस की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं, तो वहां कोरोना का खतरा नहीं है. जबकि एक विद्यालय का शिक्षक शिक्षा बांट रहा है तो वहां कैसे खतरा हो सकता है. सोशल डिस्टेंस स्कूल में भी मेन्टेन किया जा सकता है.

निजी विद्यालय के शिक्षक,
निजी विद्यालय के शिक्षक,
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Published : Jul 2, 2020, 9:58 AM IST

कैमूर : कोरोना काल में अनलॉक 2.0 लागू किया जा चुका है. इस दौरान भी स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया गया है. लाॅक डाउन अवधि से देश के सारे शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर छोटे शहर में संचालित निजी स्कूल के शिक्षकों पर पड़ा है.

तीन महीने से जारी लाॅक डाउन के कारण ये शिक्षक अब भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. निजी विद्यालय के शिक्षक सरकार से नियमों को जमीनी स्तर पर जांच कर लागू करने की गुहार लगा रहे हैं.

भुखमरी के कगार पर खड़े शिक्षक
जिले में निजी शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से पढ़ाई तो बाधित हुई ही है, साथ ही निजी स्कूल अपने शिक्षकों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं जिसके कारण शिक्षक न सिर्फ भूखमरी के कगार पर खड़े हैं, बल्कि परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डीएम के कहने पर भी नहीं हुआ भुगतान
शिक्षकों ने बताया कि घर से रोजाना ऑनलाईन क्लास भी बच्चों को करा रहें हैं, फिर भी वेतन का भुगतान नहीं हुआ. जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने विद्यालय निदेशकों के साथ बैठक में शिक्षकों का वेतन समय पर देने की बात कही थी. इसके बावजूद निजी विद्यालयों के जरिए अपने शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः महात्मा गांधी सेतु पर लग रहा महाजाम, उमस भरी गर्मी में परेशान होते हैं लोग

'स्कूल खोलने की दी जाए छूट'
बता दें कि लाॅक डाउन के कारण 24 मार्च से ही विद्यालय बंद है. तब से स्कूल के जरिए एक भी महिने का वेतन भुगतान नहीं किया गया है. शिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि नियमों की जमीनी स्तर पर जांच कर स्कूल खोलने की छूट दी जाए. नियमों का पालन कर सोशल डिस्टेंस स्कूल में भी मेन्टेन किया जा सकता है.

कैमूर : कोरोना काल में अनलॉक 2.0 लागू किया जा चुका है. इस दौरान भी स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया गया है. लाॅक डाउन अवधि से देश के सारे शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर छोटे शहर में संचालित निजी स्कूल के शिक्षकों पर पड़ा है.

तीन महीने से जारी लाॅक डाउन के कारण ये शिक्षक अब भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. निजी विद्यालय के शिक्षक सरकार से नियमों को जमीनी स्तर पर जांच कर लागू करने की गुहार लगा रहे हैं.

भुखमरी के कगार पर खड़े शिक्षक
जिले में निजी शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से पढ़ाई तो बाधित हुई ही है, साथ ही निजी स्कूल अपने शिक्षकों को वेतन भी नहीं दे पा रहे हैं जिसके कारण शिक्षक न सिर्फ भूखमरी के कगार पर खड़े हैं, बल्कि परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डीएम के कहने पर भी नहीं हुआ भुगतान
शिक्षकों ने बताया कि घर से रोजाना ऑनलाईन क्लास भी बच्चों को करा रहें हैं, फिर भी वेतन का भुगतान नहीं हुआ. जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने विद्यालय निदेशकों के साथ बैठक में शिक्षकों का वेतन समय पर देने की बात कही थी. इसके बावजूद निजी विद्यालयों के जरिए अपने शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

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'स्कूल खोलने की दी जाए छूट'
बता दें कि लाॅक डाउन के कारण 24 मार्च से ही विद्यालय बंद है. तब से स्कूल के जरिए एक भी महिने का वेतन भुगतान नहीं किया गया है. शिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि नियमों की जमीनी स्तर पर जांच कर स्कूल खोलने की छूट दी जाए. नियमों का पालन कर सोशल डिस्टेंस स्कूल में भी मेन्टेन किया जा सकता है.

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