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कैमूर: कर्मनाशा नदी पर बना स्टील ब्रिज हुआ जर्जर, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

कैमूर में दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाले एनएच-2 पर कर्मनाशा नदी पर बना अस्थाई ब्रिज कभी भी धराशायी हो सकता है. एनएचआई इसकी वजह ओवरलोडिंग ट्रकों के परिचालन को बताया है. साथ ही जिला प्रशासन को ओवरलोडिंग ट्रकों पर रोक लगाने की मांग की है.

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Published : Dec 15, 2020, 9:37 PM IST

स्टील ब्रिज हुआ जर्जर
स्टील ब्रिज हुआ जर्जर

कैमूर: दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाला एनएच-2 पर कभी भी ब्रेक लग सकता है. कैमूर के एनएच-2 कर्मनाशा नदी पर बना अस्थाई ब्रिज जर्जर अवस्था में है, जो कभी भी टूट सकता है. पिछले साल कर्मनाशा नदी पर पुराने पुल के एक पिल्लर में दरार आ गई थी. जिसके बाद एनएचआई ने तत्काल वाहनों के पुल पार करने पर रोक लगा दी थी. उस दौरान दो महीने तक बिहार का यूपी से संपर्क टूट गया था.

कर्मनाशा नदी पर बना स्टील ब्रिज हुआ जर्जर

स्टील ब्रिज भी हुआ जर्जर
वैकल्पिक तौर पर पुराने पुल के बगल में स्टील ब्रिज बनाया गया था. वाहनों के परिचालन के लिए शुरू किए गए इस स्टील पुल की स्थिति एक साल बाद ही काफी जर्जर हो गई और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. एनएचआई ने जिला प्रशासन से इस रास्ते से जाने वाले ओवरलोड बालू लदे ट्रकों पर रोक लगाने को कहा है. एनएचआई ने कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इससे अवगत करा दिया है.

ओवरलोडिंग ट्रक बने समस्या
गौरतलब है कि एनएच-2 के रास्ते ओवरलोड बालू लदे ट्रक चल रहे हैं. स्टील ब्रिज की क्षमता 50 से 60 टन का भार सहन करने की है. उसके बावजूद लगातार ओवरलोडिंग वाहन इस ब्रिज से गुजर रहे हैं. जिससे स्टील ब्रिज कई जगह से टूट गया है. लोडिंग वाहन के कारण 6 महीने में ही स्टील ब्रिज जर्जर स्थिति में पहुंच गया है.

मरम्मत में करोड़ों रुपए हुए खर्च
डायवर्जन के लिए बने पुल की लागत 16 करोड़ रुपए आई थी. स्टील ब्रिज बनाने में 8 करोड़ रुपए खर्च आया था. तो वहीं, पुराने पुल का को बनाने में भी 10 करोड़ खर्च किया गया था. पुल को दुरुस्त तो कर लिया गया है लेकिन एनएचआई को डर है कि प्रशासन ने अगर फिर से ओवर लोडिंग नहीं रोकी तो पुल समय से पहले ही टूट सकता है. एनएचआई का कहना है कि पहले प्रशासन ओवरलोडिंग पर रोक लगाए तभी पुराने पुल से जाने की अनुमति देंगे.

'जो पुल डैमेज हुआ था उसको नए सिरे से बनाया गया है. जिसमें 6 महीने का समय लग गया. अभी पुल पर क्षमता के अनुसार परिचालन हो सकता है'- अरविंद सिंह, क्वालिटी क्वांटिटी इंजीनियर, एनएचआई

2010 में करोड़ों की लागत से बने पुल 9 साल में ही टूट गया. वहीं, एनएचआई ने ओवरलोडिंग का हवाला देते हुए मात्र एक साल में नदी पर पुल और बरामती स्टील ब्रिज डायवर्जन पर 34 करोड़ रुपए खर्च कर डाले. कैमूर जिले के कांग्रेसी नेता जाम में फंस गए उन्होंने बताया कि ये सभी की मिलीभगत है. जिसके कारण ओवरलोड गाड़ियां इस रास्ते से गुजर रही हैं. अगर सरकार परिचालन पर रोक नहीं लगाती है तो हम सभी बहुत जल्द आंदोलन करेंगे.

कैमूर: दिल्ली से कोलकाता को जोड़ने वाला एनएच-2 पर कभी भी ब्रेक लग सकता है. कैमूर के एनएच-2 कर्मनाशा नदी पर बना अस्थाई ब्रिज जर्जर अवस्था में है, जो कभी भी टूट सकता है. पिछले साल कर्मनाशा नदी पर पुराने पुल के एक पिल्लर में दरार आ गई थी. जिसके बाद एनएचआई ने तत्काल वाहनों के पुल पार करने पर रोक लगा दी थी. उस दौरान दो महीने तक बिहार का यूपी से संपर्क टूट गया था.

कर्मनाशा नदी पर बना स्टील ब्रिज हुआ जर्जर

स्टील ब्रिज भी हुआ जर्जर
वैकल्पिक तौर पर पुराने पुल के बगल में स्टील ब्रिज बनाया गया था. वाहनों के परिचालन के लिए शुरू किए गए इस स्टील पुल की स्थिति एक साल बाद ही काफी जर्जर हो गई और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. एनएचआई ने जिला प्रशासन से इस रास्ते से जाने वाले ओवरलोड बालू लदे ट्रकों पर रोक लगाने को कहा है. एनएचआई ने कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद जिला प्रशासन को पत्र लिखकर इससे अवगत करा दिया है.

ओवरलोडिंग ट्रक बने समस्या
गौरतलब है कि एनएच-2 के रास्ते ओवरलोड बालू लदे ट्रक चल रहे हैं. स्टील ब्रिज की क्षमता 50 से 60 टन का भार सहन करने की है. उसके बावजूद लगातार ओवरलोडिंग वाहन इस ब्रिज से गुजर रहे हैं. जिससे स्टील ब्रिज कई जगह से टूट गया है. लोडिंग वाहन के कारण 6 महीने में ही स्टील ब्रिज जर्जर स्थिति में पहुंच गया है.

मरम्मत में करोड़ों रुपए हुए खर्च
डायवर्जन के लिए बने पुल की लागत 16 करोड़ रुपए आई थी. स्टील ब्रिज बनाने में 8 करोड़ रुपए खर्च आया था. तो वहीं, पुराने पुल का को बनाने में भी 10 करोड़ खर्च किया गया था. पुल को दुरुस्त तो कर लिया गया है लेकिन एनएचआई को डर है कि प्रशासन ने अगर फिर से ओवर लोडिंग नहीं रोकी तो पुल समय से पहले ही टूट सकता है. एनएचआई का कहना है कि पहले प्रशासन ओवरलोडिंग पर रोक लगाए तभी पुराने पुल से जाने की अनुमति देंगे.

'जो पुल डैमेज हुआ था उसको नए सिरे से बनाया गया है. जिसमें 6 महीने का समय लग गया. अभी पुल पर क्षमता के अनुसार परिचालन हो सकता है'- अरविंद सिंह, क्वालिटी क्वांटिटी इंजीनियर, एनएचआई

2010 में करोड़ों की लागत से बने पुल 9 साल में ही टूट गया. वहीं, एनएचआई ने ओवरलोडिंग का हवाला देते हुए मात्र एक साल में नदी पर पुल और बरामती स्टील ब्रिज डायवर्जन पर 34 करोड़ रुपए खर्च कर डाले. कैमूर जिले के कांग्रेसी नेता जाम में फंस गए उन्होंने बताया कि ये सभी की मिलीभगत है. जिसके कारण ओवरलोड गाड़ियां इस रास्ते से गुजर रही हैं. अगर सरकार परिचालन पर रोक नहीं लगाती है तो हम सभी बहुत जल्द आंदोलन करेंगे.

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