कैमूर: बिहार की भोजपुरी और लोक गायिका नेहा सिंह राठौड़ अपने गानों के लिए मशहूर हैं. नेहा खुद ही गाने लिखती हैं, और उन गानों में सरकार पर कटाक्ष होता है. इसके अलावा वो खुद ही उस गाने को अपनी आवाज देती हैं. आज तक नेहा ने अपने गानों में कभी छात्रों का दर्द सुनाया तो कभी किसानों का दर्द महसूस कराया. हाल ही में नेहा नए गाने 'बिहार में का बा' से सुर्खिया बटोर रही हैं.
गाने लिखकर नेहा ने दिया कड़ा संदेश
नेहा सिंह राठौर के गाए नए गाने से चुनावी साल में राजनीतिक गलियारों में माहौल गरम हो गया है. उन्होंने कहा कि गानों के जरिए लोगों की समस्या सरकार तक संदेश पहुंचाने की कोशिश की है. वहीं किसानों की समस्या हो या बेरोजगारी की बात इन सबसे जुड़े मुद्दों पर गाने लिखकर नेहा ने एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की.
चुनावी साल में बिहार के हालात बयां करता है गाना
'बिहार में का बा' गाने के बोल कुछ इस तरह है कि जिससे चुनावी साल में बिहार के हालात बयां करने की कोशिश की गई है. मौजूदा समय में प्रदेश बाढ़ और कोरोना की मार झेल रहा है. लोग बेरोजगारी, महामारी और बाढ़ के हालातों से निपट रहे हैं. प्रवासी मजदूरों की समस्या, ग्रामीण इलाको में दबंगई इन जैसी सभी समस्याओं का जिक्र किया है.
लोगों की समस्या सरकार तक पहुंचाने की कोशिश
गानों के जरिए सरकार पर कटाक्ष और तंज कसने के सवाल पर नेहा सिंह राठौर ने बताया कि मैं कोई राजनितिक शख्स नहीं हूं और न ही विपक्ष का हिस्सा हूं, जो सरकार पर निशाना साधे. मैं एक गायिका हूं, और अपने गानों से लोगों की समस्या सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हूं.
देश में मौजूद हालातों पर गाने
नेहा ने कहा कि आज देश में जो माहौल बना है, वो बेहद चिंताजनक है. छात्र डिग्रियां लेकर बेरोजगार बैठे हैं, उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है. किसानों के लिए सरकार ने बिल पेश किया उसका भी चौतरफा विरोध जारी है. इन तमाम हालातों पर ही मेरे गाने हैं.
गाने से वोट देने के लिए किया प्रेरित
नेहा ने अपने गाने से विधानसभा चुनाव में लोगों को वोट देने के लिए भी प्रेरित किया. लेकिन हमेशा की तरह ही इस गीत में भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधा. उस गीत के बोल में नेहा जनता को आगाह कर रहीं हैं. वो कह रही है कि वोट देने तो लोग मास्क और सैनिटाइजर लेकर ही बाहर निकलेंगे, लेकिन सरकार विकास के जो दावे करती है, उसमें से कुछ ही काम पूरे कर पाएगी.
भोजपुरी को एक मुकाम देने की कोशिश
नेहा सिंह राठौड़ कैमूर के जंदाहा गांव की रहने वाली हैं. उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में हुई है और 2018 में कानपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद 2019 और 2020 में उन्होंने गायिकी की ओर रुख किया. उन्होंने कहा कि भोजपुरी को एक मुकाम देने के लिए ही मैंने इस भाषा में गाना शुरू किया. मैं लोकगीतों को भी में काफी बढ़ावा दूंगी.