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अजब है शिक्षा का हाल, कभी-कभी खुलता है ये स्कूल, बाकी दिन चरती हैं बकरियां

उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिक्षक समेत शिक्षा का भी घोर अभाव है. यह स्कूल महीने में चंद दिन खुलते हैं, बाकी दिनों में स्कूल में ताला लटका रहता है. यह हैरानी की है कि यह स्कूल जिला मुख्यालय से महज 75 किमी दूर ही है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय
reversed middle school
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Published : Dec 3, 2019, 10:48 AM IST

कैमूर: जिले के चफना में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ताला लगा रहता है. यह स्कूल महीने में केवल 3-4 दिन ही खुलता है. इस कारण बच्चों की शिक्षा व्यवस्था दांव पर लगा हुआ है. वहीं स्कूल में केवल गिने-चुने शिक्षक ही हैं, जो समय पर कभी स्कूल आते तक नहीं है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय
स्कूलों में लगा रहता है ताला

शिक्षा व्यवस्था में चूक
नीतीश सरकार के राज में शिक्षा व्यवस्था भले ही फलने-फूलने की बात आपने सुनी होगी. लेकिन ऐसा विकास हर जगह हो ऐसा नहीं है. दरअसल, जिले के पहाड़ी क्षेत्र में अधौरा प्रखंड के चफना में एक उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. इस स्कूल के होने से बच्चों का विकास तो सभंव था, लेकिन यहां के शिक्षक ही जब पढ़ाई के प्रति उदासीन हो तो विकास कैसे हो.

महीने में कभी-कभी खुलता है ये स्कूल

शिक्षक सहित शिक्षा का अभाव
बताया जाता है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिक्षक समेत शिक्षा का भी घोर अभाव है. यह स्कूल महीने में चंद दिन खुलते हैं, बाकी दिनों में स्कूल में ताला लटका रहता है. यह हैरानी की है कि यह स्कूल जिला मुख्यालय से महज 75 किमी दूर ही है.

महीने में एक आध बार खुलता है विद्यालय
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय महीने में कई दिनों तक बन्द रहता है. वहीं शिक्षक किसी दिन आते भी हैं तो जल्दी ही ताला लटकाकर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालय महीने में 4-6 दिनों तक संचालित किया जाता है. वो भी सिर्फ एक टीचर के भरोशे बाकी इस विद्यालय के प्रिंसिपल सहित अन्य शिक्षक महीने में 2-4 दिनों के लिए आते हैं और खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं.

अधिकारियों से मिलता है आश्वासन
ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक के आभाव और लचीली व्यवस्था के कारण यहां बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने को मजबूर हैं. वहीं इसके बारे में शिकायत करने पर अधिकारियों से केवल आश्वासन मिलता है. जबकि विद्यालय में कई ऐसे शिक्षक हैं जो सालों से विद्यालय में कदम तक नहीं रखे हैं. ऐसे में कैसी होगी यहां की शिक्षा व्यवस्था इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा.

कैमूर: जिले के चफना में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ताला लगा रहता है. यह स्कूल महीने में केवल 3-4 दिन ही खुलता है. इस कारण बच्चों की शिक्षा व्यवस्था दांव पर लगा हुआ है. वहीं स्कूल में केवल गिने-चुने शिक्षक ही हैं, जो समय पर कभी स्कूल आते तक नहीं है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय
स्कूलों में लगा रहता है ताला

शिक्षा व्यवस्था में चूक
नीतीश सरकार के राज में शिक्षा व्यवस्था भले ही फलने-फूलने की बात आपने सुनी होगी. लेकिन ऐसा विकास हर जगह हो ऐसा नहीं है. दरअसल, जिले के पहाड़ी क्षेत्र में अधौरा प्रखंड के चफना में एक उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. इस स्कूल के होने से बच्चों का विकास तो सभंव था, लेकिन यहां के शिक्षक ही जब पढ़ाई के प्रति उदासीन हो तो विकास कैसे हो.

महीने में कभी-कभी खुलता है ये स्कूल

शिक्षक सहित शिक्षा का अभाव
बताया जाता है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिक्षक समेत शिक्षा का भी घोर अभाव है. यह स्कूल महीने में चंद दिन खुलते हैं, बाकी दिनों में स्कूल में ताला लटका रहता है. यह हैरानी की है कि यह स्कूल जिला मुख्यालय से महज 75 किमी दूर ही है.

महीने में एक आध बार खुलता है विद्यालय
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय महीने में कई दिनों तक बन्द रहता है. वहीं शिक्षक किसी दिन आते भी हैं तो जल्दी ही ताला लटकाकर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालय महीने में 4-6 दिनों तक संचालित किया जाता है. वो भी सिर्फ एक टीचर के भरोशे बाकी इस विद्यालय के प्रिंसिपल सहित अन्य शिक्षक महीने में 2-4 दिनों के लिए आते हैं और खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं.

अधिकारियों से मिलता है आश्वासन
ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक के आभाव और लचीली व्यवस्था के कारण यहां बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने को मजबूर हैं. वहीं इसके बारे में शिकायत करने पर अधिकारियों से केवल आश्वासन मिलता है. जबकि विद्यालय में कई ऐसे शिक्षक हैं जो सालों से विद्यालय में कदम तक नहीं रखे हैं. ऐसे में कैसी होगी यहां की शिक्षा व्यवस्था इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा.

Intro:कैमूर।

जिलें के पहाड़ी क्षेत्र में अधौरा प्रखंड के चफना स्तिथ उत्क्रमित मध्य विद्यालय की कहानी ऐसी मानों देश के भविष्य के जिंदगियों को रौशन करनें वाला यह विद्यालय खुद अंधकार में डूबा हुआ हैं। जिन शिक्षकों के कंधों पर देश का भविष्य हो बावजूद जो अपनी जिम्मेदारी न निभातें हो वैसे गुरुजी पर कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं यह फैसला शासन प्रशासन का होगा फिलहाल हम यहीं कह सकते हैं कि अगर आराम की रोटियां सेकनी हो तो इस विद्यालय के शिक्षकों से सीखे जो न समय पर स्कूल आते हैं न जाते हैं बस खानापूर्ती करतें हैं वो भी महीनों में चंद दिनों के लिए।


Body:आपकों बतादें कि ईटीवी भारत की टीम जब जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर अधौरा पहाड़ी पर बसे इस विद्यालय का ज्याजा लिया तो विद्यालय में कोई नहीं था और विद्यालय समय से पहले बन्द हो चुका था। हालांकि इस गांव के जब ग्रामीणों से बातचीत किया गया तो पता चला कि विद्यालय महीने में कई दिनों तक बन्द रहता हैं और शिक्षक किसी दिन आते भी हैं तो जल्द ताला लटकाकर चले जाते हैं।


ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय महीने में 4-6 दिनों तक संचालित किया जाता हैं वो भी सिर्फ एक टीचर के भरोशे बाकी इस विद्यालय के प्रिंसिपल सहित अन्य शिक्षक महीने में 2-4 दिनों के लिए आते हैं और खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक के आभाव और लचीले व्यवस्था के कारण बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने को मजबूर है। अधिकारियों से सिर्फ आस्वाशन मिलता हैं। जबकि विद्यालय के कई ऐसे शिक्षक हैं जो सालों से विद्यालय में कदम तक नहीं रखा हैं। ऐसे मैं कैसी होगी यहाँ की शिक्षा व्यवस्था इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होगा बिहार के शिक्षा व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार कौन यह भी तय करना होगा।



Conclusion:
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