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कैमूर: कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रवासी मजदूरों के लिए 3 दिवसीय वर्मी कंपोस्टिंग प्रशिक्षण आयोजित - Training to provide employment to migrant laborers

प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्मी कंपोस्ट का तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान प्रशिक्षण प्राप्त मजदूरों को सर्टिफिकेट दिया गया. इस मौके पर प्रशिक्षण देने वाले डॉक्टरों ने बताया कि अभी के समय में वर्मी कंपोस्ट की मांग बाजारों में बढ़ती ही जा रही है.

Organized three-day vermi composting training for migrant laborers by Krishi Vigyan Kendra
Organized three-day vermi composting training for migrant laborers by Krishi Vigyan Kendra
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Published : Jul 23, 2020, 6:58 AM IST

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से गरीब कल्याण योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट का तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया. यह प्रशिक्षण 22 जुलाई 2020 को संपन्न हुआ. जिसके बाद सभी प्रवासी मजदूरों के बीच सर्टिफिकेट का वितरण किया गया. वहीं, प्रशिक्षण में कुल 35 मजदूर सम्मिलित हुए थे.

बता दें कि प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा से डॉ. अवधेश शर्मा, डॉ. अमित सिंह, डॉ. राहुल कुमार और डॉ. मनीष कुमार आए थे. इस प्रशिक्षण शिविर के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टरों की टीम ने बताया कि सरल शब्दों में कृत्रिम विधि से केंचुआ पालने और वर्मी कल्चर से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया को वर्मी कंपोस्टिंग कहते हैं. कृत्रिम विधि से केचुुआ पालना और केंचुए की मदद से जैविक खाद बनाना दो अलग-अलग लेकिन मिली जुली प्रक्रिया है. इसी कारण से इसे वर्मी टेक्नोलॉजी कहते हैं.

Organized three-day vermi composting training for migrant laborers by Krishi Vigyan Kendra
मजदूरों को दिया गया सर्टिफिकेट

बाजारों में है वर्मी कंपोस्टिंग की मांग
इसके अलावा डॉक्टरों ने बताया कि वर्मी कल्चर और वर्मी कंपोस्टिंग का सही उपयोग हमारी कृषि के लिए वरदान साबित हो रहा है. अभी के समय में बाजारों में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. जिससे रोजगार के नए नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं. वहीं, इस कार्य से जुड़ने वाले लोगों को सरकार की ओर से ऋण भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से गरीब कल्याण योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट का तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया. यह प्रशिक्षण 22 जुलाई 2020 को संपन्न हुआ. जिसके बाद सभी प्रवासी मजदूरों के बीच सर्टिफिकेट का वितरण किया गया. वहीं, प्रशिक्षण में कुल 35 मजदूर सम्मिलित हुए थे.

बता दें कि प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा से डॉ. अवधेश शर्मा, डॉ. अमित सिंह, डॉ. राहुल कुमार और डॉ. मनीष कुमार आए थे. इस प्रशिक्षण शिविर के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टरों की टीम ने बताया कि सरल शब्दों में कृत्रिम विधि से केंचुआ पालने और वर्मी कल्चर से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया को वर्मी कंपोस्टिंग कहते हैं. कृत्रिम विधि से केचुुआ पालना और केंचुए की मदद से जैविक खाद बनाना दो अलग-अलग लेकिन मिली जुली प्रक्रिया है. इसी कारण से इसे वर्मी टेक्नोलॉजी कहते हैं.

Organized three-day vermi composting training for migrant laborers by Krishi Vigyan Kendra
मजदूरों को दिया गया सर्टिफिकेट

बाजारों में है वर्मी कंपोस्टिंग की मांग
इसके अलावा डॉक्टरों ने बताया कि वर्मी कल्चर और वर्मी कंपोस्टिंग का सही उपयोग हमारी कृषि के लिए वरदान साबित हो रहा है. अभी के समय में बाजारों में इसकी मांग बढ़ती जा रही है. जिससे रोजगार के नए नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं. वहीं, इस कार्य से जुड़ने वाले लोगों को सरकार की ओर से ऋण भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

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