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सियासी दलों से कैमूर के लोगों का सवाल- 10 साल बाद भी क्यों पूरी नहीं हुई मां मुंडेश्वरी आरा रेल परियोजना

एक प्रेस वार्ता में मीरा कुमार ने कहा कि इस योजना के शिलान्यास के बाद वे लगातार इस पर सम्पर्क में थी. कुछ दिक्कतों के चलते इस पर काम पूरा नहीं हो सका.

भभूआ रोड स्टेशन
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Published : Apr 30, 2019, 1:53 PM IST

कैमूर: भभुआ रोड स्टेशन पर आरा मां मुंडेश्वरी रेलवे लाइन का शिलान्यास तो 10 साल पहले ही कर दिया गया था. लेकिन आज 10 साल बाद यह योजना पूरी नहीं हो पाई. 14 दिसंबर 2008 को उस वक्त रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने तत्कालीन सांसद मीरा कुमार और कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में इस योजना का शिलान्यास किया था.

election
2013 रखा गया था लक्ष्य

शिलान्यास के समय 122 किमी लंबी इस परियोजना की लागत लगभग 490 करोड़ थी. इसकी नींव रखे जाने के 2 साल बाद योजना की शुरूआत भी की गई. लेकिन तीसरे साल में यह पूरी तरह ठप्प पड़ गई और दोबारा शुरू ही नहीं हुई.

temple
मां मुंडेश्वरी मंदिर

सरकारें बदलीं, तस्वीर नहीं बदली

शिलान्यास के एक साल बाद मीरा कुमार के लोकसभा स्पीकर बनने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि योजना पूरी कर ली जाएगी. 2010 में सर्वेक्षण भी किया गया, लेकिन यह परियोजना आज 10 साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी है. एक प्रेस वार्ता में मीरा कुमार ने कहा कि इस योजना के शिलान्यास के बाद वे लगातार इस पर सम्पर्क में थी. इस दौरान कुछ दिक्कतों के चलते इस पर काम पूरा नहीं हो सका. इसके बाद सरकारें बदलती रही लेकिन तस्वीर नहीं.

10 साल बाद भी नहीं बनी रेल लाइन

आरा मां मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना पर्यटक के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इस परियोजना से देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम को रेल मार्ग से जोड़ा जाना था. इस परियोजना के लिए वितीय वर्ष 2017-18 में राशि उपलब्ध कराने की बात भी कही गई थी. वहीं, 2013 तक इस परियोजना के पूरे होने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन ऐसा नही हो सका.

कैमूर: भभुआ रोड स्टेशन पर आरा मां मुंडेश्वरी रेलवे लाइन का शिलान्यास तो 10 साल पहले ही कर दिया गया था. लेकिन आज 10 साल बाद यह योजना पूरी नहीं हो पाई. 14 दिसंबर 2008 को उस वक्त रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने तत्कालीन सांसद मीरा कुमार और कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में इस योजना का शिलान्यास किया था.

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2013 रखा गया था लक्ष्य

शिलान्यास के समय 122 किमी लंबी इस परियोजना की लागत लगभग 490 करोड़ थी. इसकी नींव रखे जाने के 2 साल बाद योजना की शुरूआत भी की गई. लेकिन तीसरे साल में यह पूरी तरह ठप्प पड़ गई और दोबारा शुरू ही नहीं हुई.

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मां मुंडेश्वरी मंदिर

सरकारें बदलीं, तस्वीर नहीं बदली

शिलान्यास के एक साल बाद मीरा कुमार के लोकसभा स्पीकर बनने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि योजना पूरी कर ली जाएगी. 2010 में सर्वेक्षण भी किया गया, लेकिन यह परियोजना आज 10 साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी है. एक प्रेस वार्ता में मीरा कुमार ने कहा कि इस योजना के शिलान्यास के बाद वे लगातार इस पर सम्पर्क में थी. इस दौरान कुछ दिक्कतों के चलते इस पर काम पूरा नहीं हो सका. इसके बाद सरकारें बदलती रही लेकिन तस्वीर नहीं.

10 साल बाद भी नहीं बनी रेल लाइन

आरा मां मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना पर्यटक के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इस परियोजना से देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम को रेल मार्ग से जोड़ा जाना था. इस परियोजना के लिए वितीय वर्ष 2017-18 में राशि उपलब्ध कराने की बात भी कही गई थी. वहीं, 2013 तक इस परियोजना के पूरे होने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन ऐसा नही हो सका.

Intro:कैमूर।
14 दिसंबर 2008 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरा मां मुंडेश्वरी रेलवे लाइन का शिलान्यास भभुआ रोड़ स्टेशन पर किया था। तत्कालीन सांसद सह केन्द्रीय मंत्री मीरा कुमार, एवं अन्य बड़े नेताओं की मौजूदगी में किया गया था शिलान्यास। शिलान्यास के वक़्त 122 किमी लंबी इस परियोजना 490 करोड़ की लागत का अनुमान था। यही नही शिलान्यास के 2 वर्ष बाद यानी 2010 में नारियल फोड़कर रेलवे की एक टीम ने सर्वे और सर्वेक्षण के कार्यो का भी शुभारंभ किया था। लेकिन इस परियोजना का दुर्भाग्य यह की 1 दशक बाद भी इस परियोजना को पूरा करना तो दूर बल्कि इस परियोजना के लिए एक ईंट तक का प्रयोग न हो सका। इस परियोजना आज तक कोई कार्य प्रारंभ नही हो सका।


Body:आपको बतादें कि 2009 में मीरा कुमार के लोकसभा स्पीकर बनने के बाद लोगों में यह उम्मीद जागी की शायद यह परियोजना धरातल पर आएगा। 2010 में सर्वे में किया गया लेकिन यह परियोजना आज 10 साल बाद भी बंद बस्ते में पड़ा हुआ हैं। एक प्रेसवार्ता के दौरान जब मीरा कुमार से इस विषय मे पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया और उस वक़्त रेलवे में किये गए कार्यो को गिनाने लगी। उन्होने प्रेसवार्ता में मौजूद पत्रकारबंधुओं से यह तक कह दिया कि उन्होंने तो कोई कार्य किया ही नही है आप लोगों को तो मुझे बहुत शिकायत होनी चाहिए थी। लेकिन बात सिर्फ यही खत्म नही होती हैं। शिलान्यास के 10 वर्षो में इस परियोजना को केंद्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकार को देखी लेकिन दोनों सरकार के उदासीन रवैये और दोनों पार्टियों के सांसद भाजपा के छेदी पासवान तो कांग्रेस की मीरा कुमार की अनदेखी की वजह से कैमूर के लोग अब इस परियोजना का नाम तक भूल चुके हैं।


आपको बतादें की आरा मां मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना पर्यटक के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इस परियोजना से देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी धाम को रेल मार्ग से जोड़ना हैं। इस परियोजना के लिए वितीय वर्ष 2017-18 में राशि उपलब्ध कराने की बात भी कही गई थी। लेकिन ऐसा नही हो सका। यह रेल परियोजना देश का ऐसा रेल परियोजना है जिसके शिलान्यास के 10 साल बाद भी कुछ न हो सका। हालांकि शिलान्यास के वक़्त इस परियोजना को पूरा करने के लिए वर्ष 2013 तक का लक्ष्य रखा गया था। बिहार सरकार के तत्कालीन जल संसाधन मंत्री ने इस परियोजना का प्रस्ताव रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समक्ष रखा था।

परियोजना के वक़्त तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री मीरा कुमार ने कहा कि वो लगातार रेल मंत्रालय के सम्पर्क में थी। जनता को उनके 2009 में लोकसभा स्पीकर बनाये जाने के बाद उनसे इस परियोजना को पूरा करने के उम्मीद बढ़ गई थी लेकिन यह इस परियोजना का दुर्भाग्य था कि सासाराम संसदीय क्षेत्र से सांसद और लोकसभा की स्पीकर होने के बाद भी इस परियोजना को कांग्रेस की मीरा कुमार धरातल पर नही उतार पाई। 2014 में राजनीति में परिवर्तन हुआ और इस क्षेत्र से सांसद बने भाजपा के छेदी पासवान लेकिन भाजपा सरकार के उदासीन रवैये ने भी इस परियोजना पर ध्यान नही दिया और यह परियोजना धरातल पर नही उतर सकी। हालांकि मीरा कुमार ने अपने समय मे कैमुरवाशियो को 2 ट्रेनों का तौफा दिया था लेकिन इस परियोजना को धरातल पर नही ला सकी।


स्थानिय लोगों ने कहा कि वो चाहते है कि यह परियोजना पूरी हो जाये लेकिन हर परियोजना का शिलान्यास होने के बाद पूरा होने के एक समय सीमा होता हैं। लेकिन इस परियोजना का कोई समय सीमा नही हैं इसलिए अब नही लगता है कि यह परियोजना पूरी हो पायेगी। चाहे 2008 से लेकर 2014 तक कांग्रेस और 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा के सांसद और सरकार दोनों ही क्यों न हो किसी ने इस परियोजना के तरफ एक नजर तक नही देखा और आज यह परियोजना 1 दशक गुजर जाने के बाद ठंडे बस्ते में बंद पड़ा हुआ हैं।


Conclusion:अब देखना यह होगा कि सरकार की नजर आखिरकार कब इस परियोजना पर पड़ती हैं और यह परियोजना धरातल पर कब आती हैं।
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