कैमूरः अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्थित 6 बेड वाले मिनी ट्रॉमा सेंटर अव्यवस्था का शिकार है. गया और वाराणसी के बीच एनएच-2 पर स्थित यह इकलौता ट्रॉमा सेंटर है. एनएच-2 पर अकसर दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन घायलों को बेहतर इलाज के लिए उन्हें वाराणसी ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं. कई घायल तो ऐसे होते हैं जो वाराणसी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बावजूद इसके इतने महत्वपूर्ण ट्रॉमा सेटंर पर न तो जिला प्रशासन का ध्यान है न ही स्वास्थ्य विभाग का.
सर्जन और डॉक्टर की है घोर कमी
ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए न्यूरो सर्जन, हड्डी विशेषज्ञ, सर्जन के अलावा ट्रेंड जीएनएम और बेहतर दवाएं जरूरी हैं. लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में न तो सर्जन है, न डॉक्टर, न हड्डी विशेषज्ञ और न ही ट्रेंड जीएनएम. ऐसे में लाखों रुपये की लागत से बना यह ट्रॉमा सेंटर बेकार है.
वाराणसी किया जाता है रेफर
मामले में उपाधीक्षक ने बताया कि डॉक्टरों के आभाव में ट्रॉमा सेंटर का संचालन बंद है. इसलिए सड़क हादसे में घायल लोगों को वाराणसी रेफर कर दिया जाता है, जहां बेहतर सुविधाओं के साथ उनका इलाज किया जाता है.
बेहतर सुविधा मुहैया कराने के
25 अप्रैल 2017 को तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने इस ट्रॉमा सेंटर का उद्धघाटन किया था. इसका उद्देश्य था कि हाईवे पर दुर्घटना के इलाज के लिए घायलों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा सके. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. लेकिन आज के समय में यह उद्देशय पूरा होता नहीं दिखा रहा है.