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कैमूर के इकलौते ट्रॉमा सेंटर को उद्धाटन के 2 साल बाद भी डॉक्टर का इंतजार

ट्रॉमा सेंटर में न तो सर्जन है, न डॉक्टर, न हड्डी विशेषज्ञ है और न ही ट्रेंड जीएनएम. ऐसे में लाखों रुपए की लागत से बना यह ट्रॉमा सेंटर बेकार है.

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Published : Jul 21, 2019, 3:29 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 7:56 PM IST

कैमूर का अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्तिथ ट्रॉमा सेंटर

कैमूरः अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्थित 6 बेड वाले मिनी ट्रॉमा सेंटर अव्यवस्था का शिकार है. गया और वाराणसी के बीच एनएच-2 पर स्थित यह इकलौता ट्रॉमा सेंटर है. एनएच-2 पर अकसर दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन घायलों को बेहतर इलाज के लिए उन्हें वाराणसी ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं. कई घायल तो ऐसे होते हैं जो वाराणसी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बावजूद इसके इतने महत्वपूर्ण ट्रॉमा सेटंर पर न तो जिला प्रशासन का ध्यान है न ही स्वास्थ्य विभाग का.

सर्जन और डॉक्टर की है घोर कमी
ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए न्यूरो सर्जन, हड्डी विशेषज्ञ, सर्जन के अलावा ट्रेंड जीएनएम और बेहतर दवाएं जरूरी हैं. लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में न तो सर्जन है, न डॉक्टर, न हड्डी विशेषज्ञ और न ही ट्रेंड जीएनएम. ऐसे में लाखों रुपये की लागत से बना यह ट्रॉमा सेंटर बेकार है.

अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्थित ट्रॉमा सेंटर

वाराणसी किया जाता है रेफर
मामले में उपाधीक्षक ने बताया कि डॉक्टरों के आभाव में ट्रॉमा सेंटर का संचालन बंद है. इसलिए सड़क हादसे में घायल लोगों को वाराणसी रेफर कर दिया जाता है, जहां बेहतर सुविधाओं के साथ उनका इलाज किया जाता है.

बेहतर सुविधा मुहैया कराने के
25 अप्रैल 2017 को तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने इस ट्रॉमा सेंटर का उद्धघाटन किया था. इसका उद्देश्य था कि हाईवे पर दुर्घटना के इलाज के लिए घायलों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा सके. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. लेकिन आज के समय में यह उद्देशय पूरा होता नहीं दिखा रहा है.

कैमूरः अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्थित 6 बेड वाले मिनी ट्रॉमा सेंटर अव्यवस्था का शिकार है. गया और वाराणसी के बीच एनएच-2 पर स्थित यह इकलौता ट्रॉमा सेंटर है. एनएच-2 पर अकसर दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन घायलों को बेहतर इलाज के लिए उन्हें वाराणसी ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं. कई घायल तो ऐसे होते हैं जो वाराणसी पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बावजूद इसके इतने महत्वपूर्ण ट्रॉमा सेटंर पर न तो जिला प्रशासन का ध्यान है न ही स्वास्थ्य विभाग का.

सर्जन और डॉक्टर की है घोर कमी
ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए न्यूरो सर्जन, हड्डी विशेषज्ञ, सर्जन के अलावा ट्रेंड जीएनएम और बेहतर दवाएं जरूरी हैं. लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में न तो सर्जन है, न डॉक्टर, न हड्डी विशेषज्ञ और न ही ट्रेंड जीएनएम. ऐसे में लाखों रुपये की लागत से बना यह ट्रॉमा सेंटर बेकार है.

अनुमंडल अस्पताल मोहनिया स्थित ट्रॉमा सेंटर

वाराणसी किया जाता है रेफर
मामले में उपाधीक्षक ने बताया कि डॉक्टरों के आभाव में ट्रॉमा सेंटर का संचालन बंद है. इसलिए सड़क हादसे में घायल लोगों को वाराणसी रेफर कर दिया जाता है, जहां बेहतर सुविधाओं के साथ उनका इलाज किया जाता है.

बेहतर सुविधा मुहैया कराने के
25 अप्रैल 2017 को तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने इस ट्रॉमा सेंटर का उद्धघाटन किया था. इसका उद्देश्य था कि हाईवे पर दुर्घटना के इलाज के लिए घायलों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा सके. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. लेकिन आज के समय में यह उद्देशय पूरा होता नहीं दिखा रहा है.

Intro:कैमूर।

मोहनिया अनुमंडल अस्पताल स्तिथ 6 बेड वाले मिनी ट्रॉमा सेंटर को उद्धघाटन के 2 साल बाद भी डॉक्टरों को इंतज़ार हैं। गया वाराणसी के बीच एनएच 2 (पुराना जीटी रोड) पर मोहनीय में एकलौता ट्रॉमा सेंटर हैं। ट्रॉमा सेन्टर का निर्माण इसलिए किया गया था की यदि एनएच 2 पर दुर्घटना होती हैं तो घायल लोगों का बेहतर ईलाज किया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके।


Body:आपकों बतादें कि ट्रॉमा सेंटर में ईलाज के लिए न्यूरो सर्जन, हड्डी विशेषज्ञ, सर्जन के अलावे दक्ष जीएनएम और बेहतर दवाओं का होना अनिवार्य होता हैं। लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में न तो सर्जन हैं , न डॉक्टर हैं न ही हड्डी विशेषज्ञ है और दक्ष जीएनएम हैं। ऐसे में लाखों रुपए के लागत से बना यह ट्रामा सेंटर बेकार हैं।


25 अप्रैल 2017 को तत्कालीन डीएम राजेश्वर प्रसाद सिंह ने इस ट्रॉमा सेंटर का उद्धघाटन किया था। उद्देश्य यह था कि हाईवे पर दुर्घटना के ईलाज के लिए मोहनीय और भभुआ में व्यस्था न होने के कारण लोगों को परेशानी को दूर करने और ट्रॉमा सेंटर वाराणसी के बदले मोहनिया में बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाई जाए ताकि सड़क दुर्घटना में घायल अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।


गया वाराणसी के बीच एनएच 2 का एकलौता ट्रॉमा सेंटर

एनएच 2 (पूरा जीटी रोड ) बिहार, बंगाल और झारखंड के लोगों के लिए लाइफलाइन कहा जाता हैं ऐसे में इतने महत्वपूर्ण सड़क पर गया और वाराणसी के बीच का यह एकलौता ट्रॉमा सेंटर हैं। एनएच 2 पर आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं लेकिन घायलों को बेहतर ईलाज के लिए वाराणसी ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं। ऐसे में कई ऐसे घायल होते हैं जो वाराणसी पहुँचने से पहले ही मौत के आघोष में समा जाते हैं। बावजूद इसके इतने महत्वपूर्ण इस ट्रॉमा सेन्टर पर न तो जिला प्रशासन का ध्यान है न ही स्वास्थ्य विभाग का ऐसे में दुर्घटना में हुई मौत का जिम्मेवार कौन है इसका अंदाजी लगाया जा सकता हैं।


उपाधीक्षक ने बताया कि डॉक्टरों के आभाव में ट्रॉमा सेंटर का संचालन बंद हैं लेकिन दुर्घटना में घायल लोगों के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध हैं। लोग अब भभुआ अनुमंडल अस्पताल को रेफेरल अस्पताल के नाम से जानते हैं क्योंकि यहाँ आये अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता हैं।


Conclusion:
Last Updated : Jul 21, 2019, 7:56 PM IST
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