कैमूर (भभुआ): जिले के कुदरा थाना क्षेत्र के सकरी में अनिल पिछले तीन सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. लेकिन अब तक उन्हें इस खेती से कुछ फायदा नहीं मिला है. सरकारी मदद के लिए दर-दर कार्यालयों का ठोकर खाने के बाद अनिल अब सरकारी मदद का इंतजार भी छोड़कर अपनी खेती पर ध्यान दे रहे हैं.
पुणे के फैक्ट्री में करते थे काम
दरअसल कुदरा के सकरी के रहने वाले अनिल आज से तीन साल पहले पुणे में फैक्ट्री में काम करते थे. फैक्ट्री के आसपास के क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती देख उन्होंने अपना काम छोड़कर स्ट्रॉबेरी के कुछ पौधे लेकर गांव आ गए. महज 10 कट्ठा खेत में स्ट्रॉबेरी का खेती किया और स्ट्रॉबेरी कोलकाता के बाजारों में बेचा. जिसमें उन्हें दो लाख रुपये का मुनाफा हुआ.
कई बार दिया आवेदन
स्ट्रॉबेरी की खेती करने में उन्हें काफी पैसों की आवश्यकता महसूस हुई. उन्होंने कृषि कार्यालय में कई बार अनुदान के लिए आवेदन दिया. जिले के कई अधिकारियों के पास गए लेकिन किसी ने अनिल की बातें न सुनी.
जिले में इकलौता स्ट्रॉबेरी की खेती
अनिल जिले में इकलौता स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले हैं. लॉकडाउन के अवधि में अनिल को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. स्ट्रॉबेरी कोलकाता के मार्केट में व्यापारी को भेज तो दिया लेकिन व्यापारी ने लॉकडाउन में फसल नहीं बिकने का हवाला देकर पैसा नहीं दिया. जिससे अनिल को 6 लाख रुपये का घाटा हुआ है.
सरकारी मदद की गुहार
स्ट्रॉबेरी की खेती करने में अनिल के साथ उनकी पत्नी, पिता और सभी घरवाले साथ देते हैं. जिले में इनका मार्केट न होने के कारण स्ट्रॉबेरी को बेचने के लिए कोलकाता, पटना और रांची के मार्केट में भेजना पड़ता है. वहीं अनिल अब सरकारी मदद की गुहार लगा रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना किसानों की आय दोगुनी करने में स्ट्रॉबेरी की खेती का अहम रोल है. लेकिन इसको सरकार के अनुदान के लिस्ट में नहीं जोड़ा गया है. जिससे मदद देने में थोड़ी परेशानी हो रही है. लेकिन हम लोग चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्ट्रॉबेरी का खेती करें. जिससे उनको मुनाफा हो जिसके लिए हम लोग किसानों को समय-समय को प्रशिक्षण दिया करते हैं. -ललिता प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी