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तकरीबन 25 करोड़ का बिजली बिल डकार कर बैठे हैं कई सरकारी विभाग

पीएचइडी विभाग पर 1.5 करोड़ से अधिक की राशि बाकी है. जबकि स्वास्थ्य विभाग पर लगभग 77 लाख रुपये का बिजली बिल बाकी है.

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Published : Feb 2, 2019, 8:39 AM IST

electricity department

कैमूरः जिले के तकरीबन सभी सरकारी भवनों में उपयोग की जाने वाली बिजली का बिल कई सालों से बकाया है. कुल मिलाकर सरकारी भवनों पर बिजली विभाग की 25 करोड़ की राशि बाकी है. इसके बावजूद न तो बिजली विभाग ही कुछ कर रहा है और न ही बिजली बकाया रखने वाले विभाग के अधिकारी कुछ कर रहे हैं.

नियमों के मुताबिक आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की चोरी और बिल नहीं जमा करने पर कनेक्शन काटना आम बात है. कितनों पर तो विभाग ने केस तक कर दिया है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि कैमूर जिले के सभी सरकारी भवनों में उपयोग किये जाने वाले बिजली का भुगतान न जाने कितने सालों से नहीं हुआ है. बताया जाता है कि सरकारी भवनों पर बिजली विभाग की 25 करोड़ की राशि बाकी है.

नहीं हो रही है कार्रवाई

इसके बावजूद बिजली विभाग कुछ नहीं कर रहा है. पीएचइडी विभाग पर 1.5 करोड़ से अधिक की राशि बाकी है. जिसके मेकैनिकल विंग में 97 लाख तो सिविल विंग में 50 लाख से अधिक बिजली का बिल भुगतान बाकी है. स्वास्थ्य विभाग की भी हालत कुछ ऐसी ही है. कैमूर जिले की बात कि जाए तो स्वास्थ्य विभाग पर लगभग 77 लाख रुपये का बिजली बिल बाकी है.

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लाखों रुपये के बिजली बिल बाकी

इसी तरह से अन्य सरकारी भवनों पर भी लाखों रुपये के बिजली बिल बाकी है. ऐसे में आप सोच सकते हैं कि सरकारी बाबू ही सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं. लेकिन उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है.

जानकारी देते मुख्य कार्यपालक अभियंता शिव शंकर प्रसाद
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कार्यपालक अभियंता ने क्या कहा?

इस सिलसिले में मुख्य कार्यपालक अभियंता शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि जिन विभागों की राशि बाकी है, उन्हें नोटिस भेज दी गई है. विभाग में ऐसे प्रावधान हैं कि यदि सरकारी भवनों से बिजली बिल रिकवर नहीं होता है, तो बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है और नियम के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाती है.

कैमूरः जिले के तकरीबन सभी सरकारी भवनों में उपयोग की जाने वाली बिजली का बिल कई सालों से बकाया है. कुल मिलाकर सरकारी भवनों पर बिजली विभाग की 25 करोड़ की राशि बाकी है. इसके बावजूद न तो बिजली विभाग ही कुछ कर रहा है और न ही बिजली बकाया रखने वाले विभाग के अधिकारी कुछ कर रहे हैं.

नियमों के मुताबिक आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की चोरी और बिल नहीं जमा करने पर कनेक्शन काटना आम बात है. कितनों पर तो विभाग ने केस तक कर दिया है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि कैमूर जिले के सभी सरकारी भवनों में उपयोग किये जाने वाले बिजली का भुगतान न जाने कितने सालों से नहीं हुआ है. बताया जाता है कि सरकारी भवनों पर बिजली विभाग की 25 करोड़ की राशि बाकी है.

नहीं हो रही है कार्रवाई

इसके बावजूद बिजली विभाग कुछ नहीं कर रहा है. पीएचइडी विभाग पर 1.5 करोड़ से अधिक की राशि बाकी है. जिसके मेकैनिकल विंग में 97 लाख तो सिविल विंग में 50 लाख से अधिक बिजली का बिल भुगतान बाकी है. स्वास्थ्य विभाग की भी हालत कुछ ऐसी ही है. कैमूर जिले की बात कि जाए तो स्वास्थ्य विभाग पर लगभग 77 लाख रुपये का बिजली बिल बाकी है.

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लाखों रुपये के बिजली बिल बाकी

इसी तरह से अन्य सरकारी भवनों पर भी लाखों रुपये के बिजली बिल बाकी है. ऐसे में आप सोच सकते हैं कि सरकारी बाबू ही सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं. लेकिन उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है.

जानकारी देते मुख्य कार्यपालक अभियंता शिव शंकर प्रसाद
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कार्यपालक अभियंता ने क्या कहा?

इस सिलसिले में मुख्य कार्यपालक अभियंता शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि जिन विभागों की राशि बाकी है, उन्हें नोटिस भेज दी गई है. विभाग में ऐसे प्रावधान हैं कि यदि सरकारी भवनों से बिजली बिल रिकवर नहीं होता है, तो बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है और नियम के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाती है.

Intro:उपभोक्ता अगर अपने घर या दुकान की बिजली बिल जमा नहीं करे तो उनके ऊपर सामत आ जाता है। लेकिन जरा आप सोचिये की सरकारी भवनों में उपयोग किये जाने वाले बिजली का बिल अगर महीनों ने बाकी पड़ा है तो क्या होता होगा। तो जवाब है कुछ नही होता है नियम और कानून सब आम नागरिकों के लिए होता है सरकारी बाबुओ के लिए नही होता है।


Body:आपको बतादें की आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की चोरी और बिल नही जमा करने पर कनेक्शन काटना आम बात है। यहाँ तक न जाने कितनों पर तो विभाग ने केस तक कर डाला है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कैमूर जिले के सभी सरकारी भवनों में उपयोग किये जाने वाले बिजली का भुगतान न जाने कितने महीना या सालों से नही हुआ है जो सरकारी भवनों पर 25 करोड़ की राशि बिजली विभाग की बाकी है। बावजूद इसके न तो बिजली विभाग कुछ कर रहा है न नही सरकारी भवनों में बैठने वाले सरकारी बाबू। कुछ उदाहरण के तौर पर आपको बताए तो केवल पीएचइडी विभाग पर 1.5 करोड़ से अधिक की राशि बाकी बताई जा रही है। जिसके मेकैनिकल विंग में 97 लाख तो सिविल विंग में 50 लाख से अधिक राशि का बिजली बिल भुगतान बाकी है। स्वास्थ्य विभाग की भी हालत कुछ ऐसी ही है कैमूर जिले की बाद कि जाए तो स्वास्थ्य विभाग पर लगभग 77 लाख रुपये का बिजली बिल बाकी है। इसी तरह से अन्य सरकारी भवनों पर भी लाखों रुपये के बिजली बिल बाकी है। ऐसे में आप सोच सकते है कि सरकार बाबू ही सरकार की नियमों की धज्जियां उड़ाते है लेकिन उनके ऊपर कोई कार्रवाई नही होती है। लेकिन अगर कोई आम इंसान यह करता है तो उसके ऊपर आफत सी आ जाती है।

मुख्य कार्यपालक अभियंता शिव शंकर प्रसाद ने बताया कि जिन विभागों की राशि बाकी हैं उन्हें नोटिस भेज दिया गया है। विभाग में ऐसा प्रावधान है कि यदि सरकारी भवनों से बिजली बिल रिकवर नही होता है तो बिजली कनेक्शन काट दी जाती है और नियम अनुसात आगे की कार्रवाई की जाती है।


Conclusion:
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