कैमूर: आमतौर पर सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों (Health Centers) की व्यवस्था को लेकर आम लोगों के मन में 'स्वस्थ' भावना नहीं होती है. लेकिन सच्चाई यह भी है कि देश की बड़ी आबादी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे ही है. यहां कैमूर (Kaimur) जिले का एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Center Kaimur) ही 'बीमार' है. उसे तत्काल 'इलाज' की जरुरत है लेकिन न तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही जिला प्रशासन की इस ओर नजर है. मरीजों की बात कौन करे, कर्मचारी ही यहां डर-डर कर काम करते हैं. उन्हें अनहोनी का डर सताता है. वे स्वास्थ्य केंद्र के भीतर हेलमेट पहनकर अपनी ड्यूटी करते हैं.
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यह हालत है कैमूर जिले के दुर्गावती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Durgavati Primary Health Center Kaimur) का. इस पीएचसी के कर्मचारी भवन परिसर में हेलमेट लगाकर ड्यूटी करते हैं. पीएचसी का यह भवन 40 वर्ष पुराना है. यहां का स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस जर्जर भवन में स्वास्थ्य कर्मी डर के साए में कार्य करने पर मजबूर हैं. जर्जर भवन का प्लास्टर टूटकर कभी भी नीचे गिर जाता है.
हर वक्त आरसीसी-सरियों के सीमेंट छोड़ने व प्लास्टर गिरने का डर स्वास्थ्य कर्मियों एवं इलाज कराने आए मरीजों को सताता रहता है. यह नजारा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है. इस स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों एवं बेड का भी घोर अभाव है.
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इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य कर रहे डाटा ऑपरेटर कृष्णकांत तिवारी एवं लैब टेक्नीशियन कौशमेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि कई सालों से हम लोग पीएचसी के जर्जर भवन में कार्य कर रहे हैं. अभी हाल में ही छत का प्लास्टर झड़ के हमारे शरीर पर गिर गया था.
हालांकि इससे कोई चोट नहीं आई लेकिन डर हमेशा बना रहता है. इसलिए हम लोग हेलमेट अपने सिर पर पहनकर ही कार्य करते हैं. जर्जर भवन में छज्जा से प्लास्टर झड़कर गिरने उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाता है. जर्जर भवन को लेकर कई बार शिकायत की गयी लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकाल पाया.
जर्जर भवन को लेकर पीएचसी प्रभारी डॉ. शांति कुमार मांझी ने बताया कि दुर्गावती पीएचसी का भवन जर्जर है. इस जर्जर भवन में सभी चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी कार्य कर रहे हैं. भवन निर्माण के लिए पत्राचार हुआ है. जल्द ही मरम्मत की उम्मीद जताई जा रही है.
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