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Lockdown: भूख से तड़प रहे थे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण, खाना लेकर पहुंचे DM और SP

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Published : Apr 22, 2020, 3:11 PM IST

बिहार के कैमूर में पहाड़ी पर स्थित नक्सल प्रभावित कई गांवों के लोग सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. लॉकडाउन के बाद इनकी ये समस्याएं दोगुनी हो गई. लिहाजा, ये लोग पिछले चार हफ्तों से अपने घरों में कैद हैं और भूखे पेट सो किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे थे.

बिहार की ताजा खबर
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कैमूर: जारी लॉकडाउन ने रोज कमाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. इसके अलावा दूर-दराज के इलाके में रहने वाले लोगों को भी बड़ी परेशानी हो रही है. ऐसे ही कैमूर की पहाड़ियों पर बसे गांवों में सरकार की दी जा रही सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, ग्रामीण भूख से तड़प उठे और उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.

कैमूर जिले के एक या दो गांव नहीं बल्कि पहाड़ी पर स्थित 108 गांवों में ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है कि कई परिवार भूखे पेट गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. नक्सल प्रभावित ये गांव कोरोना वायरस महामारी से पहले भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसे में लॉकडाउन के बाद इन गांवों के लोगों में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
कैमूर के चैनपुर प्रखंड के अंतर्गत कैमूर पहाड़ पर बसे करकटगढ़ और आसपास के कई गांवों के लोगों के पास खाने को राशन खत्म हो चुका है. बंजर जमीन के मालिक यहां के परिवारों का पेट मजदूरी कर पलता है. लेकिन कोरोना नाम के ग्रहण ने इनसे ये कमाई भी छीन ली. इसके बाद जब मुसीबत हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो ग्रामीणों ने मदद की गुहार लगाई. वो तो इनकी खुशकिस्मती रही कि उनकी गुहार डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी तक जा पहुंची.

सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ध्यान
सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ध्यान

ग्रामीणों ने बताई समस्याएं
इस बाबत, डीएम डॉ. नवल किशोर एसपी दिलनवाज अहमद के साथ गांव जा पहुंचे. अपने साथ राशन पानी और दल बल के साथ पहुंचे डीएम ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं. गांव की महिला ने बताया कि गांव में सरकारी सुविधाएं नहीं है. यहां न तो स्कूल है और न ही सड़के बनीं हैं. गांव के लोग चंदा कर कर के बच्चों को पढ़ाते हैं. गांव में कई साल से बिजली नहीं आई है. हमे सरकारी आवास नहीं मिले हैं. हमारा जो कुछ था वो ओलावृष्टि और आंधी में तबाह हो गया. हम सभी परेशान हैं.

सभी को बांटा गया राशन
सभी को बांटा गया राशन

खिल उठे चेहरे
डीएम ने समस्या सुनते हुए उन्हें राशन मुहैया कराया. इसके बाद पीड़ित ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे. इस बाबत गांव के कल्लू ने बताया कि गेंहू, नमक, तेल, चावल और प्याज समेत तमाम चीजें मिली हैं. डीएम साहब ने हमारी समस्याएं सुनीं.

डीएम ने तुरंत की कार्रवाई
वहीं, लोगों की मदद कर डीएम साहब ने उनकी सारी समस्याएं सुनी और तत्काल सरकारी मदद पहुंचाने के निर्देश दिये. इस बारे में जानकारी देते हुए डीएम ने बताया कि गांव में कई समाजसेवी अनाज बांट रहे थे. उनकी दी गई सूचना के बाद हम यहां पहुंचे. यहां कई समस्याएं हैं. यहां पानी की समस्या थी. प्राइवेट स्कूल हैं, जो खुद ये लोग ही चंदा कर चलाते हैं. इनसभी समस्याओं को दूर करने के लिए निर्देश दे दिये गये हैं. जल्द ही यहां आंगनबाड़ी केंद्र और चापाकल की व्यवस्था कर दी जाएगी.

पूरे दल बल के साथ पहुंचे डीएम
पूरे दल बल के साथ पहुंचे डीएम

पुलिस प्रशासन कम करेगा ये दूरी- एसपी
एसपी दिलनवाज अहमद ने कहा कि ये गांव बहुत उपेक्षित रहा है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. अब नक्सली गतिविधियां कम हुई हैं. हम डीएम साहब के साथ यहां आये हैं लोगों की मदद कर रहे हैं. आगे भी हम इनकी मदद करते रहेंगे, इनकी समस्याएं सुनेंगे. जल्द ही यहां जनता और पुलिस की दूरी कम होगी.

कैमूर: जारी लॉकडाउन ने रोज कमाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. इसके अलावा दूर-दराज के इलाके में रहने वाले लोगों को भी बड़ी परेशानी हो रही है. ऐसे ही कैमूर की पहाड़ियों पर बसे गांवों में सरकार की दी जा रही सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, ग्रामीण भूख से तड़प उठे और उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई.

कैमूर जिले के एक या दो गांव नहीं बल्कि पहाड़ी पर स्थित 108 गांवों में ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई है कि कई परिवार भूखे पेट गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. नक्सल प्रभावित ये गांव कोरोना वायरस महामारी से पहले भी सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसे में लॉकडाउन के बाद इन गांवों के लोगों में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
कैमूर के चैनपुर प्रखंड के अंतर्गत कैमूर पहाड़ पर बसे करकटगढ़ और आसपास के कई गांवों के लोगों के पास खाने को राशन खत्म हो चुका है. बंजर जमीन के मालिक यहां के परिवारों का पेट मजदूरी कर पलता है. लेकिन कोरोना नाम के ग्रहण ने इनसे ये कमाई भी छीन ली. इसके बाद जब मुसीबत हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो ग्रामीणों ने मदद की गुहार लगाई. वो तो इनकी खुशकिस्मती रही कि उनकी गुहार डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी तक जा पहुंची.

सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ध्यान
सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ध्यान

ग्रामीणों ने बताई समस्याएं
इस बाबत, डीएम डॉ. नवल किशोर एसपी दिलनवाज अहमद के साथ गांव जा पहुंचे. अपने साथ राशन पानी और दल बल के साथ पहुंचे डीएम ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं. गांव की महिला ने बताया कि गांव में सरकारी सुविधाएं नहीं है. यहां न तो स्कूल है और न ही सड़के बनीं हैं. गांव के लोग चंदा कर कर के बच्चों को पढ़ाते हैं. गांव में कई साल से बिजली नहीं आई है. हमे सरकारी आवास नहीं मिले हैं. हमारा जो कुछ था वो ओलावृष्टि और आंधी में तबाह हो गया. हम सभी परेशान हैं.

सभी को बांटा गया राशन
सभी को बांटा गया राशन

खिल उठे चेहरे
डीएम ने समस्या सुनते हुए उन्हें राशन मुहैया कराया. इसके बाद पीड़ित ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे. इस बाबत गांव के कल्लू ने बताया कि गेंहू, नमक, तेल, चावल और प्याज समेत तमाम चीजें मिली हैं. डीएम साहब ने हमारी समस्याएं सुनीं.

डीएम ने तुरंत की कार्रवाई
वहीं, लोगों की मदद कर डीएम साहब ने उनकी सारी समस्याएं सुनी और तत्काल सरकारी मदद पहुंचाने के निर्देश दिये. इस बारे में जानकारी देते हुए डीएम ने बताया कि गांव में कई समाजसेवी अनाज बांट रहे थे. उनकी दी गई सूचना के बाद हम यहां पहुंचे. यहां कई समस्याएं हैं. यहां पानी की समस्या थी. प्राइवेट स्कूल हैं, जो खुद ये लोग ही चंदा कर चलाते हैं. इनसभी समस्याओं को दूर करने के लिए निर्देश दे दिये गये हैं. जल्द ही यहां आंगनबाड़ी केंद्र और चापाकल की व्यवस्था कर दी जाएगी.

पूरे दल बल के साथ पहुंचे डीएम
पूरे दल बल के साथ पहुंचे डीएम

पुलिस प्रशासन कम करेगा ये दूरी- एसपी
एसपी दिलनवाज अहमद ने कहा कि ये गांव बहुत उपेक्षित रहा है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. अब नक्सली गतिविधियां कम हुई हैं. हम डीएम साहब के साथ यहां आये हैं लोगों की मदद कर रहे हैं. आगे भी हम इनकी मदद करते रहेंगे, इनकी समस्याएं सुनेंगे. जल्द ही यहां जनता और पुलिस की दूरी कम होगी.

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