कैमूर: जिले में गुरुवार की रात से हो रही लगातार बारिश ने किसान के अरमानों पर पानी फेर दिया है. बेमौसम हुई बारिश से सैकड़ों एकड़ जमीन में लगी धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं. किसानों को इससे लाखों का नुकसान हुआ है. अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि यदि मौसम साफ न हुआ तो उनके सामने भूखमरी की नौबत आ जाएगी.
किसानों की मानें तो बारिश के कारण लगभग 80 प्रतिशत धान की फसलें खराब हो चुकी है. ऐसे में यदि मौसम साफ नहीं होता हैं तो धान पूरी तरह से खराब हो जाएगा. बेमौसम हुई इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही हुआ है. इनका कहना है कि इसके लिये सबसे ज्यादा जिम्मेदार जिला प्रशासन है.
जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
दरअसल, सरकार ने 15 नवंबर से धान खरीद की तिथि घोषित की थी. लेकिन तिथि घोषित होने के 1 माह बाद भी खरीदारी नहीं शुरू हुई. यदि जिला प्रशासन ने सरकार के आदेश को माना होता तो खरीदारी शुरू हुई होती और धान पैक्स के गोदाम में होता. ऐसे में नुकसान भी कम होता. लेकिन खरीदारी नहीं होने से धान खलियान में रखा रह गया और बारिश में भीगकर खराब हो गया.
किसानों को लाखों का नुकसान
किसानों का कहना है कि अब तो उनका धान न पैक्स लेगा और न ही बाजार में कोई व्यापारी खरीदेगा. यदि मौसम साफ होता है और धान दोबारा नहीं भीगता है तो उसको सुखाने की कोशिश की जाएगी जिसमें शायद कुछ धान बच जाए. लेकिन बाजार में उसकी कीमत ज्यादा नहीं मिलेगी. ऐसे में सरकार को किसानों को आर्थिक मदद पहुंचानी चाहिए.
80 प्रतिशत फसल बर्बाद
मोकरी पंचायत के मुखिया जय शंकर बिहारी ने बताया कि सिर्फ उनके पंचायत में 2000 एकड़ में धान की खेती हुई है जिसमें बारिश की वजह 80 प्रतिशत फसल डैमेज हो चुका है. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में लगातार हुई बारिश से किसानों को कितना नुकसान हुआ है. मुखिया ने बताया कि अयोध्या रामलला के राम रसोई में जानेवाला मोकरी का प्रशिद्ध गोविन्द भोग चावल भी पानी में डूब गया है.