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कैमूर में धूमधाम से मना बैसाखी का पर्व, श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में टेका मत्था - ETV Bharat Bihar News

कैमूर में बैसाखी पर्व (Baisakhi Festival in Kaimur) धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान सिख समाज के लोगों ने शहर में मौजूद विभिन्न गुरुद्वारे में पहुंचकर माथा ठेका और पांच वाणी का पाठ किया. पढ़ें पूरी खबर..

कैमूर में बैसाखी पर्व
कैमूर में बैसाखी पर्व
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Published : Apr 14, 2022, 9:19 PM IST

कैमूर: बिहार के कैमूर में बैसाखी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया (Celebration of Baisakhi Festival) गया. इस मौके पर गुरुवार को भभुआ बीके ऐतिहासिक श्री तेग बहादुर गुरुद्वारा में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. गुरुद्वारे में सुबह 7 से ही पांच वाणी का पाठ, सुखमनी साहिब का पाठ, शबद कीर्तन आनंद साहिब का पाठ आदि का आयोजन किया गया. इसके बाद संध्या के समय श्रद्धालुओं ने आरती अरदास कर माथा टेका.

यह भी पढ़ें: पटना साहिब में बैसाखी की धूम, खालसा सृजना दिवस पर होगा बड़ा आयोजन


श्रद्धालुओं ने माथा टेका: गुरुद्वारा के अध्यक्ष बाबा राजेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का गुरुद्वारे में आकर माथा टेकने का सिलसिला दिनभर जारी रहा.

खालसा पंथ की स्थापना: ऐसा कहा जाता है कि 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरू श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. तभी से बैसाखी पर्व (Baisakhi 2022) मनाने का रिवाज है. आज बैसाखी के ही दिन आनंदपुर की पहाड़ी पर जुल्म के खिलाफ एक सभा श्री गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh) महाराज ने बुलाई थी. उस सभा में 5 जाति के लोगों को चुनकर उन्हें वोट का अमृत पिलाकर सिंध सजाया अथवा खालसा पंथ को जन्म दिया. जिन्हें हम पंच प्यारे कहते हैं.

यह भी पढ़ें: पटना साहिब बैसाखी महोत्सव की तैयारियां जोरों पर, DM और SSP ने लिया जायजा


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कैमूर: बिहार के कैमूर में बैसाखी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया (Celebration of Baisakhi Festival) गया. इस मौके पर गुरुवार को भभुआ बीके ऐतिहासिक श्री तेग बहादुर गुरुद्वारा में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. गुरुद्वारे में सुबह 7 से ही पांच वाणी का पाठ, सुखमनी साहिब का पाठ, शबद कीर्तन आनंद साहिब का पाठ आदि का आयोजन किया गया. इसके बाद संध्या के समय श्रद्धालुओं ने आरती अरदास कर माथा टेका.

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श्रद्धालुओं ने माथा टेका: गुरुद्वारा के अध्यक्ष बाबा राजेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का गुरुद्वारे में आकर माथा टेकने का सिलसिला दिनभर जारी रहा.

खालसा पंथ की स्थापना: ऐसा कहा जाता है कि 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरू श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. तभी से बैसाखी पर्व (Baisakhi 2022) मनाने का रिवाज है. आज बैसाखी के ही दिन आनंदपुर की पहाड़ी पर जुल्म के खिलाफ एक सभा श्री गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh) महाराज ने बुलाई थी. उस सभा में 5 जाति के लोगों को चुनकर उन्हें वोट का अमृत पिलाकर सिंध सजाया अथवा खालसा पंथ को जन्म दिया. जिन्हें हम पंच प्यारे कहते हैं.

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