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कूड़ा-डंपिंग की जगह बनी दरधा नदी, खत्म हो रहा इसका वजूद

नगर परिषद के द्वारा अलग से डंपिंग यार्ड चिन्हित किये गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी शहर के कई वार्डो का कचरा सफाई कर्मियों के द्वारा नदी में ही फेंक दिया जाता है.

सिकुड़ रहा नदी का आकार
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Published : Mar 26, 2019, 12:45 PM IST

जहानाबाद: जिला मुख्यालय के बीच से बहती दरधा नदी कभी शहर की जीवनरेखा थी. वहीं दूसरी नदी जमुना से दरधा का संगम शहर की ठाकुरबाड़ी में होता है. पहले नदी में हमेशा पानी रहता था पर बीते कुछ वर्षों में दरधा नदी सिर्फ नाला बन कर रह गई है. शहर का कूड़ा-कचरा नदी में डंप किया जा रहा है.

जहानाबाद नगर परिषद के द्वारा अलग से डंपिंग यार्ड चिन्हित किये गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी शहर के कई वार्डो का कचरासफाई कर्मियों के द्वारा नदी में ही फेंक दिया जाता है. वहीं शहरवासी भी अपने घर का कचरा नदी में ही फेंक देते हैं.

river
नदी के आस-पास फैला कूड़ा

अतिक्रमण का शिकार
स्थानीय लोग बताते है कि आज से करीब 20 वर्ष पहले नदी काफी चौड़ी थी और यहां हमेशा पानी रहता था, लेकिन अब नदी का हाल देख कर काफी बुरा लगता है. वहीं, अतिक्रमणकारियों के द्वारा लगातार नदी के जमीन पर कब्जा करने के कारण नदी सिकुड़ कर नाले में तब्दील हो चुकी है.

river
कूड़े का ढेर

इस मामले को लेकर कई बार लोगों ने प्रशासन से शिकायत भी की है, मगर नदियों की स्वच्छता और सुरक्षा पर प्रशासन ढीला रवैया अपना रही है. सरकार द्वारा नदियों की सफाई उसके अस्तित्व को बचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, पर उसका असर अभी तक देखने को नहीं मिला.

जहानाबाद: जिला मुख्यालय के बीच से बहती दरधा नदी कभी शहर की जीवनरेखा थी. वहीं दूसरी नदी जमुना से दरधा का संगम शहर की ठाकुरबाड़ी में होता है. पहले नदी में हमेशा पानी रहता था पर बीते कुछ वर्षों में दरधा नदी सिर्फ नाला बन कर रह गई है. शहर का कूड़ा-कचरा नदी में डंप किया जा रहा है.

जहानाबाद नगर परिषद के द्वारा अलग से डंपिंग यार्ड चिन्हित किये गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी शहर के कई वार्डो का कचरासफाई कर्मियों के द्वारा नदी में ही फेंक दिया जाता है. वहीं शहरवासी भी अपने घर का कचरा नदी में ही फेंक देते हैं.

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नदी के आस-पास फैला कूड़ा

अतिक्रमण का शिकार
स्थानीय लोग बताते है कि आज से करीब 20 वर्ष पहले नदी काफी चौड़ी थी और यहां हमेशा पानी रहता था, लेकिन अब नदी का हाल देख कर काफी बुरा लगता है. वहीं, अतिक्रमणकारियों के द्वारा लगातार नदी के जमीन पर कब्जा करने के कारण नदी सिकुड़ कर नाले में तब्दील हो चुकी है.

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कूड़े का ढेर

इस मामले को लेकर कई बार लोगों ने प्रशासन से शिकायत भी की है, मगर नदियों की स्वच्छता और सुरक्षा पर प्रशासन ढीला रवैया अपना रही है. सरकार द्वारा नदियों की सफाई उसके अस्तित्व को बचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, पर उसका असर अभी तक देखने को नहीं मिला.

Intro:जिला मुख्यालय के बीच से बहती दरधा नदी कभी शहर की जीवनरेखा थी । वहीं दूसरी नदी जमुना से दरधा का संगम शहर की ठाकुरबाड़ी में होता है । पहले सालो भर नदी में पानी रहता था पर गत के दशकों में धीरे-धीरे नदी का वजूद खतरे में पड़ गया है । अब दरधा नदी सिर्फ बरसतु नाला बन कर रह गई है । शहर जा कूद4 कचड़ा नदी में डंप करने के कारण और और अतिक्रमणकारियों के द्वारा लगातार नदी के जमीन पर कब्जा करने के कारण नदी सिकुड़ कर नाले में तब्दील हो चुकी है ।


Body:जहानाबाद नगर परिषद के द्वारा अलग से डंपिंग यार्ड चिन्हित किये गए है लेकिन इसके बावजूद भी शहर के कई वार्डो का कचड़ा सफाई कर्मियों के द्वारा नदी में ही फेंक दिया जाता है । वहीं शहरवासी भी अपने घर का कचड़ा नदी में ही फेंक दते है । कूद फेंकते-फेंकते वहां की जमीन ऊंची हो जाती है और फिर अतिक्रमणकारियों द्वारा उस पर कब्जा कर लिया जाता है । स्थानीय लोग बताते है कि आज से कार्रब 20 वर्ष पहले नदी काफी चौड़ी थी और यहां हमेशा पानी रहता था, लेकिन अब नदी का हाल देख कर काफी बुरा लगता है । नदी में शहर का कचड़ा फेंके जाने के कारण नदी बिल्कुल प्रदूषित हो गयी है एयर साथ ही अतिक्रमण के कारण नफ़ी सिकुड़ गयी है ।


Conclusion:इस मामले को लेकर कई बार लोगो ने परेशसँ से शिकायत की है लेज8न उसके बावजूद परेशसँ द्वारा कोई कदम नही उठाया गया है । साथ ही मीडिया ने भी इस मामले को परेशसँ और सरकार तक पहुचाने की कोशशि की है, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन का ध्यान इस पर नही गया है । सरकार द्वारा नदियों की सफाई उसके अस्तित्व को बचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, पर उसका असर अभी तक देखने को नही मिला है ।
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