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क्या वजह है कि बिहार के इस गांव में प्याज लहसुन खाने पर लगी है पाबंदी?

बिहार के IITians वाले गांव के बारे में तो हम सब ने पढ़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव (why onion garlic ban in triloki bigha village) है जहां प्याज लहसुन पर पाबंदी है? आपको सुनकर थोड़ा अजीब लगा न. चौंकिये नहीं इस खबर को पढ़ें..

why onion garlic ban in triloki bigha village
why onion garlic ban in triloki bigha village
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Published : Mar 31, 2022, 1:53 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 5:24 PM IST

जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत (Jehanabad Chiri Panchayat) में एक ऐसा गांव है जहां बेहद अजीब सा नियम है. जहानाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव (Triloki Bigha Village At Jehanabad bihar) में लोग प्याज लहसुन नहीं खाते. यही नहीं गांव में रह रहे परिवार बाजार से प्याज लहसुन खरीदते भी नहीं है, तो इस तरह गांव में प्याज लहसुन खाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन ऐसा क्यों है, इसके पीछे की वजह क्या है. आइये समझते हैं.

पढ़ें- बिहार के इस गांव में 200 सालों से नहीं मनी होली, होली खेलने वाले के साथ होता है कुछ ऐसा...

सालों से नहीं खाया प्याज लहसुन: दरअसल, गांव में प्याज लहसुन न खाने से किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन सालों से चली आ रही परंपरा निभानी है तो निभानी है. गांव में रहने वाला हर एक सदस्य इस नियम का पालन करता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सदियों से इस गांव के लोगों ने प्याज लहसुन नहीं खाया. यहीं नहीं इस गांव के लोग न मीट-मछली खाते हैं और न ही शराब को हाथ लगाते हैं.

प्याज लहसुन न खाने की वजह ? : ग्रामीणों की मानें (Interesting Facts About Triloki Bigha Village) तो लोगों ने यहां सदियों पहले प्याज लहसुन खाना छोड़ दिया था, क्योंकि यहां भगवान विष्णु का मंदिर है. आज भी पुरखों द्वारा बनाया गया ये नियम लोग खुशी से निभाते हैं. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि जिन ग्रामीणों ने प्याज लहसुन खाया, उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हुई. ऐसी घटनाओं की संख्या जब बढ़ने लगी तब इस गांव ने पूरी तरह से प्याज लहसुन खाना छोड़ दिया.

''शुरू से ही हमलोग प्याज लहसुन नहीं खाते हैं. किसी की यहां पर मौत हो गयी थी इसलिए नहीं खाते हैं. सास-ससुर ही हमलोगों को बोले थे. काफी पहले से यह चला आ रहा है. यहां ठाकुरबाड़ी है. इसलिए मीट-मछली लहसुन प्याज कोई नहीं खाते हैं. यहां पर एक बूढ़ी खायी थी तो उन्हें डायरिया हो गया था. इसलिए कोई नहीं खाता है.''- गांव की महिलाएं

''हमारे पुरखों के समय से कोई लहसुन प्याज नहीं खाता है. अगर कोई खाने की कोशिश करता है तो उसे नुकसान पहुंचता है. यहां मठ है, लहसुन-प्याज, तारू-शराब कोई नहीं खाता यहां. किसी के घर पर नहीं बनता है. अगर कोई खा लेता है तो क्षति हो जाती है. बाबा, दादा, परदादा.. पुरखों से यह परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि कोई बाहर से खा-पीकर आया था. नहाया धोया नहीं था. इसके बाद बीमारी से उसकी मौत हो गयी थी. ठाकुरबाड़ी है.. भगवान कृष्ण की मूर्ति है, ताड़ी तक कोई नहीं पीता है.'' - स्थानीय निवासी

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जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत (Jehanabad Chiri Panchayat) में एक ऐसा गांव है जहां बेहद अजीब सा नियम है. जहानाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव (Triloki Bigha Village At Jehanabad bihar) में लोग प्याज लहसुन नहीं खाते. यही नहीं गांव में रह रहे परिवार बाजार से प्याज लहसुन खरीदते भी नहीं है, तो इस तरह गांव में प्याज लहसुन खाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन ऐसा क्यों है, इसके पीछे की वजह क्या है. आइये समझते हैं.

पढ़ें- बिहार के इस गांव में 200 सालों से नहीं मनी होली, होली खेलने वाले के साथ होता है कुछ ऐसा...

सालों से नहीं खाया प्याज लहसुन: दरअसल, गांव में प्याज लहसुन न खाने से किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन सालों से चली आ रही परंपरा निभानी है तो निभानी है. गांव में रहने वाला हर एक सदस्य इस नियम का पालन करता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सदियों से इस गांव के लोगों ने प्याज लहसुन नहीं खाया. यहीं नहीं इस गांव के लोग न मीट-मछली खाते हैं और न ही शराब को हाथ लगाते हैं.

प्याज लहसुन न खाने की वजह ? : ग्रामीणों की मानें (Interesting Facts About Triloki Bigha Village) तो लोगों ने यहां सदियों पहले प्याज लहसुन खाना छोड़ दिया था, क्योंकि यहां भगवान विष्णु का मंदिर है. आज भी पुरखों द्वारा बनाया गया ये नियम लोग खुशी से निभाते हैं. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि जिन ग्रामीणों ने प्याज लहसुन खाया, उनके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हुई. ऐसी घटनाओं की संख्या जब बढ़ने लगी तब इस गांव ने पूरी तरह से प्याज लहसुन खाना छोड़ दिया.

''शुरू से ही हमलोग प्याज लहसुन नहीं खाते हैं. किसी की यहां पर मौत हो गयी थी इसलिए नहीं खाते हैं. सास-ससुर ही हमलोगों को बोले थे. काफी पहले से यह चला आ रहा है. यहां ठाकुरबाड़ी है. इसलिए मीट-मछली लहसुन प्याज कोई नहीं खाते हैं. यहां पर एक बूढ़ी खायी थी तो उन्हें डायरिया हो गया था. इसलिए कोई नहीं खाता है.''- गांव की महिलाएं

''हमारे पुरखों के समय से कोई लहसुन प्याज नहीं खाता है. अगर कोई खाने की कोशिश करता है तो उसे नुकसान पहुंचता है. यहां मठ है, लहसुन-प्याज, तारू-शराब कोई नहीं खाता यहां. किसी के घर पर नहीं बनता है. अगर कोई खा लेता है तो क्षति हो जाती है. बाबा, दादा, परदादा.. पुरखों से यह परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि कोई बाहर से खा-पीकर आया था. नहाया धोया नहीं था. इसके बाद बीमारी से उसकी मौत हो गयी थी. ठाकुरबाड़ी है.. भगवान कृष्ण की मूर्ति है, ताड़ी तक कोई नहीं पीता है.'' - स्थानीय निवासी

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Last Updated : Mar 31, 2022, 5:24 PM IST
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