जहानाबाद: स्वास्थ्य विभाग लाख दावे कर ले, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बंया करती है. जिले के सदर अस्पताल में कुछ ऐसा ही है. यहां की इमारते जर्जर हो चुकी है. लेकिन फिर भी मरीजों की यहां भीड़ लगी रहती. हो भी क्यों ना जब बेचारे मरीजों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. वहीं अस्पताल के डीएस का कहना है कि भवन के बारे में पदाधिकारियों को सूचित किया गया है. जल्द ही कोई नयी व्यवस्था की जाएगी.
जर्जर भवन में संचालित है मरीजों का इलाज
जिले के सदर अस्पताल के जर्जर भवन में मरीजों की जान जोखिम में डालकर इसे संचालित किया जा रहा है. इसमें अल्ट्रासाउंड, एक्सरे मलेरिया विभाग सहित कई विभाग इस भवन की नीचे चलता है. यहां मरीज अपना इलाज करवाने के लिए दूरदराज से आते हैं. लेकिन यहां के भवन की व्यवस्था बहुत ही खराब है. मरीज भी मानते हैं कि भवन काफी जर्जर हो चुका है. जिससे हम सभी को एक डर सा लगा रहता है. लोगों के साथ कोई अनहोनी घट जाए.
छत गिरने का रहता है यहां डर
स्थानीय मुन्ना कुमार ने बताया कि अपनी पत्नी को लेकर यहां पर अल्ट्रासाउंड करवाने लाया हूं. लेकिन भवन को देखकर ऐसा लग रहा है कि कभी भी गिर सकता है. जिससे एक बड़ी घटना घट सकती है. वहीं 70 वर्षीय पारस कुमार ने कहा कि भवन काफी जर्जर हो चुकी है और छत में से पानी भी टपक रहा है. जिससे छत और कमजोर होता जा रहा है. कहीं ना कहीं यह एक बहुत बड़ी चूक हो सकती है. जिला प्रशासन को जल्द ही इसे बदल कर कहीं और तब्दील कर देना चाहिए.
'जल्द ही की जाएगी दूसरी व्यवस्था'
स्वास्थ विभाग के डीएस बीके झा ने बताया कि भवन की सूचना वरीय पदाधिकारियों को दे दी गई है. जल्द से जल्द कोई नयी व्यवस्था कर दी जाएगी. उन्होंने कहा सभी विभागों को इस भवन से वहां तबादला किया जाएगा, जहां मरीजों को कोई परेशानी ना हो.
पहले भी गिर चुकी है भवन की छत
बता दें कि 23 सितंबर को अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर बरामदे के छज्जे का एक हिस्सा गिरने से तीन मरीज घायल हो गए थे. इनमें से 2 मरीज का सर फट गया था, जबकि एक अन्य बच्चे को चोटें आई थी. वहीं जुलाई 2017 में सदर अस्पताल के भवन का अयोग्य घोषित कर दिया गया था और वहां पर बैनर भी लगा दिया गया है कि भवन से दूर रहे. लेकिन फिर भी इस भवन में अभी भी मरीजों का इलाज किया जा रहा है.