जमुई: बिहार के जमुई में एक गांव ऐसा है, जो सरकारी उदासीनता के चलते बीमार हो गया है. इस गांव में 50 से 60 परिवार हैं और सभी परिवारों में एक ऐसा रोगी मिलेगा, जिसकी बीमारी की वजह कोई और नहीं पानी है. जी हां, फ्लोराइड युक्त पानी पीने के चलते इस गांव के लोग बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर सोना प्रखंड के लोहा पंचायत के कुरकुटा गांव के लोगों का हाल बहुत बुरा है. क्या बच्चे, क्या महिलाएं और क्या पुरुष. सभी को फ्लोरोसिस की बीमारी ने अपनी चपेट में ले रखा है. वजह फ्लोराइड युक्त पानी पीने से इस गांव के लोगों के हाथ-पैर में टेढ़ापन आ गया है. वहीं, दांत भी खराब हो गये हैं. आलम यह है कि इलाज के लिए ये दर-दर भटकते हैं.
गांव के हालात
गांव के ही प्रभु साव 50 साल की उम्र में ही डंडे के सहारे चलने के मजबूर है. उनके पैरों की हड्डियां टेढ़ी हो चुकी हैं. सोनिया देवी, जिनकी उम्र महज 55 वर्ष है. अब चारपाई से उठ भी नहीं पाती है. बेटे प्रवीण शाह ने बताया कि उसकी मां के साथ-साथ उसके एक भाई पवन कुमार साह को भी फ्लोरोसिस ने अपनी चपेट में ले लिया है.
दूसरी ओर 48 वर्षीय माला देवी फ्लोरोसिस के चलते निशक्त हो चुकी है. गीता देवी तो अपने नित्य क्रिया कर्म के लिए दूसरे का आश्रित है. ऐसे कई लोग इस गांव में हैं, जो फ्लोरोसिस की चपेट में हैं. बच्चों के दांत पीले हो गए हैं.
2007 में लगी थी टंकी
इस गांव में 2007 में तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक सुमित कुमार सिंह के प्रयास से पानी को पीने योग्य बनाने के लिए जल शोधक संयंत्र की स्थापना की गई. पानी की टंकी लगाई गई. लेकिन कुछ साल बाद ही सबकुछ खराब हो गया. ऐसे में यहां के लोग चापाकल से निकलने वाले फ्लोराइड युक्त पानी से अपनी प्यास तो बुझा रहे हैं. लेकिन उन्हें बीमारी अपनी चपेट में ले रही है.
क्या होता है फ्लोरोसिस
- पानी में फ्लोराइड की भारी मात्रा होने के कारण यह रोग होता है.
- यह दो तरह का होता है. पहला डेंटल फ्लोरोसिस और स्केलेटल फ्लोरोसिस.
- इस गांव में दोनों तरह का फ्लोरोसिस पाया गया है.
- गांव के लोगों में दांतों में अत्यधिक पीलापन.
- हाथ और पैर का आगे या पीछे की ओर मुड़ जाना.
- पांव का बाहर या अंदर की ओर धनुषाकार हो जाना.
- घुटनों के आसपास सूजन.
- झुकने या बैठने में परेशानी.
- कंधे, हाथ और पैर के जोडों में दर्द.
- जवानी में ही बुढ़ापे का लक्षण नजर आना.
- पेट भारी रहना.
सभी प्रकार की समस्याएं पाई गई हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इस बारे में स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर डीएम तक से गुहार लगाई है. बावजूद इसके, किसी ने गांव की सुधि नहीं ली. हम आज इस भंयकर महामारी की चपेट में हैं.
वोट मांगने आते हैं नेता
गांव के ही मिथलेश साव ने कहा कि नेता लोग बस वोट मांगने आते हैं. जीत जाने के बाद इस गांव का कोई रुख नहीं करता है. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपने दर्द को बयां किया है. उन्हें आस है कि कोई उनकी मदद करने आगे आएगा. वो कोरोना जैसी महामारी से तो बचे हैं. लेकिन प्यास बुझाने के लिए पी रहे पानी से होने वाली बीमारी से नहीं बच पा रहे.