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Holi Festival 2022: जमुई में धुरखेल होली के दौरान युवाओं में उत्साह, पारंपरिक फगुआ गीत का लिया आनंद - जमुई में धुरखेल होली

जमुई में धुरखेल होली (Dhurkhel Holi in Jamui) का चलन रहा है. यहां लोग पहले सम्मत (होलिकादहन) के राख से होली खेलते हैं उसके बाद कादोमाटी की होली खेलते हैं. फिर रंगों की होली और अंत में अबीर की होली खेलते हैं. ज्यादातर जगहों पर जहां शुक्रवार को होली खेली गई, वहीं एक दिन झांपे रहने के कारण जमुई में शनिवार को होली खेली गई.

जमुई में धुरखेल होली
जमुई में धुरखेल होली
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Published : Mar 19, 2022, 10:17 PM IST

जमुई: देश भर में धूमधाम से होली का पर्व (Holi Festival 2022) मनाया गया. बिहार के जमुई में भी त्योहार को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला. यहां शनिवार को सुबह से ही बच्चे, युवा और महिलाओं की टोली होली खेलती नजर आई. जिले में पहले सम्मत (होलिकादहन) के राख से होली खेली जाती है. फिर कादोमाटी की होली और उसके बाद रंग और अबीर की होली खेली जाती है.

ये भी पढ़ें: लालू की गैरमौजूदगी में तेजप्रताप ने खेली 'कुर्ता फाड़' होली, दोस्तों के बीच पकड़ा माइक और गाने लगे फगुआ...

होली की खुमारी: वैसे तो ग्रामीण इलाकों में फगुआ का रंग होली आने के पहले ही शुरू हो जाता है. गांव के चौपट पर होली के गीत, ढोल-नगाड़े, झाल और मंजिरे की थाप सुनाई पड़ने लगती है लेकिन जैसे-जैसे होली की तारीख नजदीक आती जाती है, होली की खुमारी भी लोगों पर हावी होती जाती है.

शनिवार को होली: जमुई जिले में एक दिन झांपे रहने के कारण शनिवार को होली खेली गई. शुरुआत सम्मत के राख से हुई अपने-अपने इलाके में लोग जुटे. सम्मत यानी अगजा के राख का तिलक लगाया और फिर हुआ धुरखेल शरीर राख से सराबोर, सम्मत के चारों ओर धेरा बनाकर लोग झूमते नाचते ढोल, नगाड़े- झाल और मंजीरा बजाते दिखे.

होली का आनंद: सम्मत के बाद कादो माटी की होली खेली गई. देर शाम तक रंग और अबीर-गुलाल एक-दूसरे को लगाने और बड़ों से आशीर्वाद लेने का सिलसिला चलता रहा. साथ ही दही-बाड़े और पूआ-पकवान का भी जमकर लुत्फ उठाया गया.

ये भी पढ़ें: VIDEO: पटना में पारंपरिक फाग गीत पर खूब झूमे श्रोता, आधुनिकता में गुम हुए फाग

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जमुई: देश भर में धूमधाम से होली का पर्व (Holi Festival 2022) मनाया गया. बिहार के जमुई में भी त्योहार को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला. यहां शनिवार को सुबह से ही बच्चे, युवा और महिलाओं की टोली होली खेलती नजर आई. जिले में पहले सम्मत (होलिकादहन) के राख से होली खेली जाती है. फिर कादोमाटी की होली और उसके बाद रंग और अबीर की होली खेली जाती है.

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होली की खुमारी: वैसे तो ग्रामीण इलाकों में फगुआ का रंग होली आने के पहले ही शुरू हो जाता है. गांव के चौपट पर होली के गीत, ढोल-नगाड़े, झाल और मंजिरे की थाप सुनाई पड़ने लगती है लेकिन जैसे-जैसे होली की तारीख नजदीक आती जाती है, होली की खुमारी भी लोगों पर हावी होती जाती है.

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होली का आनंद: सम्मत के बाद कादो माटी की होली खेली गई. देर शाम तक रंग और अबीर-गुलाल एक-दूसरे को लगाने और बड़ों से आशीर्वाद लेने का सिलसिला चलता रहा. साथ ही दही-बाड़े और पूआ-पकवान का भी जमकर लुत्फ उठाया गया.

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