जमुईः जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं हुआ है. यहां ज्यादातर केंद्र भवन विहीन है. किराए के घर में चल रहे जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में से कई ऐसे हैं जहां ना तो बच्चों को खेलने के लिए खिलौना है, ना ही बुनियादी सुविधाओं की कोई व्यवस्था.
छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई गयी. जैसे टेक होम राशन योजना जो तकरीबन हर मोहल्ले में चलाई जा रही है, लेकिन जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में अभाव के कारण सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहे हैं. इसकी वजह आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं होना बताया जा रहा है.
जिले में कुल आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है
बता दें कि जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है. जिसमें कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिसका अपना भवन तक नहीं है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराए के मकान में संचालित हो रही हैं, या फिर किसी सामुदायिक भवन में. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की समुचित विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं हैं. ऐसे केंद्रों पर पीने योग्य पानी के लिए चापाकल तक नहीं है. और तो और इस केंद्र में डस्टबिन का उपयोग पीने के पानी के लिए किया जाता है.
पानी रखने के लिए डस्टबिन वाले डब्बे का प्रयोग
इस मामले में जब आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 181 से बात की गई तो उनका कहना है कि पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं बल्कि दूसरे काम के लिए किया जाता है. यहां मई महीने में पोषाहार नहीं मिलने के कारण बच्चों को खाना नहीं दिया गया है. हालांकि आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 185 में पोषाहार नहीं मिलने के बावजूद बच्चों को खिचड़ी दी जा रही है.
DPO ने दिया समस्या के समाधान का आश्वासन
आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के परिजनों का कहना है कि यहां पिछले 2 सालों से चापाकल खराब है. लेकिन उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं डीपीओ कविता कुमारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए अविलंब व्यवस्था बहाल करने और असुविधाओं को दूर करने का आश्वासन दिया. हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सब को जागरूक होने की जरूरत है.
ऐसे कैसे होगा बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास?
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र या तो भवन विहीन है या फिर सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेलने के लिए खिलौना और मूलभूत सुविधा तक नहीं है. बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बनी आंगनबाड़ी केंद्र आज सफेद हाथी साबित हो रहा है.