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जमुई : आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, बच्चों को नहीं मिलता पोषाहार

छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई गयी. लेकिन जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में अभाव के कारण सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहे हैं.

आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
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Published : May 28, 2019, 10:21 PM IST

जमुईः जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं हुआ है. यहां ज्यादातर केंद्र भवन विहीन है. किराए के घर में चल रहे जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में से कई ऐसे हैं जहां ना तो बच्चों को खेलने के लिए खिलौना है, ना ही बुनियादी सुविधाओं की कोई व्यवस्था.

छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई गयी. जैसे टेक होम राशन योजना जो तकरीबन हर मोहल्ले में चलाई जा रही है, लेकिन जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में अभाव के कारण सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहे हैं. इसकी वजह आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं होना बताया जा रहा है.

jamui
आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

जिले में कुल आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है
बता दें कि जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है. जिसमें कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिसका अपना भवन तक नहीं है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराए के मकान में संचालित हो रही हैं, या फिर किसी सामुदायिक भवन में. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की समुचित विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं हैं. ऐसे केंद्रों पर पीने योग्य पानी के लिए चापाकल तक नहीं है. और तो और इस केंद्र में डस्टबिन का उपयोग पीने के पानी के लिए किया जाता है.

jamui
आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

पानी रखने के लिए डस्टबिन वाले डब्बे का प्रयोग
इस मामले में जब आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 181 से बात की गई तो उनका कहना है कि पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं बल्कि दूसरे काम के लिए किया जाता है. यहां मई महीने में पोषाहार नहीं मिलने के कारण बच्चों को खाना नहीं दिया गया है. हालांकि आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 185 में पोषाहार नहीं मिलने के बावजूद बच्चों को खिचड़ी दी जा रही है.

आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

DPO ने दिया समस्या के समाधान का आश्वासन
आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के परिजनों का कहना है कि यहां पिछले 2 सालों से चापाकल खराब है. लेकिन उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं डीपीओ कविता कुमारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए अविलंब व्यवस्था बहाल करने और असुविधाओं को दूर करने का आश्वासन दिया. हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सब को जागरूक होने की जरूरत है.

ऐसे कैसे होगा बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास?
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र या तो भवन विहीन है या फिर सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेलने के लिए खिलौना और मूलभूत सुविधा तक नहीं है. बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बनी आंगनबाड़ी केंद्र आज सफेद हाथी साबित हो रहा है.

जमुईः जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं हुआ है. यहां ज्यादातर केंद्र भवन विहीन है. किराए के घर में चल रहे जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में से कई ऐसे हैं जहां ना तो बच्चों को खेलने के लिए खिलौना है, ना ही बुनियादी सुविधाओं की कोई व्यवस्था.

छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई गयी. जैसे टेक होम राशन योजना जो तकरीबन हर मोहल्ले में चलाई जा रही है, लेकिन जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में अभाव के कारण सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहे हैं. इसकी वजह आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं होना बताया जा रहा है.

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आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

जिले में कुल आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है
बता दें कि जिले में कुल आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है. जिसमें कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिसका अपना भवन तक नहीं है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराए के मकान में संचालित हो रही हैं, या फिर किसी सामुदायिक भवन में. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की समुचित विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं हैं. ऐसे केंद्रों पर पीने योग्य पानी के लिए चापाकल तक नहीं है. और तो और इस केंद्र में डस्टबिन का उपयोग पीने के पानी के लिए किया जाता है.

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आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

पानी रखने के लिए डस्टबिन वाले डब्बे का प्रयोग
इस मामले में जब आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 181 से बात की गई तो उनका कहना है कि पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं बल्कि दूसरे काम के लिए किया जाता है. यहां मई महीने में पोषाहार नहीं मिलने के कारण बच्चों को खाना नहीं दिया गया है. हालांकि आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 185 में पोषाहार नहीं मिलने के बावजूद बच्चों को खिचड़ी दी जा रही है.

आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

DPO ने दिया समस्या के समाधान का आश्वासन
आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के परिजनों का कहना है कि यहां पिछले 2 सालों से चापाकल खराब है. लेकिन उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं डीपीओ कविता कुमारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए अविलंब व्यवस्था बहाल करने और असुविधाओं को दूर करने का आश्वासन दिया. हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सब को जागरूक होने की जरूरत है.

ऐसे कैसे होगा बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास?
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र या तो भवन विहीन है या फिर सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेलने के लिए खिलौना और मूलभूत सुविधा तक नहीं है. बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बनी आंगनबाड़ी केंद्र आज सफेद हाथी साबित हो रहा है.

Intro:निजी भवन में चल रहा है ज्यादातर आंगनवाड़ी केंद्र

गरीब बच्चों के लिए प्ले स्कूल कहें या फिर सरकारी फाइलों के मुताबिक आंगनवाड़ी केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे ज्यादातर आंगनवाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं है ज्यादातर आंगनवाड़ी केंद्र भवन विहीन है किराए की घर में चल रहे जिले के ज्यादातर आंगनवाड़ी केंद्रों में से कई ऐसे हैं जहां ना तो बच्चों को खेलने के लिए खिलौना है ना ही बुनियादी सुविधाओं की मुकम्मल व्यवस्था की गई है


Body:जिले में कुल आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है

छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से टेक होम राशन योजना जो तकरीबन हर मोहल्ले में चलाए जा रहे हैं लेकिन जिले के कई आंगनवाड़ी केंद्र भवन के अभाव में सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहा है सही तरीके से नहीं संचालित होने के पीछे की वजह आंगनवाड़ी केंद्रों का अपना भवन नहीं होना बताया जा रहा है बता दें कि जिले में कुल आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या 1950 है जिसमें कई ऐसे आंगनवाड़ी केंद्र हैं जिसका अपना भवन तक नसीब नहीं है

पानी रखने के लिए डस्टबिन वाले डब्बे का किया जाता है प्रयोग

ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराए के मकान में संचालित हो रही है या फिर किसी सामुदायिक भवन में आंगनवाड़ी केंद्र चलाई जा रही है दरअसल झाझा ब्लॉक मुख्यालय से सटे आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 185 और 181 का अपना भवन है ना ही इन आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की समुचित विकास के लिए बुनियादी सुविधाएं हैं ऐसे केंद्रों पर ना तो पीने योग्य पानी के लिए चापाकल है ना ही बच्चों को साथ जाने के लिए शौचालय की व्यवस्था की गई है और एक ऐसा केंद्र है जहां डस्टबिन का उपयोग पीने के पानी के लिए किया जाता है इस बाबत जब आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 181 से बात की गई उनका कहना है कि पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं बल्कि दूसरे काम के लिए किया जाता है जिसमें बच्चे आते हैं मई महीने की पोषाहार नहीं मिलने के कारण बच्चों को पोषाहार नहीं दिया गया है हालांकि आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 185 में पोषाहार नहीं मिलने के बावजूद बच्चों को खिचड़ी दिया जा रहा है।

बाईट-संचालिका
बाईट-परिजन

पिछ्ले 2सालों से है चापाकल खराब

आंगनवाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों की परिजनों का कहना है कि यहां पिछले 2 सालों से चापाकल खराब है लेकिन उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है

DPO ने दिया समस्या के समाधान का आश्वासन

वहीं DPO यानी जिला प्रोग्राम पदाधिकारी कविता कुमारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए अविलंब व्यवस्था बहाल करने और सुविधाओं को दूर करने का आश्वासन दिया हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सब को जागरूक होने की जरूरत है।




Conclusion:ऐसे कैसे होगा बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास?

ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश आंगनवाड़ी केंद्र या तो भवन विहीन है या फिर सुविधाओं का घोर अभाव है ऐसे आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेलने के लिए खिलौना और मूलभूत सुविधाओं तक नहीं है बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बनी आंगनवाड़ी केंद्र आज सफेद हाथी साबित हो रहा है ।

ई टीवी भारत के लिए जमुई से ब्रजेन्द्र नाथ झा
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