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25 सालों से अपने अधिकारों की जंग लड़ रहे हैं बंजारे, मताधिकार से भी हैं वंचित

जिला मुख्यालय से सटे इलाकों में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के तहत भारत के सभी नागरिकों को मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण अधिकार, मताधिकार से वंचित रखा गया है.

बंजारा परिवार की महिलाएं और बच्चे
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Published : Apr 16, 2019, 1:51 PM IST

जमुईः जिले के खैरा ब्लाक मुख्यालय के नजदीक दो दशक से रह रहे बंजारों की स्थिति में आज तक कोई बदलाव नहीं हो सका. इन बंजारों के पास आधार कार्ड भी है. इसके बावजूद ना तो इन्हें पीने योग्य पानी की व्यवस्था है और ना ही आवास. यानि ये अब तक तमाम बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं.

लोकसभा चुनाव में जहां हर कोई विकास और राष्ट्रहित समेत अन्य मसलों पर मतदान करने का मन बना रहे हैं. वहीं, एक ऐसा तबका भी है जो अपने मूलभूत अधिकारों को हासिल करने की जंग लड़ रहा है. ये बंजारे अभी भी खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. इन्हें चुनाव से कोई मतलब नहीं है और ना ही मतदान का कोई असर आज तक इनकी जिंदगी पर पड़ा है. भारत में संविधान को लागू हुए तकरीबन 7 दशक पूरा होने को हैं. बावजूद इन 7 दशकों में आज भी कई भारतीय ऐसे हैं जो अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं.

जानकरी देते स्थानीय लोग

बदहाल हैं तंबू लगाकर रहने वाले लोग
दरअसल, जिले में एक खास कुनबा भी है जो अलग-अलग जगहों पर टेंट तंबू लगाकर खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा है. एक तरफ जहां हम पूरे देश में एकरूपता और एक संविधान लागू करने की बात करते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ जिला मुख्यालय से सटे इलाकों में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के तहत भारत के सभी नागरिकों को मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मताधिकार से वंचित रखा गया है. सवाल यह है कि आखिर इन लोगों की क्या गलती है. आखिर इन्हें समाज का हिस्सा क्यों नहीं माना जा रहा. इन्हें मतदान के अधिकार से अब तक क्यों वंचित रखा गया है. यह समझना सबसे कठिन है.

banjare
अधार कार्ड दिखाते बंजारे

नहीं हुआ गरीब तबके का उत्थान
समाज में रह रहे पिछले अति पिछड़े वर्गों के लोग वर्ग के लोगों के लिए सरकार की ओर से ढ़ेर सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं जिला प्रशासन के नाक के नीचे रह रहे करीब 50 परिवार बंजारे अभी भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जिला प्रशासन गरीब तबके और पिछड़े वर्गों की उत्थान के लिए एक से एक योजना को अमलीजामा पहनाने में लगा हुआ है फिर ऐसे बंजारे परिवारों की स्थिति बदतर क्यों है.

जमुईः जिले के खैरा ब्लाक मुख्यालय के नजदीक दो दशक से रह रहे बंजारों की स्थिति में आज तक कोई बदलाव नहीं हो सका. इन बंजारों के पास आधार कार्ड भी है. इसके बावजूद ना तो इन्हें पीने योग्य पानी की व्यवस्था है और ना ही आवास. यानि ये अब तक तमाम बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं.

लोकसभा चुनाव में जहां हर कोई विकास और राष्ट्रहित समेत अन्य मसलों पर मतदान करने का मन बना रहे हैं. वहीं, एक ऐसा तबका भी है जो अपने मूलभूत अधिकारों को हासिल करने की जंग लड़ रहा है. ये बंजारे अभी भी खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. इन्हें चुनाव से कोई मतलब नहीं है और ना ही मतदान का कोई असर आज तक इनकी जिंदगी पर पड़ा है. भारत में संविधान को लागू हुए तकरीबन 7 दशक पूरा होने को हैं. बावजूद इन 7 दशकों में आज भी कई भारतीय ऐसे हैं जो अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं.

जानकरी देते स्थानीय लोग

बदहाल हैं तंबू लगाकर रहने वाले लोग
दरअसल, जिले में एक खास कुनबा भी है जो अलग-अलग जगहों पर टेंट तंबू लगाकर खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा है. एक तरफ जहां हम पूरे देश में एकरूपता और एक संविधान लागू करने की बात करते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ जिला मुख्यालय से सटे इलाकों में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के तहत भारत के सभी नागरिकों को मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मताधिकार से वंचित रखा गया है. सवाल यह है कि आखिर इन लोगों की क्या गलती है. आखिर इन्हें समाज का हिस्सा क्यों नहीं माना जा रहा. इन्हें मतदान के अधिकार से अब तक क्यों वंचित रखा गया है. यह समझना सबसे कठिन है.

banjare
अधार कार्ड दिखाते बंजारे

नहीं हुआ गरीब तबके का उत्थान
समाज में रह रहे पिछले अति पिछड़े वर्गों के लोग वर्ग के लोगों के लिए सरकार की ओर से ढ़ेर सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं जिला प्रशासन के नाक के नीचे रह रहे करीब 50 परिवार बंजारे अभी भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जिला प्रशासन गरीब तबके और पिछड़े वर्गों की उत्थान के लिए एक से एक योजना को अमलीजामा पहनाने में लगा हुआ है फिर ऐसे बंजारे परिवारों की स्थिति बदतर क्यों है.

Intro:ना घर है, ना ही ज़मीन, बदतर जीवन जीने को मजबूर हैं बंजारे

ANC- जमुई जिले के खैरा ब्लाक मुख्यालय के नजदीक दो दशकसे रह रहे बंजारों की स्थिति में बदलाव नहीं। इन बंजारों के पास आधार कार्ड है बावजूद ना तो इन्हें पीने योग्य पानी की व्यवस्था है ना ही आवास है ना ही कोई मुकम्मल बुनियादी सुविधाएं इन्हें प्राप्त है।


Body:ना घर है ना ही कोई ठिकाना हर कदम पर परेशानी और है दुश्वारियां

VO- लोकसभा चुनाव में जहां आम और खास विकास और राष्ट्रहित सहित अपने अन्य मसलों पर मतदान करने का मन बना रहे हैं वहीं एक खास तब का आज भी अपने मूलभूत अधिकार से वंचित है संविधान की ओर से मिले मतदान के अधिकार से अभी भी खानाबदोश की जिंदगी जी रहे बंजारे वंचित है इन्हें आखिर ना चुनाव से मतलब है और ना ही मतदान का कोई असर इनकी जिंदगी पर पड़ा है
भारतवर्ष में संविधान को लागू हुए तकरीबन 7 दशक पूरा होने को है बावजूद इन 7 दशकों में आज भी कई भारतीय ऐसे हैं जो अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सत्ता की हनक में चूर चकाचौंध भारी गाड़ियों से गुजरते नेताओं आज तक कुछ ऐसे लोग नहीं दिखे जो दरअसल हमारे ही समाज का हिस्सा तो है पर उन्हें हम अपने समाज का हिस्सा मानने को तैयार नहीं

दो दशक से रह रहे हैं यहां बंजारे

दरअसल, जिले में एक खास कुनबा ऐसा भी है जो अलग-अलग जगहों पर टेंट तंबू लगाकर खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में लीन है एक तरफ जहां हम पूरे देश में एकरूपता और एक संविधान लागू करने की बात करते रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिला मुख्यालय से करीब इलाकों में भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 के तहत भारत के सभी नागरिकों को मिलने वाले सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मताधिकार से वंचित रखा गया है सवाल यह है कि आखिर इन लोगों की क्या गलती है आखिर इन्हें समाज का हिस्सा क्यों नहीं माना जा रहा और इन्हें मतदान के अधिकार से अब तक क्यों वंचित रखा गया है यह समझना सबसे कठिन है।


Conclusion:आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं बंजारे

जिले के कई हिस्सों में इस तरह के बंजारे परिवार के साथ टेंट और तंबू लगाकर रहते हैं जो छोटे-मोटे काम कर अपना जीवन यापन करते हैं पर इन लोगों को ना तो आज तक किसी सरकारी सुविधा का लाभ मिला और ना ही यह किसी सरकारी योजना के बारे में जानते तक है यह तो बस इतना जानते हैं कि सरकार चुनने के लिए 1 वोट देने का अधिकार उन्हें भी मिलना चाहिए।

जहां समाज में रह रहे पिछले अति पिछड़े वर्गों के लोग वर्ग के लोगों के लिए सरकार की ओर से ढेर सारी योजनाएं चलाई जा रही है वहीं जिला प्रशासन के नाक के नीचे रह रहे करीब 50 परिवार बंजारे अभी भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है ऐसे में सवाल उठता है कि जहां जिला प्रशासन गरीब तबके और पिछड़े वर्गों की उत्थान के लिए एक से एक योजना को अमलीजामा पहनाने में लगा हुआ है वही ऐसे बंजारे परिवार की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ।
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