जमुई: लोकसभा चुनाव के चलते प्रशासन सभी जिलों में मतदाता जागरूकता अभियान चला रहा है. इसको लेकर जमुई जिला प्रशासन की ओर से भी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए दिव्यांग जनों की एक रैली निकाली गई. लेकिन रैली में मौजूद दिव्यांग जनों को रैली के मकसद के बारे में कुछ भी पता नहीं था.
आगामी लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है. प्रथम चरण में बिहार की 4 सीटों पर वोटिंग होनी है. इनमें जमुई ,नवादा, गया और औरंगाबाद में मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. इसी को लेकर जमुई में भी जिला प्रशासन की ओर से मतदाता जागरूकता के लिए दिव्यांग जन रैली का आयोजन किया गया. मगर रैली की खास बात ये रही कि अधिकतर दिव्यांग जनों को इस रैली का उद्देश्य ही नहीं पता था.
बड़ी संख्या में थे दिव्यांग
रैली में तकरीबन 50 से ज्यादा दिव्यांग शामिल थे. इनमें कुछ को ही रैली का मुख्य उद्देश्य पता था. वहीं, रैली में शामिल कई ऐसे भी दिव्यांगजन थे, जिन्हें ना तो रैली के मकसद के बारे में पता था, ना ही जिला प्रशासन की ओर से उन्हें कोई गाइडलाइन दी गई थी.
हैरान कर देने वाले जवाब
रैली में कई ऐसे दिव्यांगजन थे, जिनसे रैली के मकसद के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब जो था वो सुनकर आप हैरान हो जाएंगे और बरबस बोल पड़ेंगे कि क्या यह आदर्श आचार संघिता उल्लंघन का मामला नहीं है. क्योंकि जब दिव्यांग से पूछा गया कि इस रैली का मकसद क्या है? रैली निकाली क्यों जा रही है? तो दिव्यांगों का जो जवाब था, वो बेहद चौंकाने वाला था. दिव्यांगों ने जवाब दिया कि मौजूदा उम्मीदवार चिराग पासवान को वोट डालने के लिए रैली निकाली गई है.
तो क्या अधूरी तैयारी?
हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से पूरी मुस्तैदी के साथ मतदाता जागरूकता अभियान तो निकाली गई. तकरीबन 50 से ज्यादा दिव्यांगों को शामिल भी किया गया. लेकिन उन दिव्यांगों को रैली के मकसद के बारे में शायद नहीं बताया गया. लिहाजा रैली में शामिल दिव्यांग कुछ और समझ कर पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रहे.
नंबर बनाने के लिए थी रैली
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब रैली के मकसद के बारे में किसी को पता ही ना हो तो, उस रैली का क्या मतलब. ऐसे जागरूकता अभियान का क्या मतलब, जिस में जागरूकता अभियान में शामिल लोगों को ही इस रैली के बारे में पता ना हो.