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जमुई में किसानों ने शुरू किया टिड्डी भगाओ अभियान, घर-घर जाकर कर रहे हैं जागरूक - jamui news

बिहार में टिड्डी दलों के प्रभावित हमले से किसानों की समस्या काफी बढ़ गई है. किसान अपने फसलों को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं. साथ ही टिड्डी भगाओ अभियान चला रहे हैं.

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Published : Jun 5, 2020, 4:26 PM IST

जमुई: टिड्डी दल की संभावना से जैविक ग्राम केडिया के किसान काफी परेशान हैं. टिड्डी दलों के हमले से बचाव के लिए जैविक किसानों की प्रशासन से अपील की है. किसानों को यह डर सता रहा है कि कहीं उनके लाखों की फसल नष्ट न हो जाए. किसानों के मुताबिक क्षेत्र में इस समय धान और अरहर समेत कई फसलें बढ़ रही है. फसलें नष्ट न हो जाए, इस बात की चिंता किसानों के सता रही है.

इसको लेकर किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. प्रशासन को दिए ज्ञापन में कहा है कि एक वर्ग किलोमीटर में फैला एक टिड्डी दल हर रोज 35,000 इंसानों के बराबर का भोजन खा सकता है. इसलिए हम इस संकट को लेकर बहुत चिंतित हैं.

टिड्डी दलों के परेशान हैं किसान
वहीं, किसान कहते हैं कि पिछले कई महीनों में किसानों पर एक के बाद एक संकट आ रही है. पहले कोरोना के कारण हुई देशबंदी ने हमारी आमदनी पर बुरा असर डाला. उसके बाद जलवायु परिवर्तन की वजह से होनेवाली बेमौसम बरसात और तेज आंधी-पानी, वज्रपात, ओलावृष्टि से लगातार हमारी खेती, खाद्य सुरक्षा और आमदनी संकट में है. उन्होंने कहा कि अगर टिड्डी दल का हमला हुआ तो हम किसान बेमौत मारे जाएंगे. किसानों ने आगे कहा कि जैविक खेती करने के लिए इन टिड्डियों की रोकथाम के लिए जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया जाए.

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फसलों की सुरक्षा पर की जा रही चर्चा

कीटनाशकों के इस्तेमाल पर बरतें सावधानी
बता दें कि खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) में इस रेगिस्तानी टिड्डी पर नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर कुछ सावधानियां बरतने को कहा है. इसमें कहा गया है कि तेज धूप या 38-40 डिग्री से अधिक तापमान, तेज हवा, या जल्दी-जल्दी दिशा बदलती हवा या बारिश के दौरान या फिर उसकी संभावना की स्थिति में कीटनाशकों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. क्योंकि ऐसे समय में छिड़काव से टिड्डियों पर कोई असर नहीं पड़ता बल्कि मनुष्यों, मवेशियों समेत अन्य जीव-जंतुओं के अलावा मिट्टी और पानी में रहने वाले छोटे-बड़े जीव मारे जाते हैं.

किसानों ने दी जानकारी
वहीं, किसान बताते हैं कि पिछले दो महीनों में मौसमी उथल पुथल मची हुई है. इस दौरान कम से कम 6 से 8 बार तेज आंधी-पानी, ओलावृष्टि और अत्यधिक तापमान की घटनाएँ देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसे में खाद्य और कृषि संगठन के एसओपी के अनुसार कीटनाशक छिड़काव के लिए अनुकूल वातावरण बन नहीं पा रहा है. किसानों ने आगे बताया कि रेगिस्तानी टिड्डियों की रोकथाम के लिए आमतौर पर मालथियौन या ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. वहीं, कीटनाशक विशेषज्ञ बताते हैं कि इस कीटनाशक का प्रभाव मानव शरीर पर काफी लंबे समय तक बना रहता है और यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.

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टिड्डी दल से परेशान किसान

'कीटनाशकों से मनुष्यों को झेलना पड़ सकता है दंश'
उधर, अगर खाद्य और कृषि संगठन और विशेषज्ञों की बातों को जोड़कर देखा जाए तो यह समझ में आता है कि रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के बावजूद शायद टिड्डियों की रोकथाम शायद नहीं हो पाएगी. लेकिन, व्यापक स्तर पर अन्य जीव-जंतुओं, मवेशियों और मनुष्यों को इनका दंश झेलना पड़ सकता है. लेकिन, इसमें राहत की बात यह है कि कई विशेषज्ञों के अनुसार टिड्डियों के दल उन खेतों पर नहीं बैठ रहे, जिनपर नीम के तेल या नीम की पत्तियों के रस का छिड़काव किया गया था. इसके अलावा लहसुन और मिर्च से बनी जैविक दवाइयों के छिड़काव से भी कुछ जगहों पर फायदा होने की सूचना है. खाद्य और कृषि संगठन ने मेथरीजियम आर्किडम नामक फंगस को रेगिस्तानी टिड्डों की रोकथाम के लिए काफी प्रभावी, मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित बताया है.

टिड्डी दल भगाओ अभियान की शुरुआत
बता दें कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर किसानों ने जमुई जिला प्रशासन, विशेषकर, जिला कृषि विभाग ने 'टिड्डी दल भगाओ अभियान' की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत जैविक खलिहान कृषक हित समूह के सदस्य जैविक विधियों से बनाई गई नीमास्त्र और अग्निअस्त्र जैसी जैविक दवाइयों का निर्माण और प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक करेंगे. इस अभियान की शुरुआत बिहार के पहले जीवित माटी आदर्श जैविक ग्राम केडिया में की गई. इस दौरान अरविन्द कुमार, शानू कुमारी एटीएम आत्मा बरहट जमुई, शंभु शरण यादव बीएचओ बरहट जमुई, जीवित माटी किसान समिति, केडिया के सचिव राजकुमार यादव और सिंघेश्वर आदि शामिल थे.

देखिए खास रिपोर्ट

टिड्डियों के 10 दल एक्टिव
मालूम हो कि कि थार मरुस्थल में पैदा हुए टिड्डी दल बिहार की सीमा तक पहुंच चुके हैं. टिड्डियों के लगभग 10 दल देश में सक्रिय हैं, जिनका विस्तार पश्चिम में गुजरात राजस्थान से लेकर दक्षिण में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा और पूर्व में बिहार-उत्तर प्रदेश सीमा तक फैला है. वहीं, विश्व खाद्य संगठन के एक आंकलन के अनुसार 26 मई तक इन टिड्डी दलों ने 1,25,0000 एकड़ कृषि भूमि को बर्बाद कर दिया. इस संगठन की अगर मानें तो यह संकट अगले महीने तक और गहराएगा, जब टिड्डियों के बच्चे वयस्क हो जाएंगे और पूर्व में ओडिशा, बिहार, बंगाल हर जगह फैल जाएंगे.

जमुई: टिड्डी दल की संभावना से जैविक ग्राम केडिया के किसान काफी परेशान हैं. टिड्डी दलों के हमले से बचाव के लिए जैविक किसानों की प्रशासन से अपील की है. किसानों को यह डर सता रहा है कि कहीं उनके लाखों की फसल नष्ट न हो जाए. किसानों के मुताबिक क्षेत्र में इस समय धान और अरहर समेत कई फसलें बढ़ रही है. फसलें नष्ट न हो जाए, इस बात की चिंता किसानों के सता रही है.

इसको लेकर किसानों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. प्रशासन को दिए ज्ञापन में कहा है कि एक वर्ग किलोमीटर में फैला एक टिड्डी दल हर रोज 35,000 इंसानों के बराबर का भोजन खा सकता है. इसलिए हम इस संकट को लेकर बहुत चिंतित हैं.

टिड्डी दलों के परेशान हैं किसान
वहीं, किसान कहते हैं कि पिछले कई महीनों में किसानों पर एक के बाद एक संकट आ रही है. पहले कोरोना के कारण हुई देशबंदी ने हमारी आमदनी पर बुरा असर डाला. उसके बाद जलवायु परिवर्तन की वजह से होनेवाली बेमौसम बरसात और तेज आंधी-पानी, वज्रपात, ओलावृष्टि से लगातार हमारी खेती, खाद्य सुरक्षा और आमदनी संकट में है. उन्होंने कहा कि अगर टिड्डी दल का हमला हुआ तो हम किसान बेमौत मारे जाएंगे. किसानों ने आगे कहा कि जैविक खेती करने के लिए इन टिड्डियों की रोकथाम के लिए जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया जाए.

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फसलों की सुरक्षा पर की जा रही चर्चा

कीटनाशकों के इस्तेमाल पर बरतें सावधानी
बता दें कि खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) में इस रेगिस्तानी टिड्डी पर नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर कुछ सावधानियां बरतने को कहा है. इसमें कहा गया है कि तेज धूप या 38-40 डिग्री से अधिक तापमान, तेज हवा, या जल्दी-जल्दी दिशा बदलती हवा या बारिश के दौरान या फिर उसकी संभावना की स्थिति में कीटनाशकों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. क्योंकि ऐसे समय में छिड़काव से टिड्डियों पर कोई असर नहीं पड़ता बल्कि मनुष्यों, मवेशियों समेत अन्य जीव-जंतुओं के अलावा मिट्टी और पानी में रहने वाले छोटे-बड़े जीव मारे जाते हैं.

किसानों ने दी जानकारी
वहीं, किसान बताते हैं कि पिछले दो महीनों में मौसमी उथल पुथल मची हुई है. इस दौरान कम से कम 6 से 8 बार तेज आंधी-पानी, ओलावृष्टि और अत्यधिक तापमान की घटनाएँ देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसे में खाद्य और कृषि संगठन के एसओपी के अनुसार कीटनाशक छिड़काव के लिए अनुकूल वातावरण बन नहीं पा रहा है. किसानों ने आगे बताया कि रेगिस्तानी टिड्डियों की रोकथाम के लिए आमतौर पर मालथियौन या ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. वहीं, कीटनाशक विशेषज्ञ बताते हैं कि इस कीटनाशक का प्रभाव मानव शरीर पर काफी लंबे समय तक बना रहता है और यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.

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टिड्डी दल से परेशान किसान

'कीटनाशकों से मनुष्यों को झेलना पड़ सकता है दंश'
उधर, अगर खाद्य और कृषि संगठन और विशेषज्ञों की बातों को जोड़कर देखा जाए तो यह समझ में आता है कि रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के बावजूद शायद टिड्डियों की रोकथाम शायद नहीं हो पाएगी. लेकिन, व्यापक स्तर पर अन्य जीव-जंतुओं, मवेशियों और मनुष्यों को इनका दंश झेलना पड़ सकता है. लेकिन, इसमें राहत की बात यह है कि कई विशेषज्ञों के अनुसार टिड्डियों के दल उन खेतों पर नहीं बैठ रहे, जिनपर नीम के तेल या नीम की पत्तियों के रस का छिड़काव किया गया था. इसके अलावा लहसुन और मिर्च से बनी जैविक दवाइयों के छिड़काव से भी कुछ जगहों पर फायदा होने की सूचना है. खाद्य और कृषि संगठन ने मेथरीजियम आर्किडम नामक फंगस को रेगिस्तानी टिड्डों की रोकथाम के लिए काफी प्रभावी, मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित बताया है.

टिड्डी दल भगाओ अभियान की शुरुआत
बता दें कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर किसानों ने जमुई जिला प्रशासन, विशेषकर, जिला कृषि विभाग ने 'टिड्डी दल भगाओ अभियान' की शुरुआत की है. इस अभियान के तहत जैविक खलिहान कृषक हित समूह के सदस्य जैविक विधियों से बनाई गई नीमास्त्र और अग्निअस्त्र जैसी जैविक दवाइयों का निर्माण और प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक करेंगे. इस अभियान की शुरुआत बिहार के पहले जीवित माटी आदर्श जैविक ग्राम केडिया में की गई. इस दौरान अरविन्द कुमार, शानू कुमारी एटीएम आत्मा बरहट जमुई, शंभु शरण यादव बीएचओ बरहट जमुई, जीवित माटी किसान समिति, केडिया के सचिव राजकुमार यादव और सिंघेश्वर आदि शामिल थे.

देखिए खास रिपोर्ट

टिड्डियों के 10 दल एक्टिव
मालूम हो कि कि थार मरुस्थल में पैदा हुए टिड्डी दल बिहार की सीमा तक पहुंच चुके हैं. टिड्डियों के लगभग 10 दल देश में सक्रिय हैं, जिनका विस्तार पश्चिम में गुजरात राजस्थान से लेकर दक्षिण में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा और पूर्व में बिहार-उत्तर प्रदेश सीमा तक फैला है. वहीं, विश्व खाद्य संगठन के एक आंकलन के अनुसार 26 मई तक इन टिड्डी दलों ने 1,25,0000 एकड़ कृषि भूमि को बर्बाद कर दिया. इस संगठन की अगर मानें तो यह संकट अगले महीने तक और गहराएगा, जब टिड्डियों के बच्चे वयस्क हो जाएंगे और पूर्व में ओडिशा, बिहार, बंगाल हर जगह फैल जाएंगे.

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