जमुई: जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर जिले को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि 'जमुई जिला पहाड़ीनुमा क्षेत्र है. यहां की 80 प्रतिशत आबादी खेती किसानी पर आश्रित है. मैंने क्षेत्र भ्रमण के दौरान पाया कि लगभग 80 प्रतिशत रकवा पर किसानों का हल तक नहीं चल पाया है, जो चिंता का विषय है. अधिकांश लोग मजदूर वर्ग के हैं लेकिन वर्षा की कमी के कारण कृषि का कार्य पूर्ण रूप से ठप पड़ गया है. क्षेत्र के किसानों को चिंतित देख मन में पीड़ा हो रही है, अतः आपसे विनम्र आग्रह है कि जमुई जिला को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए एवं किसानों मजदूरों के हित में वैकल्पिक व्यवस्था करने की विषेश कृपा करें.'
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सुखाड़ को लेकर सरकार तैयारः सुखाड़ को लेकर पिछले दिनों सीएम की बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा था कि सभी संबंधित विभाग सूखे से निपटने के लिए तैयार हैं. सरकार पूरी तैयारी कर रखी है. मुख्यमंत्री प्रदेश के हालात पर नजर बनाए हुए हैं. वहीं, लघु जल संसाधन मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि बिहार को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के लिए अगस्त महीने तक का इंतजार सरकार करेगी. इसके बाद योजनाएं चलाई जाएंगी.
बिहार में धान की खेती प्रभावित: इधर, बारिश को लेकर किसान आस लगाए बैठे हैं. कृषि विभाग की माने तो राज्य में अब तक एक जून से 25 जुलाई तक सामान्य से 45 प्रतिशत बारिश कम हुई है. सामान्य तौर पर जून, जुलाई में करीब 442 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए. बिहार के किशनगंज और अररिया जिले को छोड़ दें, तो राज्य के 36 जिलों में सामान्य बारिश अब तक नहीं हुई है. बारिश नही होने के कारण किसान आसमान की ओर निहार रहे हैं. बारिश नहीं होने के कारण खेत में लगे धान के बिचड़े तेज धूप से जल रहे हैं.
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