जमुई: न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने वाली पुलिस कई मामले में अनुसंधान की जानकारी के लिए मांगी गई केस डायरी और मेडिकल रिपोर्ट भेजने में महीनों समय लगा दे देती (Jamui court angry due to police negligence) है. इससे न्यायालय में लंबित जमानत और अन्य मामले की सुनवाई और उसके निर्णय में विलंब आम बात है. हद तो तब हो गई जब बिहार के जमुई कोर्ट में एडीजे चतुर्थ की अदालत में एक जमानत आवेदन में सुनवाई के दौरान मांगी गई. केस डायरी सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपलब्ध नहीं थी, जबकि अभियुक्त के अधिवक्ता ने केस डायरी न्यायालय में दिखाकर बहस शुरू कर दिया.
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केस डायरी सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपलब्ध नहीं : अभियुक्त के अधिवक्ता द्वारा केस डायरी को दिखाकर बहस शुरू करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीजे चतुर्थ ने संबंधित पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ एसपी जमुई को लिखकर उचित कार्रवाई का आदेश दिया है. उन्होंने इसे गंभीर मामला माना और सख्त नाराजगी जताई. यह मामला लक्ष्मीपुर गिद्धौर थाने का है. जिसमें रेलवे में नौकरी के नाम पर 656000 रुपया ठग लेने से संबंधित एफआइआर दर्ज किया गया है.
कोर्ट के शोकॉज नोटिस का नहीं दिया जवाब:वहीं एडीजे चतुर्थ की अदालत में ही झाझा थाना से संबंधित एक अन्य मामला जमानत पर सुनवाई के लिए है. जिसमे मांगी गई. पुलिस ने केस डायरी और मेडिकल रिपोर्ट न्यायालय में समर्पित नहीं किया. तब सुनवाई में विलंब को देखते हुए न्यायालय ने झाझा थाने से संबंधित पुलिस पदाधिकारी पर शोकॉज नोटिस जारी किया. शो कॉज नोटिस मिलने के बावजूद बेपरवाह पुलिस पदाधिकारियों ने न्यायालय में केस डायरी मेडिकल रिपोर्ट और जवाब कुछ भी समर्पित नहीं किया. जिसके कारण एक बार फिर सुनवाई टल गई और न्यायालय ने इस पर नाराजगी व्यक्त की.