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Hull Diwas in Jamui: आदिवासी महानायकों की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प

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Published : Jun 30, 2023, 9:04 PM IST

भाकपा माले और आदिवासी संघर्ष मोर्चा की ओर से अंग्रेजों से लोहा लेने वाले आदिवासियों के नायक सिद्धो- कान्हू की प्रतिमा स्थापित करने की मांग सरकार से की. हुल दिवस के मौके पर हजारों आदिवासियों ने इसका संकल्प लिया. पढ़ें, पूरी खबर.

आदिवासियों की आमसभा
आदिवासियों की आमसभा

जमुई: हूल दिवस के अवसर पर जमुई में भाकपा माले के नेतृत्व में हजारों आदिवासियों ने अपने हाथ में तीर-धनुष और लाल झंडे लेकर जवाहर हाई स्कूल मैदान से मार्च निकाला. भाकपा माले के युवा नेता बाबू साहब सिंह के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला गया. मार्च में बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू, चांद, भैरव तमाम आदिवासी महानायकों की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की मांग की गयी. इसके अलावा वनाधिकार कानून 2008 को सख्ती से लागू करने, वन संरक्षन कानून 2022 को वापस लेने की मांग की गयी.

इसे भी पढ़ेंः तीर-कमान के दम पर आदिवासियों ने अंग्रेजों से किया था मुकाबला, गुरिल्ला वार से कांपते थे अंग्रेज

सिद्धो-कान्हो के चित्र पर माल्यार्पणः मार्च द्विरिका विवाह भवन पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने किया. वहीं मंच संचालन बाबू साहब सिंह ने किया. सभा की शुरुआत हुल आंदोलन में सिद्धो-कान्हो सहित हजारों आदिवासियों की शहादत को याद करते हुए एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गयी. केंद्रीय कमेटी सदस्य और भाकपा माले के विधायक बिरेन्द्र गुप्ता सहित हजारों लोगों ने सिद्धो-कान्हो के चित्र पर माल्यार्पण किया.

"जिस जल जंगल जमीन को बचाने और आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए सिद्धो कान्हो ने स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई से पहले 30 जून 1855 को अंग्रेजों से लोहा लिया था उसी लड़ाई का परिणाम था कि सन 1900 में संथाल परगना टेंडेंसी अधिनियम बना और आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों के खरीदने पर रोक लगाई गयी. आजादी के बाद भी संथाल परगना कास्तकारी अधिनियम सविधान में जोड़ा गया."- बिरेन्द्र गुप्ता, विधायक

संविधान की रक्षा के एकजुट होने का आह्वानः आदिवासी किसान नेता कल्लू मरांडी ने कहा कि आदिवासी जनसमुदाय के बीच बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हो, चांद, भैरव के विद्रोह में जिस चेतना का सूत्रपात किया जिससे समाज के सबसे निचले पायदान पर समझे जाने वाले लोगों ने अपने महानायकों की विजयी गाथा को इतिहास में अमर बना दिया. अखिल भारती किसान सभा के जिला सचिव मनोज कुमार पांडये ने कहा कि हूल दिवस के अवसर पर हम तमाम आदिवासियों, गरीबों किसान मजदूरों मेहनतकशों से अपील करते हैं कि देश की महान विरासत लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर फासीवादी मोदी सरकार को धवस्त कर दे.

ये हुए शामिलः कार्यक्रम में बासुदेव राय, कंचन रजक,रमेश यादव, मोहम्मद हैदर सलीम अंसारी, बासुदेव हांसदा, राजकिशोर किस्को, संजय राय, खूबलाल राणा, एतवा हेम्ब्रम, कारमनी राय, कंनंदना मुर्मु, बुधन हेम्ब्रम, बिरेन्द्र हांसदा, फुचन टुड्डू, अनिल हेम्ब्रम सहित हजारों लोग उपस्थित रहे. वे वनाधिकार कानून 2008 आदिवासियों के हित में सख्ती से लागू करो, वन संरक्षण कानून 2022 फौरन वापस करो, आदिवासी महानायकों की आदमकद प्रतिमा स्थापित करो की मांग कर रहे थे.

जमुई: हूल दिवस के अवसर पर जमुई में भाकपा माले के नेतृत्व में हजारों आदिवासियों ने अपने हाथ में तीर-धनुष और लाल झंडे लेकर जवाहर हाई स्कूल मैदान से मार्च निकाला. भाकपा माले के युवा नेता बाबू साहब सिंह के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला गया. मार्च में बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू, चांद, भैरव तमाम आदिवासी महानायकों की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की मांग की गयी. इसके अलावा वनाधिकार कानून 2008 को सख्ती से लागू करने, वन संरक्षन कानून 2022 को वापस लेने की मांग की गयी.

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सिद्धो-कान्हो के चित्र पर माल्यार्पणः मार्च द्विरिका विवाह भवन पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने किया. वहीं मंच संचालन बाबू साहब सिंह ने किया. सभा की शुरुआत हुल आंदोलन में सिद्धो-कान्हो सहित हजारों आदिवासियों की शहादत को याद करते हुए एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गयी. केंद्रीय कमेटी सदस्य और भाकपा माले के विधायक बिरेन्द्र गुप्ता सहित हजारों लोगों ने सिद्धो-कान्हो के चित्र पर माल्यार्पण किया.

"जिस जल जंगल जमीन को बचाने और आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए सिद्धो कान्हो ने स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई से पहले 30 जून 1855 को अंग्रेजों से लोहा लिया था उसी लड़ाई का परिणाम था कि सन 1900 में संथाल परगना टेंडेंसी अधिनियम बना और आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों के खरीदने पर रोक लगाई गयी. आजादी के बाद भी संथाल परगना कास्तकारी अधिनियम सविधान में जोड़ा गया."- बिरेन्द्र गुप्ता, विधायक

संविधान की रक्षा के एकजुट होने का आह्वानः आदिवासी किसान नेता कल्लू मरांडी ने कहा कि आदिवासी जनसमुदाय के बीच बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हो, चांद, भैरव के विद्रोह में जिस चेतना का सूत्रपात किया जिससे समाज के सबसे निचले पायदान पर समझे जाने वाले लोगों ने अपने महानायकों की विजयी गाथा को इतिहास में अमर बना दिया. अखिल भारती किसान सभा के जिला सचिव मनोज कुमार पांडये ने कहा कि हूल दिवस के अवसर पर हम तमाम आदिवासियों, गरीबों किसान मजदूरों मेहनतकशों से अपील करते हैं कि देश की महान विरासत लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर फासीवादी मोदी सरकार को धवस्त कर दे.

ये हुए शामिलः कार्यक्रम में बासुदेव राय, कंचन रजक,रमेश यादव, मोहम्मद हैदर सलीम अंसारी, बासुदेव हांसदा, राजकिशोर किस्को, संजय राय, खूबलाल राणा, एतवा हेम्ब्रम, कारमनी राय, कंनंदना मुर्मु, बुधन हेम्ब्रम, बिरेन्द्र हांसदा, फुचन टुड्डू, अनिल हेम्ब्रम सहित हजारों लोग उपस्थित रहे. वे वनाधिकार कानून 2008 आदिवासियों के हित में सख्ती से लागू करो, वन संरक्षण कानून 2022 फौरन वापस करो, आदिवासी महानायकों की आदमकद प्रतिमा स्थापित करो की मांग कर रहे थे.

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