जमुई: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आज जमुई आएंगे. वह पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के श्राद्धकर्म (former minister Narendra Singh) में शामिल होंगे. उनके दौरे को लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गई है. सीएम के आगमन को लेकर सड़क मार्ग और वायु मार्ग की संभावनाओं को देखते हुए दोनों व्यवस्थाएं की गई है. प्रशासन की ओर से पकरी में हेलीपैड का निर्माण कराया गया है, जबकि सड़क मार्ग के जरिए मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर भी तैयारियां की गई है. खुद मंत्री सुमित सिंह ने तैयारियों का जायजा लिया.
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नरेंद्र सिंह के श्राद्धकर्म में शामिल होंगे नीतीश कुमार: संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सुबह 11:30 बजे पकरी पहुंचेंगे. ऐसे में हेलीपैड से पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह के घर तक भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है. डीएसपी और इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की गई है, जबकि आस-पड़ोस के जिलों से भी बीएमपी के जवानों को बुलाया गया है. इसके अलावा पूरे गांव में विशेष साफ-सफाई कराई गई है. रविवार को जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक डॉ शौर्य सुमन पकरी गांव पहुंचे और कई तरह के दिशा-निर्देश दिए.
बिहार की राजनीति के मजबूत स्तंभ के नरेंद्र सिंहः पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह सिर्फ जमुई ही नहीं बल्कि बिहार की राजनीति के मजबूत स्तंभ थे. इस बात को उन्होंने 2005 में लोजपा से बगावत कर नीतीश कुमार की सरकार गठन में अहम भूमिका निभाकर साबित किया था. बगावती तेवर और जनहित के सवालों पर अधिकारियों के साथ कड़क अंदाज में पेश आना उनकी पहचान थी. तीन दशक तक जमुई की राजनीति की एक धूरी बने रहे नरेंद्र सिंह ने 21 फरवरी 1991 में जमुई को जिला का दर्जा दिला कर जमुई के विकास का जो सिलसिला शुरू किया, उसको लेकर आखिरी सांस तक चिंतित रहे. हाल के दिनों किसानों एवं मजदूरों के सवाल पर वे बिहार और दिल्ली की वर्तमान सरकार से खफा चल रहे थे.
1985 में पहली बार चुने गए थे विधायकः पूर्व मंत्री व स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी नेता श्रीकृष्ण के पुत्र नरेंद्र सिंह पहली बार 1985 में कांग्रेस की टिकट पर चकाई विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए थे. 1990 में दूसरी बार निर्वाचित होकर लालू प्रसाद की सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ. हालांकि बगावती तेवर के कारण वे बहुत ज्यादा दिनों तक मंत्रिमंडल में नहीं टिक सके और त्यागपत्र देकर लालू सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था. 2000 के विधानसभा चुनाव में वे एक साथ दो विधानसभा क्षेत्र जमुई और चकाई से विधायक चुने गए बाद में उन्होंने जमुई से इस्तीफा देकर सुशील कुमार सिंह उर्फ हीरा जी को विधायक बनाने में महती भूमिका निभाई थी. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बने और 2015 में जीतन राम मांझी सरकार चलने तक मंत्री पद को सुशोभित करते रहे.
1974 आंदोलन के अग्रणी नेताओं में थे शुमारः नरेंद्र सिंह 1974 आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार रहे. वे 1973 में पहली बार पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे. तब रामजतन शर्मा अध्यक्ष थे। दूसरी बार 1974 में लालू प्रसाद अध्यक्ष और नरेंद्र सिंह महासचिव निर्वाचित हुए. 74 आंदोलन के क्रांतिकारी नेता नरेंद्र सिंह के खून में ही क्रांति और समाजवाद समाहित था. यहां यह बताना लाजिमी है कि उनके पिता श्री कृष्ण सिंह भी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन के अगुआ रहे थे. आजादी के बाद उन्होंने समाजवाद को अपनाया और आखिरी क्षण तक समाजवादी विचारों को स्थापित करने को लेकर लड़ते रहे.
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