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जमुईः स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता झाझा रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म पर है गंदगी का अंबार - Dirt on platform

गैर लाइसेंसी वेंडर के बारे में संबंधित अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन वेंडरों को हटाने के लिए जब मैंने कार्रवाई की तो बदले में मुझे जेल की हवा खानी पड़ी. उनका कहना है कि मैं नौकरी करने आया हूं इनसे लड़ने नहीं आया हूं.

झाझा रेलवे स्टेशन
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Published : Jun 8, 2019, 11:45 AM IST

जमुईः कभी रेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध झाझा का रेलवे स्टेशन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार है. ये रेलवे स्टेशन पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है.

railway station
स्टेशन पर फैली गंदगी

धूमिल हो रही स्टेशन की भव्यता
झाझा रेलवे स्टेशन कभी अपनी भव्यता और लोको इंजन के लिए काफी प्रसिद्ध हुआ करता था. लेकिन समय के साथ-साथ और सरकारी उदासीनता के चलते यहां की भव्यता और प्रसिद्धी धूमिल होती गई. ना तो स्टेशन पर साफ-सफाई की व्यवस्था है ना ही यहां टॉयलेट. स्टेशन परिसर के अंदर जो प्लेटफार्म पर वेंडर खाने की चीजें बेचते हैं, उनमें से कईयों के पास लाइसेंस नहीं है लेकिन स्टेशन मास्टर और जीआरपी की मिलीभगत से वह यहां अपनी दुकान लगाते हैं. जो की सुरक्षा में सेंध लगाने के बराबर है.

railway station
स्टेशन पर उगी घांस

अवैध तरीके से चलती है दुकानदारी
जब इन गैर लाइसेंसी वेंडर के बारे में संबंधित अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन वेंडरों को हटाने के लिए जब मैंने कार्रवाई की तो बदले में मुझे जेल की हवा खानी पड़ी. उनका कहना है कि मैं नौकरी करने आया हूं इनसे लड़ने नहीं आया हूं. स्टेशन प्लेटफार्म पर ज्यादतर वेंडर अवैध तरीके से अपना कारोबार करने में मस्त हैं. लेकिन विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं.

स्टेशन पर फैली अव्यवस्था और बयान देते रेलवे के अधिकारी

प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
मालूम हो कि जमुई जिले में स्थित झाझा रेलवे स्टेशन दानापुर रेल मंडल के अधीन है. उसके रखरखाव और व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी इसी रेल मंडल की है. लेकिन जिस तरह की व्यवस्था और साफ-सफाई की नारकीय स्थिति बनी हुई है. वह रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान लगाता है.

जमुईः कभी रेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध झाझा का रेलवे स्टेशन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार है. ये रेलवे स्टेशन पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है.

railway station
स्टेशन पर फैली गंदगी

धूमिल हो रही स्टेशन की भव्यता
झाझा रेलवे स्टेशन कभी अपनी भव्यता और लोको इंजन के लिए काफी प्रसिद्ध हुआ करता था. लेकिन समय के साथ-साथ और सरकारी उदासीनता के चलते यहां की भव्यता और प्रसिद्धी धूमिल होती गई. ना तो स्टेशन पर साफ-सफाई की व्यवस्था है ना ही यहां टॉयलेट. स्टेशन परिसर के अंदर जो प्लेटफार्म पर वेंडर खाने की चीजें बेचते हैं, उनमें से कईयों के पास लाइसेंस नहीं है लेकिन स्टेशन मास्टर और जीआरपी की मिलीभगत से वह यहां अपनी दुकान लगाते हैं. जो की सुरक्षा में सेंध लगाने के बराबर है.

railway station
स्टेशन पर उगी घांस

अवैध तरीके से चलती है दुकानदारी
जब इन गैर लाइसेंसी वेंडर के बारे में संबंधित अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन वेंडरों को हटाने के लिए जब मैंने कार्रवाई की तो बदले में मुझे जेल की हवा खानी पड़ी. उनका कहना है कि मैं नौकरी करने आया हूं इनसे लड़ने नहीं आया हूं. स्टेशन प्लेटफार्म पर ज्यादतर वेंडर अवैध तरीके से अपना कारोबार करने में मस्त हैं. लेकिन विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं.

स्टेशन पर फैली अव्यवस्था और बयान देते रेलवे के अधिकारी

प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
मालूम हो कि जमुई जिले में स्थित झाझा रेलवे स्टेशन दानापुर रेल मंडल के अधीन है. उसके रखरखाव और व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी इसी रेल मंडल की है. लेकिन जिस तरह की व्यवस्था और साफ-सफाई की नारकीय स्थिति बनी हुई है. वह रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान लगाता है.

Intro:जमुई-स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता झाझा रेलवे स्टेशन

कभी रेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध झाझा आज अपनी बदहाली का आंसू रो रहा है। आलम यह है कि झाझा रेलवे स्टेशन परिसर के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार है हालात यह है कि स्टेशन परिसर के अंदर जो प्लेटफार्म पर वेंडर जो खाद्य पदार्थ भेजते हैं उनमें से कईयों के पास लाइसेंस तो है लेकिन कई स्टेशन मास्टर और जीआरपी की मिलीभगत से अपने काम को अंजाम देते हैं जो किसी सुरक्षा में सेंध लगाने से के बराबर है।




Body:बदहाली का आंसू रो रहा है झाझा रेलवे स्टेशन

झाझा रेलवे स्टेशन कभी अपनी भव्यता और लोको इंजन को लेकर काफी प्रसिद्ध हुआ करता था लेकिन समय के साथ-साथ और सरकारी उदिशा उदासीनता के चलते यहां की भव्यता और प्रसिद्धि धूमिल होता चला गया वर्तमान में यात्रियों की सुविधा और साफ-सफाई को लेकर अगर बात की जाए तो उसे स्टेशन का नाम सबसे पहले पायदान पर नजर आएगा स्टेशन पर साफ सफाई की व्यवस्था है ना ही यहां कुछ खाद्य सामग्री बताया जाता है ज्यादातर अवैध है या तो जीआरपी स्टेशन प्रबंधक के यहां अपनी दुकानदारी चलाते हैं टूट जाने पर संबंधित अधिकारी का कहना है कि मैं नौकरी करने आया हूं इससे लड़ने नहीं आया हूं क्योंकि इससे पहले केंद्र को सजा देने के बदले मुझे जेल की हवा खानी पड़ी है।

बाईट-अभिधान हेम्ब्रम,ex इन्जीनियर,दानापुर मंडल
बाईट-संजीव सिन्हा,सीएचआई,झाझा स्टेशन

स्टेशन के प्लेटफार्म पर ज्यादतर भेंडर अवैध तरीके से अपना कारोबार करने में मस्त हैं,और विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं ।


Conclusion:बता दें कि जमुई जिले में स्थित झाझा रेलवे स्टेशन दानापुर रेल मंडल के अधीन है उसके रखरखाव और व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी इसी रेल मंडल की है लेकिन जिस तरह की व्यवस्था और रखरखाव झाझा रेलवे स्टेशन के की है और यहां साफ-सफाई कि जिस तरह नारकीय स्थिति बनी हुई है वह रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान लगाता है ।

ईटीवी भारत के लिए जमुई से ब्रजेन्द्र नाथ झा
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