जमुईः कभी रेल नगरी के नाम से प्रसिद्ध झाझा का रेलवे स्टेशन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आलम यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार है. ये रेलवे स्टेशन पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है.
धूमिल हो रही स्टेशन की भव्यता
झाझा रेलवे स्टेशन कभी अपनी भव्यता और लोको इंजन के लिए काफी प्रसिद्ध हुआ करता था. लेकिन समय के साथ-साथ और सरकारी उदासीनता के चलते यहां की भव्यता और प्रसिद्धी धूमिल होती गई. ना तो स्टेशन पर साफ-सफाई की व्यवस्था है ना ही यहां टॉयलेट. स्टेशन परिसर के अंदर जो प्लेटफार्म पर वेंडर खाने की चीजें बेचते हैं, उनमें से कईयों के पास लाइसेंस नहीं है लेकिन स्टेशन मास्टर और जीआरपी की मिलीभगत से वह यहां अपनी दुकान लगाते हैं. जो की सुरक्षा में सेंध लगाने के बराबर है.
अवैध तरीके से चलती है दुकानदारी
जब इन गैर लाइसेंसी वेंडर के बारे में संबंधित अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन वेंडरों को हटाने के लिए जब मैंने कार्रवाई की तो बदले में मुझे जेल की हवा खानी पड़ी. उनका कहना है कि मैं नौकरी करने आया हूं इनसे लड़ने नहीं आया हूं. स्टेशन प्लेटफार्म पर ज्यादतर वेंडर अवैध तरीके से अपना कारोबार करने में मस्त हैं. लेकिन विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं.
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
मालूम हो कि जमुई जिले में स्थित झाझा रेलवे स्टेशन दानापुर रेल मंडल के अधीन है. उसके रखरखाव और व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी इसी रेल मंडल की है. लेकिन जिस तरह की व्यवस्था और साफ-सफाई की नारकीय स्थिति बनी हुई है. वह रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक सवालिया निशान लगाता है.