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Water logging in Gopalganj: झील में तब्दील हुआ गोपालगंज सदर अस्पताल, जलजमाव से मरीज हलकान

बिहार में मानसून आने के बाद से कई जिलों में बारिश हो रही है. गोपालगंज में जिले में पहली बारिश होने के साथ ही शहर के कई मोहल्ले में पानी भर गया. वहीं, सदर अस्पताल परिसर झील में तब्दील हो गया. जिसके चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

झील बना गोपालगंज सदर अस्पताल
झील बना गोपालगंज सदर अस्पताल
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Published : Jul 5, 2023, 2:35 PM IST

झील बना गोपालगंज सदर अस्पताल

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में मंगलवार की देर रात हुईं झमाझम बारिश कारण शहर के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. सड़कों पर पानी भर जाने के कारण आवागमन में काफी समस्या होने लगी. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी गोपालगंज सदर अस्पताल के मरीजों, स्वाथ्यकर्मियों और डॉक्टर्स को हो रही है. जो पानी के बीच रहने को विवश हैं. सदर अस्पताल के सभी वार्डों में नाले का पानी बह रहा है. जिसकी वजह से मरीजों पर इन्फेक्शन का खतरा मंडरा रहा है. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड समेत पूरा परिसर झील में तब्दील हो गया है.

ये भी पढ़ें- Water Logging In Darbhanga: डूबता शहर तैरता अस्पताल, मूसलाधार बारिश के बाद नरक हुई जिंदगी

पहली बारिश में अस्पताल बना झील: दरअसल मंगलवार की देर रात हुई झमाझम बारिश में अस्पताल व्यवस्था की पोल खुल गई है. हर जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. नाले का गन्दा पानी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड समेत पूरे परिसर में फैल गया है. अस्पताल में मरीज व उसके परिजन पानी के बीच में इलाज कराने को मजबूर हैं. हर वार्ड में पानी पूरी तरह से फैल चुका है. इसी हालात में अस्पताल कर्मी और डॉक्टर काम करने को विवश हैं. जबकि मरीज और उनके परिजन पानी में खड़े होकर अपना समय काट रहे हैं. पानी की वजह से मरीज से लेकर कर्मी और चिकित्सक सभी लोग परेशान हैं.

वेटिंग रूम में बैठा परिजन
वेटिंग रूम में बैठा परिजन

मरीज और परिजनों को हो रही परेशानी: इलाज कराने आए मरीज के परिजन का कहना है कि यहां का ड्रेनिंग सिस्टम ठीक नहीं है. बारिश ज्यादा हो गई तो अस्पताल में पानी भर गया. हर जगह पानी ही पानी है, हर बेड के नीचे पानी है. दवा लेने के लिए या किसी भी काम से जाने में बहुत परेशानी हो रही है. बीमारी फैलने का भी खतरा है. किसी तरह इलाज कराना ही है. मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने वाले सदर अस्पताल में जलजमाव से गंदगी पानी के ऊपर तैर रही है. गंदे वस्तुओं व परिसर में तैर रहे फटे-पुराने चिथड़ों में कई लोग उलझ कर गिर जा रहे हैं.

जल निकासी की नहीं है ठोस व्यवस्था: जलजमाव से भीड़-भाड़ रहने वाले सदर अस्पताल परिसर में सन्नाटे की स्थिति रही. ज्ञात हो कि बारिश होने के बाद जलनिकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के चलते प्राय: हर बारिश के बाद पूरा सदर अस्पताल झील बन जाता है. इसके बावजूद इस समस्या के समाधान की कोई ठोस योजना अबतक नहीं बनाई जा सकी है. लाख दावे-प्रतिदावों के बीच व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है. हर बार जब बरसात का सीजन शुरू होता है तो स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक महकमे द्वारा जलजमाव से मुक्ति को तमाम वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कभी कुछ भी नहीं होता है.

अस्पताल की ओर से विभाग को लिखा गया पत्र: बरसात के मौसम में पूरा सदर अस्पताल परिसर अक्सर झील में तब्दील हो जाता है. इससे न सिर्फ मरीजों, बल्कि उनके साथ आए परिजनों और यहां कार्यरत चिकित्सकों को भी भारी फजीहत झेलनी पड़ती है. सदर अस्पताल परिसर का तल आसपास के इलाके से काफी नीचे है. ऐसे में बरसात के मौसम में जब भी बारिश होती है तो अस्पताल परिसर के तल के नीचे होने के कारण आसपास के क्षेत्रों का पानी भी जमा हो जाता है. इससे जलजमाव की स्थिति बन जाती है. अस्पताल प्रबंधक जान मोहम्मद ने बताया की बरसात में जलजमाव की स्थिति नहीं हो इसके लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाएगा. लो लैंड की समस्या से निपटने के लिए तल को ऊंचा करना जरूरी है.

झील बना गोपालगंज सदर अस्पताल

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में मंगलवार की देर रात हुईं झमाझम बारिश कारण शहर के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. सड़कों पर पानी भर जाने के कारण आवागमन में काफी समस्या होने लगी. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी गोपालगंज सदर अस्पताल के मरीजों, स्वाथ्यकर्मियों और डॉक्टर्स को हो रही है. जो पानी के बीच रहने को विवश हैं. सदर अस्पताल के सभी वार्डों में नाले का पानी बह रहा है. जिसकी वजह से मरीजों पर इन्फेक्शन का खतरा मंडरा रहा है. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड समेत पूरा परिसर झील में तब्दील हो गया है.

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पहली बारिश में अस्पताल बना झील: दरअसल मंगलवार की देर रात हुई झमाझम बारिश में अस्पताल व्यवस्था की पोल खुल गई है. हर जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. नाले का गन्दा पानी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड समेत पूरे परिसर में फैल गया है. अस्पताल में मरीज व उसके परिजन पानी के बीच में इलाज कराने को मजबूर हैं. हर वार्ड में पानी पूरी तरह से फैल चुका है. इसी हालात में अस्पताल कर्मी और डॉक्टर काम करने को विवश हैं. जबकि मरीज और उनके परिजन पानी में खड़े होकर अपना समय काट रहे हैं. पानी की वजह से मरीज से लेकर कर्मी और चिकित्सक सभी लोग परेशान हैं.

वेटिंग रूम में बैठा परिजन
वेटिंग रूम में बैठा परिजन

मरीज और परिजनों को हो रही परेशानी: इलाज कराने आए मरीज के परिजन का कहना है कि यहां का ड्रेनिंग सिस्टम ठीक नहीं है. बारिश ज्यादा हो गई तो अस्पताल में पानी भर गया. हर जगह पानी ही पानी है, हर बेड के नीचे पानी है. दवा लेने के लिए या किसी भी काम से जाने में बहुत परेशानी हो रही है. बीमारी फैलने का भी खतरा है. किसी तरह इलाज कराना ही है. मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने वाले सदर अस्पताल में जलजमाव से गंदगी पानी के ऊपर तैर रही है. गंदे वस्तुओं व परिसर में तैर रहे फटे-पुराने चिथड़ों में कई लोग उलझ कर गिर जा रहे हैं.

जल निकासी की नहीं है ठोस व्यवस्था: जलजमाव से भीड़-भाड़ रहने वाले सदर अस्पताल परिसर में सन्नाटे की स्थिति रही. ज्ञात हो कि बारिश होने के बाद जलनिकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के चलते प्राय: हर बारिश के बाद पूरा सदर अस्पताल झील बन जाता है. इसके बावजूद इस समस्या के समाधान की कोई ठोस योजना अबतक नहीं बनाई जा सकी है. लाख दावे-प्रतिदावों के बीच व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है. हर बार जब बरसात का सीजन शुरू होता है तो स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक महकमे द्वारा जलजमाव से मुक्ति को तमाम वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कभी कुछ भी नहीं होता है.

अस्पताल की ओर से विभाग को लिखा गया पत्र: बरसात के मौसम में पूरा सदर अस्पताल परिसर अक्सर झील में तब्दील हो जाता है. इससे न सिर्फ मरीजों, बल्कि उनके साथ आए परिजनों और यहां कार्यरत चिकित्सकों को भी भारी फजीहत झेलनी पड़ती है. सदर अस्पताल परिसर का तल आसपास के इलाके से काफी नीचे है. ऐसे में बरसात के मौसम में जब भी बारिश होती है तो अस्पताल परिसर के तल के नीचे होने के कारण आसपास के क्षेत्रों का पानी भी जमा हो जाता है. इससे जलजमाव की स्थिति बन जाती है. अस्पताल प्रबंधक जान मोहम्मद ने बताया की बरसात में जलजमाव की स्थिति नहीं हो इसके लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाएगा. लो लैंड की समस्या से निपटने के लिए तल को ऊंचा करना जरूरी है.

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