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कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ रही संख्या, स्वास्थ्य विभाग चिंतित, महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की सलाह

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 7, 2023, 6:34 AM IST

गोपालगंज में कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ रही संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने चिंता जताई है. इसके लिए महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल करने की सलाह दी जारी है. साथ ही गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त पोषण और नियमित जांच कराने की सलाह दी जा रही है. पढ़ें पूरी खबर..

कम वजन वाले नवजात
कम वजन वाले नवजात
देखें रिपोर्ट

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कई तरह के उपाय किए हैं. इनमें गर्भवती महिलाओं को आयरन गोली गर्भावस्था के दौरान उनकी नियमित जांच करना और प्रसव पूर्व देखभाल का प्रचार करना शामिल है. दरअसल, इस संदर्भ में जानकारों की मानें तो
कम वजनी वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

प्रसव पूर्व सलाह को अपनाकर लाई जा सकती है कमी : कम वजनी वाले बच्चों में कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में गर्भवती माताओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रसव पूर्व स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई सलाह को अपनाकर इसकी संख्या में कमी लाया जा सकता है. सदर अस्पताल के प्रसूति वार्ड के इंचार्ज निशी कुमारी ने बताया कि एक माह के आंकड़ों को देखे तो करीब पांच सौ महिलाओं का प्रसव हुआ है. इनमें 50 ऐसे नवजात हैं जो कम वजन के हैं. इसमें कुछ नवजातों का इलाज सदर अस्पताल के एसएनसीयू में चल रहा है.

"नवजातों का विभिन्न अस्पताल में इलाज चल रहा है. ऐसे बच्चे जो जन्म के समय 2,500 ग्राम या उससे कम वजन के हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कम वजनी नवजात बच्चों के जन्म के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें गर्भवती महिला की कुपोषण, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, समय से पहले प्रसव और जन्मजात विकार शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग जिले में कम वजनी नवजात बच्चों की संख्या को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाकर इस समस्या को कम करने का प्रयास कर रहा है."- निशी कुमारी, इंचार्ज, प्रसूति विभाग

महिलाओं को पर्याप्त पोषण और जांच जरूरी : कम वजनी नवजात बच्चों की समस्या को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ आहार और पर्याप्त पोषण देना, गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच करवाना. समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए प्रयास करना, जन्मजात विकारों की पहचान और उपचार करना. इन उपायों से कम वजनी नवजात बच्चों की संख्या को कम करने और उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ती संख्या यह एक गंभीर चिंता का विषय है. क्योंकि यह बच्चों की मृत्यु दर और स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है.

ये भी पढ़ें : बिहार: शिशुओं की देखभाल के लिए आशा पहुंचेंगी घर, स्वस्थ रखने की देंगी 'टिप्स'

देखें रिपोर्ट

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कई तरह के उपाय किए हैं. इनमें गर्भवती महिलाओं को आयरन गोली गर्भावस्था के दौरान उनकी नियमित जांच करना और प्रसव पूर्व देखभाल का प्रचार करना शामिल है. दरअसल, इस संदर्भ में जानकारों की मानें तो
कम वजनी वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

प्रसव पूर्व सलाह को अपनाकर लाई जा सकती है कमी : कम वजनी वाले बच्चों में कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में गर्भवती माताओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रसव पूर्व स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई सलाह को अपनाकर इसकी संख्या में कमी लाया जा सकता है. सदर अस्पताल के प्रसूति वार्ड के इंचार्ज निशी कुमारी ने बताया कि एक माह के आंकड़ों को देखे तो करीब पांच सौ महिलाओं का प्रसव हुआ है. इनमें 50 ऐसे नवजात हैं जो कम वजन के हैं. इसमें कुछ नवजातों का इलाज सदर अस्पताल के एसएनसीयू में चल रहा है.

"नवजातों का विभिन्न अस्पताल में इलाज चल रहा है. ऐसे बच्चे जो जन्म के समय 2,500 ग्राम या उससे कम वजन के हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कम वजनी नवजात बच्चों के जन्म के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें गर्भवती महिला की कुपोषण, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, समय से पहले प्रसव और जन्मजात विकार शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग जिले में कम वजनी नवजात बच्चों की संख्या को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाकर इस समस्या को कम करने का प्रयास कर रहा है."- निशी कुमारी, इंचार्ज, प्रसूति विभाग

महिलाओं को पर्याप्त पोषण और जांच जरूरी : कम वजनी नवजात बच्चों की समस्या को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ आहार और पर्याप्त पोषण देना, गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच करवाना. समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए प्रयास करना, जन्मजात विकारों की पहचान और उपचार करना. इन उपायों से कम वजनी नवजात बच्चों की संख्या को कम करने और उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. कम वजनी नवजात बच्चों की बढ़ती संख्या यह एक गंभीर चिंता का विषय है. क्योंकि यह बच्चों की मृत्यु दर और स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है.

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