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दो शिक्षकों ने मिलकर शुरू की इंसानियत की दीवार, जरुरतमंदों की मदद के लिए कर रहे प्रेरित

गोपालगंज शहर के बीचों बीच एसएस बालिका उच्च विद्यालय के पास दो शिक्षकों ने जरूरतमंदों के लिए इंसानियत की दीवार बनाकर एक सामाजिक पहल की शुरुआत की है. ऐसा कर वे ना सिर्फ उन गरीबों के लिए सहारा बने बल्कि समाज के लिए प्रेरणाश्रोत बने.

इंसानियत की दीवार
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Published : Feb 11, 2019, 10:10 PM IST

गोपालगंज: शहर के एसएस बालिका उच्च विद्यालय के पास दो शिक्षकों ने मिलकर इंसानियत की दीवार बनाई है. इस दीवार पर आप अपने जरूरत से ज्यादा सामानों को जरूरतमंदों के लिए छोड़ सकते हैं, ताकि वे उसका इस्तेमाल कर सकें. खास बात यह है कि इसके लिए उन्हें कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ता.

इसकी शुरुआत भोजपुर जिले के पिरो प्रखंड स्थित खैरी तिवारी डीह गांव निवासी मनु पांडे और उनके साथी शिक्षक अमृतंजय कुमार ने की है. मनु पांडे गोपालगंज के ही यादवपुर प्रखंड स्थित रामरतन शाही उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक हैं उन्होंने अपने साथी अमृतंजय के साथ मिलकर इंसानियत दीवार लगाने की अनुमति हासिल की और अक्टूबर 2018 में यह व्यवस्था शुरू कर दी.

इन दोनों शिक्षकों का यह कहना है कि समाज में ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनके पास पहनने के लिए जरुरत के कपड़े तक नहीं होते वहीं दूसरी ओर कई ऐसे भी लोग मौजूद हैं जिनके पास किसी भी सुविधा का अभाव नहीं. समाज के ऐसे संपन्न लोग जरुरतमंदों की मदद कर सकें इसीलिए इंसानियत की दीवार की शुरुआत की गई.

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इंसानियत की दीवार
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दोनों ही शिक्षक लोगों को इसके लिए जागरुक भी करते हैं, और अपने वेतन का कुछ हिस्सा भी देते हैं. शिक्षकों द्वारा किए गए इस कार्य को देख लोगों में इसके प्रति जागरुकता बढ़ी और आज हर कोई इनके कार्य की सराहना करता है.

गोपालगंज: शहर के एसएस बालिका उच्च विद्यालय के पास दो शिक्षकों ने मिलकर इंसानियत की दीवार बनाई है. इस दीवार पर आप अपने जरूरत से ज्यादा सामानों को जरूरतमंदों के लिए छोड़ सकते हैं, ताकि वे उसका इस्तेमाल कर सकें. खास बात यह है कि इसके लिए उन्हें कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ता.

इसकी शुरुआत भोजपुर जिले के पिरो प्रखंड स्थित खैरी तिवारी डीह गांव निवासी मनु पांडे और उनके साथी शिक्षक अमृतंजय कुमार ने की है. मनु पांडे गोपालगंज के ही यादवपुर प्रखंड स्थित रामरतन शाही उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक हैं उन्होंने अपने साथी अमृतंजय के साथ मिलकर इंसानियत दीवार लगाने की अनुमति हासिल की और अक्टूबर 2018 में यह व्यवस्था शुरू कर दी.

इन दोनों शिक्षकों का यह कहना है कि समाज में ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनके पास पहनने के लिए जरुरत के कपड़े तक नहीं होते वहीं दूसरी ओर कई ऐसे भी लोग मौजूद हैं जिनके पास किसी भी सुविधा का अभाव नहीं. समाज के ऐसे संपन्न लोग जरुरतमंदों की मदद कर सकें इसीलिए इंसानियत की दीवार की शुरुआत की गई.

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दोनों ही शिक्षक लोगों को इसके लिए जागरुक भी करते हैं, और अपने वेतन का कुछ हिस्सा भी देते हैं. शिक्षकों द्वारा किए गए इस कार्य को देख लोगों में इसके प्रति जागरुकता बढ़ी और आज हर कोई इनके कार्य की सराहना करता है.

Intro:समाज कार्य की ललक पूरी करने के लिए उम्र और अवसर की जरूरत नहीं होती है और ना ही इसके लिए कोई विशेष पात्रता की ही आवश्यकता होती है। बस जरूरत होती है सोच और समय की मांग के मद्देनजर समाज कार्य को सफल बनाने की मंशा रखने की। ऐसा ही कुछ नजारा गोपालगंज शहर के बीचो बीच एसएस बालिका उच्च विद्यालय के पास देखने को मिला जहाँ इंसानियत के दीवार बनाकर कर यहां के दो शिक्षकों ने जरूरतमंदों के लिए एक सामाजिक पहल की शुरुआत कर ना सिर्फ उन गरीबो के लिए तिनके के सहारा बने बल्कि समाज मे प्रेरणा के श्रोत बने। इंसानियत की दीवार एक ऐसी जगह है जहां आप अपने जरूरत से अधिक सामान को जरूरतमंदों के लिए छोड़ सकते हैं ताकि जरूरतमंद उस सामान को अपने साथ ले जाकर उपयोग कर सकें शिक्षकों द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में शहर भर के नागरिक किसी भी समय यहां आते हैं और अपने अनुपयोगी और पुराने कपड़े जूते समेत कई सामान यहां छोड़ जाते हैं फिर इन वस्त्रों व अनुपयोगी वस्तुओं को जरूरतमंद अपनी-अपनी इच्छा और जरूरत के अनुसार पहन लेते हैं खास बात यह है कि ये कपड़े बिना कोई शुल्क दिए जरूरतमंद निशुल्क ले पाते हैं। इसकी शुरुआत भोजपुर जिले के पिरो प्रखंड के खैरी तिवारी डीह गांव निवासी शशि भूषण पांडे के पुत्र मनु जी पांडे व उनके साथी शिक्षक अमृतंजय कुमार ने की मनु जी पांडे वैसे गोपालगंज जिले के यादवपुर प्रखंड स्थित रामरतन शाही उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक है जिन्होंने यह महसूस किया है कि ऐसे अनगिनत नागरिक हैं जिनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं होते वे या तो बिना कपड़े या निर्वासित जीवन जीने के लिए मजबूर है वहीं दूसरी और कई ऐसे नागरिक हैं उन्हें पता नहीं होता है कि उनके पास कितने कपड़े हैं और उन्होंने कब और कहां बना था इसलिए गोपालगंज के राजेंद्र नगर निवासी हरेंद्र राय के पुत्र अमृतंजय से कुछ करने की बात कही जिसके बाद उन्होंने भी अपनी सहभागिता दर्ज की तब इन दोनों ने मिलकर एक जगह की तलाश शुरू कर दी और एसएस बालिका विद्यालय के पास इंसानियत दीवार लगाने की अनुमति मिली और इन लोगों ने अक्टूबर 2018 में यह व्यवस्था शुरू कर दी। शिक्षकों द्वारा किए गए इस कार्य को देख लोगों में इसकी जरूरत पड़ने लगी आज हर कोई इनके कार्य की सराहना करता है लोगों के बीच इस बात की जागरूकता के लिए यह शिक्षक संपन्न घर व आसपास के लोगों के बीच जन जागृति के लिए पर्चे बांटे और पुराने और गैर जरूरी कपड़ों को दान करने की अपील की वहीं दूसरी तरफ से जरूरतमंदों में यह जागरुकता फैलाई जा।रही है। इन शिक्षकों अपने वेतन के पैसे से एसएस बालिका उच्च विद्यालय के दीवार पर पेंटिंग करवाया साथ हीपोस्टर बैनर लगाकर दानदाताओं से कपड़े व उपयोगी समान इसमें रखने की अपील की। इस आवाहन को पढ़कर सड़क से गुजर ने वाले अपनी इच्छा और समय के अनुसार कपड़े छोड़ जाते हैं। जरूरतमंद यहां पहुंच कर अपने पसंद के कपड़ों को चुनकर अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं।



पैकेट खडसे या वेतन से इस प्लेटफार्म का निर्माण कराया जहां इन्होंने पोस्टर बैनर लगाकर






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