गोपालगंज: एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के दावे कर खुद का पीठ थपथपाते हुए नजर आते हैं. वहीं दुसरी ओर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) के गृह जिले गोपालगंज के सदर अस्पताल में टिटनेस इंजेक्शन की कमी सरकार के दावों की पोल खोलती हुई नजर आ रही है.
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जानिए क्या है पूरा मामला: मामला गोपालगंज का है जहां सड़क हादसे में जख़्मी मरीज को टिटनेस इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा. हनुमानगढ़ी मुहल्ला निवासी नियाज आलम ने बताया कि "यहां मरीजों के लिए एक टेटवेट का इंजेक्शन नहीं है. जिसके कारण इंजेक्शन प्राइवेट दवा दुकान से खरीदना पड़ रहा है. पिछले तीन महीनों से इंजेक्शन की कमी है."
"पिछले कुछ दिनों से टिटनेस के इंजेक्शन की सप्लाई नही हो रही है. गर्भवती महिलाओं के लिए टिटनेस के इंजेक्शन को पर्याप्त मात्रा में रखा गया है. लेकिन आम मरीजों को अभी बाहर से इंजेक्शन खरीदना पड़ सकता है."- डॉ वीरेंद्र प्रसाद, सिविल सर्जन, गोपालगंज
क्यों लगाया जाता है टिटनेस का इंजेक्शन: टिटनेस के खतरनाक वायरस से लोगों को बचाने के लिए यह इंजेक्शन एहतियात के लिए लगायी जाती है. किसी हादसे में घायल हुए मरीज के लिए टिटनेस का इंजेक्शन जरूरी है. जानकारों के मुताबिक पहले लोहे अथवा किसी भी जंग लगी वस्तु से त्वचा के छिलने अथवा कट जाने पर लगाई जाती थी. बाद में मेडिकल सांइस द्वारा सभी चोट एवं शल्य चिकित्सा (सर्जरी) पर लगाए जाने का निर्देश दिया गया है.समय पर टीका ना लेने पर या टिटनेस वायरस से संक्रमित मरीज के शरीर, गले व सिर की मांसपेशियों में अकड़न होने लगती है. उसका शरीर अचेत भी हो जाता है.इस वायरस के पूरी तरह सक्रिय होने पर मरीज की परेशानी बढ़ती जाती है और उसकी मौत हो जाती है.
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