गोपालगंज: जिले के सदर अस्पताल में 24 घण्टे पैथोलॉजी जांच ( Reality Check Of Gopalganj Sadar Hospital ) के लिए लगाई गई बोर्ड सिर्फ मरीजों को दिग्भ्रमित करने के लिए लगाई गई है. ये हम नहीं बल्कि सदर अस्पताल का सिस्टम खुद बयां कर रहा है. यहां अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों की रात में पैथोलॉजी जांच नहीं (No Pathology Examination Of Patients At Night) की जाती है जिससे मरीजो को प्राइवेट में जाकर दुगुनी दामों पर जांच करवानी पड़ रही है.
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रात में नहीं होती मरीजों की जांच: दरअसल अस्पताल परिसर में जांच केंद्र पर साफ तौर लिखा गया है कि यहां मरीजों को 24 घंटे जांच की सुविधा है लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जब रियलिटी चेक किया तो रात में यह केंद्र बंद पाया गया. जांच केंद्र के दरवाजे पर ताले लटके हुए थे. चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था.
24 घंटे जांच के दावे साबित हुए गलत: सोमवार की देर रात सिधवलिया प्रखण्ड के जोगियार गांव निवासी चन्देश्वर महतो के पत्नी ललिता देवी को सांप ने काट लिया. परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने खून जांच कराने के लिए पुर्जे पर लिख दिया. मौके पर मौजूद एक स्वास्थ्य कर्मी ने किसी को बाहर से बुलाकर जांच करवाई. जांच के बारे जब मरीज के परिजन डॉक्टर से पूछते हैं तो डॉक्टर और कर्मी भड़क जाते हैं, जिससे मरीज के परिजन डरे सहमे किसी तरह बाहर में जाकर जांच कराने को विवश होते हैं.
"सांप काटने पर मरीज को लेकर आए. जांच कराने को कहा गया. बाहर से कोई आदमी आकर जांच किया. स्वास्थ्य कर्मियों ने ही उसे बुलाया था. अस्पताल में कहा गया यहां जांच नहीं हो पाएगा. डॉक्टर से पूछे तो गुस्सा हो गए और बोले की जांच कराने आए हैं कि ये सब करने आए हैं."- मरीज के परिजन
गोपालगंज सदर अस्पताल की खुली पोल: जब पूछा गया कि यहां जांच की सुविधा नहीं है तो स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि रात में जांच नहीं होती है. हैरान-परेशान मरीज के परिजन किसी तरह अपने मरीज की जांच करवाएं लेकिन सवाल यह है कि जब जांच की सुविधा रात में नहीं होती तो फिर 24 घंटे के दावे करने के पीछे का राज क्या है? क्या अस्पताल प्रशासन यह दिखाने की कोशिश करता है कि स्वास्थ सुविधाओं में कोई कमी नहीं रह गई है?
सुविधा कुछ और दिखावा कुछ: इस सन्दर्भ में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एस के गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा को जांच सिर्फ सुबह 8 बजे से रात्रि 8 तक ही की जाती है. जब उनसे पूछा गया कि 24 घन्टे का क्या मतलब होता है तो उन्होंने कहा कि रात भर.. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि तो फिर 24 घण्टे का बोर्ड लगाने का क्या मतलब है? तब उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अस्पताल मैनेजर से पूछिए जब अस्पताल मैनेजर सिद्धार्थ कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पहले ये सोच थी कि 24 घण्टे चलाया जाए. लेकिन स्टाफ की कमी के कारण जांच केंद्र 24 घण्टे नहीं चलाई जा रही है. बहरहाल अस्पताल प्रशासन की मंशा पर अब सवाल उठने लगे है. सिर्फ बोर्ड लगाकर खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की जाती है या यूं कहें कि सुविधा कुछ और दिखावा कुछ और किया जाता है.
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