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Lalu Yadav पहुंचे गोपालगंज तो बोले लोग- 'साहेब केन्द्र में रहते तो Phulwaria Station चकाचक हो जाता'

फुलवरिया स्टेशन लालू यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था. सत्ता बदलने के साथ ही स्टेशन की सूरत भी बदल गई. यह सरकारी उपेक्षा का शिकार होता चला गया. आज फुलवरिया स्टेशन पर बुनियादी सुविधा तक मौजूद नहीं है. पढ़ें पूरी खबर..

फुलवरिया स्टेशन
फुलवरिया स्टेशन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 22, 2023, 7:54 PM IST

लालू यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया स्टेशन उपेक्षा का शिकार

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में फुलवरिया की स्टेशन की हालत खराब है. यह स्टेशन राजद सुप्रीमो लालू यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था. कभी लालू यादव ने इस स्टेशन को बेहतर स्टेशन बनाने का सपना देखा था, लेकिन अब इस स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव हो गया है. जैसे ही लालू की सत्ता बदली वैसे ही इस स्टेशन की सूरत बदल गई. इसके बावजूद स्थानीय लोगों को आज भी यह उम्मीद है कि लालू यादव की केंद्र में सरकार बनते ही यह स्टेशन एकबार फिर अपना रंग लाएगा.

ये भी पढ़ें : मुरझा गई लालू की फुलवरिया, अस्तित्व खोने के कगार पर है रेलवे स्टेशन

उपेक्षा का शिकार फुलवरिया स्टेशन : फुलवरिया रेलवे स्टेशन आज सरकारी अनदेखी का शिकार है. बाहर से देखने पर यह स्टेशन अंग्रेजों के जमाने का धरोहर प्रतीत होता है, लेकिन पास जाने पर इसकी बदहाली साफ देखी जा सकती है. हथुआ-भटनी रेलखंड पर स्थित फुलवरिया रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं है. इस कारण यहां आने वाले यात्रियों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ता है. बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात तो छोड़िए दिन में भी वीरानी पसरी रहती है.

साल 2005 में लालू यादव ने किया था उद्घाटन : फुलवरिया रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं होने से स्टेशन परिसर असामाजिक तत्वों का रैन बसेरा बन गया है. यह नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है. इस कुव्यवस्था के कारण यात्रियों में काफी आक्रोश रहता है. बता दें कि तत्कालीन रेल मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में 8 जुलाई 2005 में इस स्टेशन का उद्घाटन किया था. उनकी इच्छा थी कि फुलवरिया गांव के लोगों को रेल यातायात में कोई परेशानी ना हो. लेकिन, सत्ता की बागडोर जाने के साथ ही स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया.
आजतक नियुक्त नहीं हुए स्टेशन मास्टर : अब यह स्टेशन अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. शुरुआती दौर में स्टेशन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया गया. लेकिन, अपनी स्थापना के समय से ही इस स्टेशन में स्टेशन मास्टर की पदस्थापना नहीं की गई लंबे समय बाद बड़ा बाबू के रूप में सीबी मिश्रा की तैनाती हुई. इसके साथ ही उन्होंने हरी झंडी दिखाकर फुलवरिया से हाजीपुर कटिहार तक ट्रेन का परिचालन शुरू कराया. यही ट्रेन आजतक यहां चल रही है.

सिर्फ एक ट्रेन का होता है परिचालन : एक ट्रेन के अलावा आजतक कोई अन्य ट्रेन यहां से चालू नहीं हो सकी. मौजूदा समय में इस स्टेशन पर सफाईकर्मी, बिजली, स्टेशन मास्टर, सुरक्षाकर्मी, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नदारद है. इस स्टेशन का एकमात्र सहारा चापाकल भी पिछले कई साल से खराब पड़ा हुआ है. यात्री यहां बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. पहले हाजीपुर, फुलवरिया, बथुआ बाजार, पकड़ी सहित कई गांवों के यात्री यहां से रेल यात्रा करते थे. अब रात में हमेशा अंधेरा होने के कारण यात्रियों का आना काफी कम हो गया है.

"इस स्टेशन को विकसित करने को लेकर लालू यादव की जो सोच थी, उस हिसाब से फुलवरिया स्टेशन काफी पीछे है. केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि इस प्रोजेक्ट पर काम हो. इसलिए फुलवरिया स्टेशन का यह हाल है".- विवेक कुमार पांडेय, स्थानीय

लालू यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया स्टेशन उपेक्षा का शिकार

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज में फुलवरिया की स्टेशन की हालत खराब है. यह स्टेशन राजद सुप्रीमो लालू यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था. कभी लालू यादव ने इस स्टेशन को बेहतर स्टेशन बनाने का सपना देखा था, लेकिन अब इस स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव हो गया है. जैसे ही लालू की सत्ता बदली वैसे ही इस स्टेशन की सूरत बदल गई. इसके बावजूद स्थानीय लोगों को आज भी यह उम्मीद है कि लालू यादव की केंद्र में सरकार बनते ही यह स्टेशन एकबार फिर अपना रंग लाएगा.

ये भी पढ़ें : मुरझा गई लालू की फुलवरिया, अस्तित्व खोने के कगार पर है रेलवे स्टेशन

उपेक्षा का शिकार फुलवरिया स्टेशन : फुलवरिया रेलवे स्टेशन आज सरकारी अनदेखी का शिकार है. बाहर से देखने पर यह स्टेशन अंग्रेजों के जमाने का धरोहर प्रतीत होता है, लेकिन पास जाने पर इसकी बदहाली साफ देखी जा सकती है. हथुआ-भटनी रेलखंड पर स्थित फुलवरिया रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं है. इस कारण यहां आने वाले यात्रियों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ता है. बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात तो छोड़िए दिन में भी वीरानी पसरी रहती है.

साल 2005 में लालू यादव ने किया था उद्घाटन : फुलवरिया रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं होने से स्टेशन परिसर असामाजिक तत्वों का रैन बसेरा बन गया है. यह नशेड़ियों का अड्डा बनता जा रहा है. इस कुव्यवस्था के कारण यात्रियों में काफी आक्रोश रहता है. बता दें कि तत्कालीन रेल मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में 8 जुलाई 2005 में इस स्टेशन का उद्घाटन किया था. उनकी इच्छा थी कि फुलवरिया गांव के लोगों को रेल यातायात में कोई परेशानी ना हो. लेकिन, सत्ता की बागडोर जाने के साथ ही स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया.
आजतक नियुक्त नहीं हुए स्टेशन मास्टर : अब यह स्टेशन अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. शुरुआती दौर में स्टेशन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया गया. लेकिन, अपनी स्थापना के समय से ही इस स्टेशन में स्टेशन मास्टर की पदस्थापना नहीं की गई लंबे समय बाद बड़ा बाबू के रूप में सीबी मिश्रा की तैनाती हुई. इसके साथ ही उन्होंने हरी झंडी दिखाकर फुलवरिया से हाजीपुर कटिहार तक ट्रेन का परिचालन शुरू कराया. यही ट्रेन आजतक यहां चल रही है.

सिर्फ एक ट्रेन का होता है परिचालन : एक ट्रेन के अलावा आजतक कोई अन्य ट्रेन यहां से चालू नहीं हो सकी. मौजूदा समय में इस स्टेशन पर सफाईकर्मी, बिजली, स्टेशन मास्टर, सुरक्षाकर्मी, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नदारद है. इस स्टेशन का एकमात्र सहारा चापाकल भी पिछले कई साल से खराब पड़ा हुआ है. यात्री यहां बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. पहले हाजीपुर, फुलवरिया, बथुआ बाजार, पकड़ी सहित कई गांवों के यात्री यहां से रेल यात्रा करते थे. अब रात में हमेशा अंधेरा होने के कारण यात्रियों का आना काफी कम हो गया है.

"इस स्टेशन को विकसित करने को लेकर लालू यादव की जो सोच थी, उस हिसाब से फुलवरिया स्टेशन काफी पीछे है. केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि इस प्रोजेक्ट पर काम हो. इसलिए फुलवरिया स्टेशन का यह हाल है".- विवेक कुमार पांडेय, स्थानीय

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